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मुंबई में रेलवे प्लेटफार्म पर आंतकवाद के खिलाफ प्रदर्शन करते कॉलेज के छात्र। आतंकवाद से सबसे ज्यादा कुप्रभावित 10 देशों में छह एशिया के देश हैं और उसमें भारत एक है। वर्ष 2015 में, भारत में कम से कम 797 आतंकवादी हमले हुए है। वर्ष 2014 की तुलना में यह आंकड़े 4 फीसदी ज्यादा हैं।

ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में स्थित एक संस्था,इन्स्टटूट फॉर इकोनोमिक्स एंड पीस द्वारा जारी वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (जीटीआई) -2016 के अनुसार, वर्ष 2015 में आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में भारत सातवें स्थान पर है।

आंतकवाद से सबसे ज्यादा पीड़ित विश्व के दस देशों में एशिया के छह देश हैं और उसमें भारत भी है।

04 दिसंबर 2016 को आयोजित ‘द हार्ट ऑफ एशिया कान्फ्रेन्स’ में अमृतसर के उस घोषणा का समर्थन किया गया, जिसमें आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, कट्टरता, अलगाववाद, और सांप्रदायिकता और उनके बीच संबंधों को क्षेत्रों द्वारा सामना किए जा रहे गंभीर चुनौतियों के रुप में पहचान की गई है।

घोषणा में आईएसआईएस और उसके सहयोगी संगठनों जैसे कि हक्कानी नेटवर्क, अल कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे घृणित हिंसा के संबंध में चिंता व्यक्त की गई है।

वर्ष 2015 में, भारत में आतंकी हमले से मरने वालों की संख्या 289 दर्ज की गई है। वैसे इस साल मारे गए भारतीय सेना और अर्द्धसैनिक बलों के सैनिकों की संख्या आठ सालों में सबसे ज्यादा है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 29 नवंबर 2016 को विस्तार से बताया है।

अपने देश में वर्ष 2015 में, कम से कम 797 आतंकवाद की घटनाएं दर्ज की गई हैं। ये आंकड़े वर्ष 2014 की तुलना में 4 फीसदी अधिक है।

हालांकि, वर्ष 2000 के बाद से वर्ष 2015 में सबसे ज्यादा हमले हुए हैं, लेकिन इनमें से 80 फीसदी हमलों में नुकसान न के बराबर था। इन हमलों से अलग-अलग 49 आतंकवादी गुट जुड़े हुए थे। इनमें से 31 गुट अपने नापाक मकसद को पूरा न कर पाए। इन 31 गुटों के हमले में जान की क्षति नहीं हुई। रिपोर्ट में इन हमलों का निष्कर्ष तो यही है कि ये आतंकवादी गुट सेना को उत्तेजित किए बिना सरकार को अपनी मौजूदगी का अहसास करा रहे थे।”

दुनिया भर में हुए कुल आतंकवादी हमलों में से 7 फीसदी भारत में हुए हैं। इस मामले में भारत चौथे स्थान पर है। 20 फीसदी के साथ इराक पहले, 14 फीसदी के साथ अफगानिस्तान दूसरे और 18 फीसदी के साथ पाकिस्तान तीसरे स्थान पर है। वर्ष 2015 में, भारत में हुए आंतकवादी हमलों की संख्या केवल इराक, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से कम रही है। भारत में 797 हमले हुए, जबकि इराक में 2,415, अफगानिस्तान में 1,715 और पाकिस्तान में 1008 आंतकी हमले हुए। सीरिया में हुए 384 आतंकी घटनाओं की तुलना में भारत में हमलों की संख्या दोगुना है।

जीटीआई रिपोर्ट कहती है कि विश्व स्तर पर आतंकी हमलों से होने वाली मौतों में 10 फीसदी की कमी हुई है। हालांकि वर्ष 2014 में मौतों की संख्या बहुत ज्यादा रही है - 32,765। 2015 में आंतकी हमलों से होने वाली मौतों की संख्या 29,376 रही है।

किसी देश के लिए जीटीआई स्कोर आतंकवादी घटनाओं, मौत, घायल होने की कुल संख्या और उसी वर्ष हुए संपत्ति के नुकसान के आधार पर तय होती है। सूचकांक में उन हमलों पर भी ध्यान दिया जाता है जो पिछले चार वर्षों में हुए हैं।

आंतकी हमले में हुई मौतें

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Source: 2016 Global Terrorism Index, Institute for Economics & Peace

वर्ष 2015 में, इराक और नाइजीरिया में आतंकी से होने वाली मौतों में 32 फीसदी की कमी हुई है और इससे वैश्विक स्तर पर होने वाली मौतों में 41 फीसदी की कमी हुई है। वर्ष 2014 में, विश्व स्तर पर आंतकवाद से मरने वालों में से 53 फीसदी मौतें दोनों देशों में हुई थीं।

16 सालों में आतंकवाद से 635 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान

वर्ष 2000 से 2015 तक, 16 वर्षों के दौरान आतंकवाद का वैश्विक आर्थिक कुप्रभाव 635 बिलियन डॉलर रहा है। यह राशि मिस्र और मलेशिया के वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बराबर है। जीटीआई रिपोर्ट कहती है कि नुकसान में कमी आई है।

आतंकवाद का आर्थिक प्रभाव

Source: Global Terrorism Index, 2016, Institute for Economics & Peace (In $ billion, at constant 2015 prices)

देश के सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में आतंकवाद का आर्थिक प्रभाव सबसे ज्यादा इराक में रहा है। करीब 17.3 फीसदी। दूसरे और तीसरे स्थान पर अफगानिस्तान (16.8 फीसदी) और सीरिया (8.3 फीसदी) रहे हैं।

कुल मिलाकर, वर्ष 2015 में हिंसक संघर्ष से वैश्विक अर्थव्यवस्था में 13.6 ट्रिलियन डॉलर या वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 13.3 फीसदी का नुकसान हुआ है।

ओईसीडी देशों में आतंक से जुड़ी मौतों में 650 फीसदी की वृद्धि

दुनिया के सबसे विकसित देशों के समूह ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (ओईसीडी) आतंकवाद से होने वाली मौतों में 650 फीसदी की वृद्धि का गवाह है। वर्ष 2014 में जहां ये आंकड़े 77 थे वहीं 2015 में यह बढ़ कर 577 हुए हैं। 2001 में 11 सितंबर के हमलों के बाद से 35 देशों के इस गुट के लिए यह सबसे खराब साल रहा है।

वर्ष 2015 में, ओईसीडी के सदस्य तुर्की में 337 मौतें हुई हैं। यह आंकड़े ओईसीडी देशों में सबसे ज्यादा हैं। वर्ष 2015 में, तुर्की में अलगाववादी कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) और आईएसआईएस द्वारा हमलों के कारण आतंकवादी हिंसा में वृद्धी हुई है।

रिपोर्ट कहती है, कि 14 वर्षों में, वर्ष 2015 की शुरुआत तक फ्रांस में प्रतिवर्ष आतंकवाद से संबंधित मौत का औसत एक था। वर्ष 2015 में, फ्रांस में आंतकी हमले में 161 लोगों की मौतें हुईं। इसमें नवंबर, 2015 में पेरिस हमलों में हुए 136 मौतें और चार्ली हेब्दो हमले मारे गए लोग शामिल हैं। इसके साथ ही विकसित दुनिया के बीच यह आतंकवाद का शिकार हुआ दूसरा सबसे बड़ा देश माना गया। ओईसीडी देशों में हुए कुल हमलों में से आधे से अधिक आईएसआईएस द्वारा किए गए या प्रेरित थे। ब्रसेल्स, इस्तांबुल, नाईस और ऑरलैंडो में हुए हमलों के साथ यह प्रवृति वर्ष 2016 में जारी रही है। इन हमलों में करीब 211 लोगों की जान गई है।

आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित इराक

वर्ष 2015 में आंतकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित देश इराक रहा है। 2015 में, इराक में 2,415 घटनाएं हुई हैं जिसमें 6960 लोग मारे गए और 11,900 घायल हुए हैं। अफगानिस्तान और नाइजीरिया, 5312 और 4,940 मौतों के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे हैं।

वैश्विक आंतकवाद सूचकांक

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Source: Global Terrorism Index, 2016, Institute for Economics & Peace

जीटीआई स्कोर घटनाओं, मौत, चोटों और कुल संपत्ति के नुकसान की संख्या की हिस्सेदारी से आतंकवादी घटनाओं के प्रभाव पर आधारित है।

वर्ष 2015 में, 1,086 मौतों की संख्या के साथ पाकिस्तान चौथे स्थान पर है। वर्ष 2014 के बाद से इन आंकड़ों में 38 फीसदी की गिरावट हुई है। रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान में आतंकवाद अफगानिस्तान क्षेत्र के सीमा से देश के अन्य भागों में गया है, विशेष रूप से पंजाब प्रांत जो भारत की सीमा से जुड़ा है।

पाकिस्तान में आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से पिछले 15 वर्षों में आतंकवाद से पाकिस्तान में 118 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने अगस्त 2016 में विस्तार से बताया है।

आईएसआईएस दुनिया का सबसे खतरनाक समूह

वर्ष 2015 में 6141 मौतों की संख्या के साथ आईएसआईएस ने दुनिया के सबसे घातक आतंकवादी समूह के रूप में अफ्रीकी से जुड़े बोको हराम को पीछे छोड़ दिया है। आईएसआईएस ने अपने हमले का विस्तार किया है और हाल के दिनों में शिकार देशों की संख्या बढ़ी है। वर्ष 2014 में छह थे। वर्ष 2015 में इस आतंकवादी संगठन ने 11 देशों पर हमला किया।

दुनिया के सबसे खतरनाक आंतकी समूह, 2015

Source: Global Terrorism Index, 2016, Institute for Economics & Peace

वर्ष 2015 में अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा किए गए आतंकवादी हमलों में कम से कम 4502 लोगों की जान गई थी। वर्ष 2014 के बाद से इस संख्या में 29 फीसदी की वृद्धि हुई है।

अफगानिस्तान में हुई हिंसा में वृद्धि से भारत पर सहायता के रुप में 2 बिलियन डॉलर का बोझ आ सकता है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने जुलाई 2015 में विस्तार से बताया है।

(सेठी स्वतंत्र लेखक और रक्षा विश्लेषक हैं, मुंबई में रहते हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 09 दिसम्बर 2016 indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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