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बेंगलुरु: 2017 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के 3,800 से अधिक गांवों में बेतरतीब ढंग से चुने गए मतदाताओं के मोबाइल पर चार मतदाता सूचना संदेश भेजने वाले एक अध्ययन में आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे उम्मीदवारों के लिए डाले गए वोटों में 12 फीसदी की गिरावट पाया है। इससे उनके वोट-शेयर में 3-प्रतिशत- अंक की गिरावट हुई है।

वोट-शेयर में यह गिरावट महत्वपूर्ण है, क्योंकि 2017 में यूपी में लगभग 20 फीसदी सीटों पर विजेता 3 प्रतिशत अंकों या उससे कम के अंतर से जीते थे, जैसा कि नवंबर 2018 में जारी किए गए अध्ययन, ‘कोर्डिनेटिंग वोटरस अगेंस्ट क्रिमिनल पॉलिटिशिअन: एविडेंस फ्रॉम मोबाइल एक्सप्रिएंस इन इंडिया से पता चलता है।

उत्तर प्रदेश में प्रमुख राजनीतिक दलों जैसे समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी द्वारा चुने गए ऐसे उम्मीदवारों का अनुपात सबसे ज्यादा है, जिन पर आपराधिक आरोप दर्ज हैं, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 10 मार्च 2017 की रिपोर्ट में बताया है।

भारत निर्वाचन आयोग ने उम्मीदवारों के लिए टीवी पर और समाचार पत्रों में चुनावी प्रचार के दौरान कम से कम तीन बार अपने पिछले आपराधिक जीवन का विज्ञापन करना अनिवार्य कर दिया था, जैसा कि एनडीटीवी ने 11 अक्टूबर, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।

2012 और 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में आपराधिक आरोप वाले उम्मीदवार

यह अध्ययन मतदाताओं को सूचित विकल्प निर्धारण में मदद के लिए मोबाइल फोन-आधारित सूचना अभियानों की क्षमता दिखाता है। एक गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में, गंभीर आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों का अनुपात लगभग दोगुना होकर 15 फीसदी हो गया और आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों का अनुपात 2012 के पिछले चुनाव के मुकाबले एक प्रतिशत घटकर 18 फीसदी हो गया है।

2018 में, हिंदी राज्यों-राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ (चुनाव के दूसरे चरण में) के विधानसभा चुनावों में क्रमशः लगभग 9 फीसदी, 11 फीसदी और 9 फीसदी उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक आरोप लगे थे।

चुनाव से पहले चार तरह के संदेश

वर्तमान अध्ययन ने 3,800 गांवों में औचक नियंत्रण अभियान चलाया गया। नियंत्रित गांवों को कोई संदेश नहीं मिला, जबकि उन गांवों के लिए जहां संदेश भेजे गए थे, प्राप्तकर्ता को औचक रूप से चुना गया था। सभी में, चुनाव से दो दिन पहले 450,000 लोगों को कम से कम एक आवाज संदेश और एक टेक्सट संदेश मिला।

निम्नलिखित चार में से कोई एक संदेश में भेजा गया था:

  1. बुनियादी जानकारी संदेश: इन संदेश में प्राप्तकर्ताओं से अपने उम्मीदवारों को जानने और अपना वोट डालने से पहले ध्यान से सोचने का आग्रह किया गया और इसके अलावा, सभी प्राप्तकर्ताओं को प्रमुख पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामलों की संख्या ( यदि कोई हो तो ) और प्रकार की जानकारी प्रदान की गई।

  2. सूचना और कोर्डिनेशन संदेश: इस बुनियादी जानकारी संदेश से मतदाताओं को सूचित किया गया कि उनके क्षेत्र के कई अन्य निवासियों को भी यही संदेश मिला है।

  3. सूचना और जातीय-मतदान संदेश: इन संदेशों में, मतदाताओं को आपराधिक जानकारी प्रदान की गई और इसके अलावा जाति की रेखाओं के साथ मतदान की आदत को छोड़ने का आग्रह किया गया।

  4. महिलाओं वोट दें संदेश: इनमें एक ही अनुरोध था कि प्राप्तकर्ताओं को अपने उम्मीदवारों को जानना चाहिए और मतदान से पहले ध्यान से सोचना चाहिए, साथ ही उच्च महिला मतदान को प्रोत्साहित करने के भी संदेश भी दिए गए थे।

प्रत्येक प्रकार के तहत सेवा प्रदाता के माध्यम से भेजा गया संदेश

Message Sent Through Service Provider Under Each Type
TypeMessage
Basic Information“This message is from an unbiased, non-political NGO, Center for Governance and Development. Get to know your candidates correctly, and on Election Day, give your vote only after thinking carefully! In your area: 1. Madhusudan Kushwaha from BSP (elephant party) has 1 criminal case, with attempt to murder charges. 2. Prakash Dwivedi from BJP (lotus party) has no criminal cases. 3. Vivek Kumar Singh from Congress (hand party) has 3 criminal cases, but has no violent charges.”
Information plus coordination message“This message is from an unbiased non-political NGO, Center for Governance and Development, and many people in your area have already received it. Get to know your candidates correctly, and on Election Day, give your vote only after thinking carefully! In your area: <>. Now you can elect the right candidate with the people in your area.”
Information plus ethnic voting message“This message is from an unbiased, non-political NGO, Center for Governance and Development. Don’t follow your old habits and vote only on the basis of caste or religion. Get to know your candidates correctly, and on Election Day, give your vote only after thinking carefully! In your area: << Criminality Information of Candidates>>.”
Women’s mobilization message“This message is from an unbiased, non-political NGO, Center for Governance and Development. Women across the country are voting in record numbers. When all household members vote, your family’s power increases. So definitely encourage all women to vote! Get to know your candidates correctly, and on Election Day, give your vote only after thinking carefully!”

Source: Coordinating Voters against Criminal Politicians: Evidence from a Mobile Experiment in India (November, 2018)

अध्ययन ने 150 से अधिक और 5,150 से कम जनसंख्या वाले गांवों को चुना गया और "वोडाफोन + आइडिया ग्राहकों (लगभग 10.6 फीसदी कवरेज दर या उससे कम) के रूप में कवर की गई गांव-स्तरीय जनसंख्या हिस्सेदारी के मामले में निचले प्रतिशत में गांवों को बाहर रखा गया।"

अध्ययन का समर्थन ‘जे-पाल गवर्नेंस इनिशिएटिव, हार्वर्ड लैब फॉर इकोनॉमिक एप्लिकेशन एंड पॉलिसी’ और ‘वॉटसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स’ द्वारा किया गया था।

उन्होंने तीन भारतीय दूरसंचार कंपनियों - आइडिया, एयरटेल और वोडाफोन के साथ भागीदारी की।

हत्या के आरोप वाले उम्मीदवारों ने वोट शेयर खोया

अध्ययन में पाया गया कि हत्या के आरोप वाले उम्मीदवारों में 12 फीसदी वोटों की कुल कमी थी। जिन पर हत्या के प्रयास आरोप थे, उन्होंने 5 फीसदी वोटों की छोटी गिरावट देखी। और गैर-हत्या से संबंधित आरोप वाले उम्मीदवारों के वोटों में लगभग कोई अंतर नहीं देखा गया।

निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान केंद्रों के एक सेट में जहां कम से कम एक उम्मीदवार पर हत्या से संबंधित आरोप थे, किसी भी आपराधिक आरोप के बिना सभी उम्मीदवारों के कुल वोट 6.7 फीसदी की औसत से बढ़े और हत्या से संबंधित उम्मीदवारों के वोटों में 7.7 फीसदी की गिरावट आई है। अध्ययन के अनुसार, “ये प्रभाव, केवल गैर-हत्या से संबंधित आपराधिक आरोप वाले उम्मीदवारों के लिए वोटों में सांख्यिकीय रूप से नगण्य वृद्धि के साथ,1.6 फीसदी के कुल मतदान में संयुक्त वृद्धि दिखाते हैं।”

प्रयोग में पाया गया कि जिन मतदान केंद्रों पर किसी भी उम्मीदवार पर हत्या से संबंधित आरोप नहीं थे, वहां ‘स्वच्छ’ उम्मीदवारों के वोटों पर सकारात्मक प्रभाव गायब हो गया। इससे पता चलता है कि, ‘गैर-आपराधिक रूप से आरोपित उम्मीदवारों का वोट बढ़ाने के लिए सूचना उपचार के लिए एक गंभीर आपराधिक आरोप के साथ एक प्रतियोगी उम्मीदवार का संदर्भ बिंदु आवश्यक है,’ जैसा कि अध्ययन में उल्लेख किया गया है। भारत में आपराधिक मामलों में आरोपित उम्मीदवारों पर चुनाव लड़ने से कोई रोक नहीं है। मामले को संसद के हाथों में छोड़ते हुए, आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने पर रोक लगाने को सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है। इस संबंध में लाइवमिंट ने 25 सितंबर, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।। इससे पहले, नवंबर 2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने के लिए एक योजना तैयार करने को कहा था, जैसा कि लाइव लॉ की 14 दिसंबर, 2017 की रिपोर्ट से पता चलता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने अदालत को सूचित किया था कि विशेष अदालतें एक साल में राजनेताओं के खिलाफ लंबित सभी 1,581 आपराधिक मामलों का निपटारा करेंगी।

समन्वय का प्रभाव

केवल मूल जानकारी के सापेक्ष, ‘स्वच्छ’ उम्मीदवारों पर प्रभाव समन्वय संदेश के साथ अलग था। बुनियादी सूचना उपचार प्राप्त करने वाले मतदान केंद्रों में हत्या से संबंधित आरोपों के साथ उम्मीदवारों के वोट शेयर में 0.8 प्रतिशत अंक की गिरावट आई थी और जातीय-मतदान संदेश प्राप्त करने वाले स्टेशनों के लिए 1.5 प्रतिशत-प्रतिशत की गिरावट आई है, जैसा कि अध्ययन में कहा गया है।

हालांकि, मतदान केंद्रों पर उन उम्मीदवारों का वोट शेयर, जिन्होंने समन्वय संदेश प्राप्त किए थे, उनमें 2.5 प्रतिशत अंक की बड़ी गिरावट आई है।

कुल मिलाकर, हत्या के आरोपों का सामना करने वाले वोटों की संख्या में 12 फीसदी की गिरावट का अनुभव किया, जिससे उनके वोट शेयर में 3 प्रतिशत की गिरावट आई।

अध्ययन के अनुसार, “यह एक गैर-तुच्छ परिमाण है, जब हम चुनाव के विजयी मार्जिन पर विचार करते हैं जिसे हमने इस अभियान के साथ लक्षित किया था। 2017 में यूपी भर में आयोजित 403 दौड़ में से, लगभग 20 फीसदी जगह पर 3 प्रतिशत या उससे कम अंक के अंतर से जीत निर्धारित किए गए थे। “

( पलियथ विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं। )

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 17 जनवरी, 2019 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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