मुंबई: वर्तमान (16 वीं) लोकसभा के कार्यकाल के अंत में, आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले सबसे ज्यादा सांसद बीजेपी से हैं।

सभी पार्टियों में, लोकसभा के 521 सासंदों में से 106 (20 फीसदी) पर हत्या, साम्प्रदायिक विद्वेष भड़काने, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराधों जैसे गंभीर मामलों का आरोप है।

इनमें से कम से कम 55 फीसदी सांसद (92) बीजेपी से हैं, जबकि 2 फीसदी ( 7 ) कांग्रेस से, 3 फीसदी ( 6 ) ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) से, शिवसेना से 17 फीसदी (15) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी ) से 7 फीसदी (7) से हैं, जैसा कि ‘नेशनल इलेक्शन वॉच’ ( एनईडब्लू ) द्वारा किए गए एक विश्लेषण से पता चलता है। एनईडब्लू एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा चलाया गया एक अभियान है। मृत्यु, दिवालियापन, मानसिक बीमारी या किसी गंभीर अपराध के लिए सजा जैसे कई कारणों से हुए उप-चुनाव के कारण अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान, संसद के निचले सदन की संरचना में बदलाव हुए हैं। 2014 के चुनावों में लोकसभा में चुने गए ऐसे लोगों की संख्या सबसे ज्यादा देखी गई, जिन पर अपराधिक मामले थे। 2009 के मुकाबले ये आंकड़े 14 फीसदी ज्यादा हैं, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 23 मई 2014 को अपनी रिपोर्ट में बताया था।

वर्तमान लोकसभा की शुरुआत से लेकर अब तक, आपराधिक मामलों वाले सांसदों की संख्या में मामूली कमी आई है, शुरू में चुने गए 541 सदस्यों में से 186 (34 फीसदी) थे। अब 521 सदस्यों में से 174 (33 फीसदी) हैं।

2004-2019 में अपराधिक मामलों से जुड़े सांसद

आपराधिक मामलों से जुड़े राज्य-वार सांसद

Source: Association for Democratic Reforms

इस लोकसभा कार्यकाल के अंत तक, गंभीर आपराधिक आरोप वाले सांसदों की संख्या 15 राज्यों में बढ़ गई है, जिनमें से पांच में बीजेपी की और दो में कांग्रेस की सरकारें हैं। बिहार, जहां संख्या सबसे अधिक (8 से 18 तक) बढ़ी है, वहां जनता दल यूनाइटेड का शासन है। जनता दल यूनाइटेड वर्तमान में केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का हिस्सा है

कार्यकाल की शुरुआत में, उत्तर प्रदेश में आपराधिक मामलों का सामना करने वाले सांसदों की संख्या 12 थी, जो किसी भी राज्य से सबसे अधिक थी, और अब यह 21 से अधिक हो गई है। महाराष्ट्र में, कार्यकाल की शुरुआत में 11 से, संख्या अब 19 है। बिहार में, संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है, 2014 में 8 से 2019 तक 18 हो गई है।

पार्टीवार आपराधिक आरोपों वाले संसद सदस्य

Source: Association for Democratic Reforms

कार्यकाल की शुरुआत में बीजेपी में आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले 98 सांसद थे, जिनमें से 35 पर गंभीर आरोप थे। बीजेपी के खाते में अधिकतम संख्या अभी भी है।

कार्यकाल के अंत में, शिवसेना में 15, कांग्रेस में सात, टीएमसी में सात और अन्नाद्रमुक में छह हैं। गंभीर अपराधों के आरोप का सामना करने वाले 106 सदस्यों में से 55 फीसदी बीजेपी के हैं।

106 में से 10 पर हत्या का आरोप है - चार बीजेपी से, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), लोकतांत्रिक जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और स्वाभिमानी पक्ष से एक-एक और एक निर्दलीय है।

14 सांसदों पर हत्या के प्रयास के मामले हैं । इसमें बीजेपी के आठ और कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, राजद, शिवसेना और स्वाभिमानी पक्ष के एक-एक हैं।

सांप्रदायिक द्वेष भड़काने के लिए समान संख्या पर आरोप हैं - सबसे ज्यादा बीजेपी से 10 और तेलंगाना राष्ट्र समिति, पट्टली मक्कल काची, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट से एक-एक।

कुल मिलाकर 521 सांसदों में से 430 ने 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति घोषित की है। बीजेपी के पास सबसे ज्यादा हैं - उनके 267 सांसदों में 85 फीसदी। बीजेपी सांसदों के पास औसत संपत्ति 11.89 करोड़ रुपये है। कांग्रेस के पास 37 करोड़पति सांसद हैं, लेकिन उनके पास मौजूद संपत्ति की औसत राशि 15.57 करोड़ रुपये अधिक है। एआईएडीएमके से 29 और टीएमसी से 22 करोड़पति सांसद हैं।

( अब्राहम इंटर्न हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं। )

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 30 मार्च, 2019 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है

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