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जीरानिया रेलवे स्टेशन, पूर्वोत्तर भारतीय शहर, अगरतला से लगभग 20 किमी (12 मील) पश्चिम, पर एक नए रेलवे ट्रैक का काम करते श्रमिक

*आठ पूर्वोत्तर राज्यों में, सामूहिक रूप से, भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई का 12 फीसदी है, हालांकि देश की आबादी का लगभग 3.8 फीसदी ही इन राज्यों में रहता है।

*केवल असम की राजधानी (गुवाहटी) एवं त्रिपुरा (अगरतला) ही रेल माध्यम से जुड़े हुए हैं।

*भारत में त्रिपुरा – उत्तर प्रदेश के साथ – में सर्वोच्च बिजली की कमी, 15.6 फीसदी, है। 15.3 फीसदी के साथ मेघालय दूसरे स्थान पर है।

पूर्वोतर राज्यों पर इस तीन लेख श्रृंखला के पहले भाग में हमने विकास दर, बेरोज़गारी एवं गरीबी का विश्लेषण किया था।

दूसरे भाग में हम बुनियादी ढ़ांचे, जैसे कि राजमार्ग, रेलवे, विमानन और बिजली पर चर्चा करेंगे।

पूर्वोत्तर में भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों का 12 फीसदी है लेकिन अन्य सड़कों में पिछड़ा है

पूर्वोत्तर में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 9,525 किमी है, भारत के कुल राजमार्ग लंबाई का 12 फीसदी। आठ राज्यों में 31 मिलियन आबादी के साथ असम की राष्ट्रीय राजमार्गों में 30.9 फीसदी की हिस्सेदारी है। कम से कम 42 फीसदी राज्य राजमार्ग असम में बनाए गए हैं।

राष्ट्रीय राजमार्गों में सिक्किम की हिस्सेदारी 0.1 फीसदी की है एवं 610,577 लोग यहां रहते हैं।

पूर्वोत्तर भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग, 2013

प्राइसवाटरहाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) भारत, एक संस्था, और इंडियन चैम्बर ऑफ कामर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इन राज्यों में प्रति व्यक्ति सड़क घनत्व उच्च होने के बावजूद सड़क अवसंरचना अपर्याप्त हैं।

2008 से 2013 के बीच राज्य राजमार्गों की लंबाई 2.2 फीसदी, 6,936 किमी से 7,089 किमी बढ़ी है जबकि इसी अवधि के दौरान राज्य राजमार्गों में 8.4 फीसदी का विस्तार किया गया है।

पूर्वोत्तर भारत में राज्य राजमार्गों की लंबाई

भारत के राज्य राजमार्गों में पूर्वोतर की हिस्सेदारी केवल 4.1 फीसदी है।

पीडब्ल्यूसी इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार गांव और जिला सड़कें पूर्वोत्तर राज्यों में पूर्व प्रमुख हैं।

जबकि अधिकांश राज्यों में राज्य राजमार्गों की लंबाई में वृद्धि या कोई बदलाव नहीं देखा गया है, मेघालय में गिरावट देखी गई है, 2008 में 1,134 किमी से गिरकर 2013 में 858 किमी देखा गया है। शिलांग टाइम्स में इस रिपोर्ट के अनुसार इस गिरावट का कारण वर्ष 2012 में 361 किमी राज्य राजमार्गों का राष्ट्रीय राजमार्ग में परिवर्तित होना है।

यदि असम को हटा दें तो पूरे पूर्वोतर में मुंबई से भी कम रेलवे हैं

यदि आठों पूर्वोत्तर राज्यों को एक साथ देखा जाए तो कुल रेलवे ट्रैक की लंबाई 2,646 किमी है। यह केवल ओडिसा के 2,516 किमी रेलवे ट्रैक की लंबाई से अधिक है। भारतीय रेलवे के आंकड़ों के अनुसार लगभग सभी पूर्वोत्तर रेलवे असम में है – 179 किमी। यह मुंबई की लोकल रेल लाइनों की लंबाई का 59 फीसदी है।

पूर्वोत्तर भारत में रेल नेटवर्क

पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए रेल मंत्रालय ने 2015-16 के बजट में 5,338 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।

पूर्वोत्तर में रेलवे नेटवर्क बढ़ाने से कुछ पड़ोसी देशों जैसे कि बंग्लादेश और और म्यांमार के साथ व्यापार मार्गों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

पूर्वोत्तर में रेलवे का निर्माण करना मुश्किल है क्योंकि अधिकांश राज्य (अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और मिजोरम) पहाड़ियों पर स्थित हैं।

वायु संपर्क भी कमज़ोर; अरुणाचल , सिक्किम कोई हवाई अड्डा नहीं है

आठ पूर्वोत्तर राज्यों के नौ हवाई अड्डे हैं। तीन हवाई अड्डे अरुणाचल प्रदेश के होलोंगी , तेजू और तवांग में निर्माणाधीन हैं जहां अब तक कोई हवाई अड्डा नहीं है।

पूर्वोत्तर भारत में हवाई अड्डे, 2014

सिक्किम में, जहां अब तक कोई हवाई अड्डा नहीं है, कुछ समय पहले पैकयॉंग में हवाई अड्डा निर्माण का काम शुरु हुआ था लेकिन दिसंबर, 2013 में वहां के स्थानीय ग्रामीणों के विरोध एवं पुनर्वास और मुआवजे की मांग के बाद काम रोक दिया गया है।

बिजनेस स्टैंडर्ड के इस रिपोर्ट के अनुसार, सिक्किम सरकार ने कहा कि इन मुद्दों को अगस्त 2015 से सुलझा लिया जाएगा और हवाई अड्डा सितंबर 2017 से शुरु हो जाएगा।

भारत में, त्रिपुरा में सबसे अधिक बिजली की कमी; सिक्किम देश का एकमात्र बिजली सरप्लस राज्य

इंडियास्पेंड ने पहले भी अपनी खास रिपोर्ट में बताया है कि सिक्किम को छोड़ कर आठो पूर्वोतर राज्यों में बिजली की कमी है। सिक्किम में बांधों की एक श्रृंखला का निर्माण किया गया है एवं बिजली का निर्यात भी किया जा रहा है। यह काफी अलग बात है कि बांध निर्माण कार्यक्रम कर्ज एवं घोटालों में उलझा पड़ा है। इस संबंध में भी इंडियास्पेंड ने विस्तार से चर्चा की है।

एक बार फिर स्पष्ट होता है कि उत्तर-पूर्वी राज्यों के बीच व्यापक बदलाव है जैसा कि हमने इस श्रृंखला के पहले भाग में बताया है। त्रिपुरा और मेघालय भारत के सबसे बिजली की कमी वाले राज्यों में आते हैं। सिक्किम भारत के एकमात्र बिजली सरप्लस राज्य है।

पूर्वोत्तर भारत में बिजली की स्थिति, 2014-15

पूर्वोत्तर भारत में बिजली की कमी, 2014-15

बिजली के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लिए वर्ष 2015-16 में 680 करोड़ रुपए का आवंटन किया है।

429.7 मेगावाट के साथ क्षेत्र में असम के पास उच्चतम विद्युत क्षमता है एवं 356.6 मेगावाट के साथ मेघालय दूसरे स्थान पर है।

बिजली के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र की कार्य योजना के विकास मंत्रालय के अनुसार पनबिजली के विकास में प्रमुख मुद्दे पर्यावरण और वन संबंधी मंजूरी, भूमि अधिग्रहण, बुनियादी ढांचे और लंबी अवधि के वित्तपोषण के विकास में देरी होना है।

यह तीन श्रृंखला लेख का दूसरा भाग है। कल तीसरा भाग प्रकाशित किया जाएगा।

(सालवे इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक है। पंडित इंडियास्पेंड के साथ इंटर्न हैं एवं सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई की छात्रा हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 02 फरवरी 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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