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उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में ताज महल के पास अपने घर की छत पर पतंग उड़ाता एक शख्स। उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में चार में से एक झुग्गी बस्तियों में रहते हैं। यदि आंकड़ों की बात करें तो शहरी क्षेत्रों में रहने वाले 345 लाख लोगों में से 85 लाख लोग झुग्गयों में रहते हैं। राज्य के शहरों और कस्बों में बेघर लोगों का अनुपात सबसे अधिक है। करीब 18.5 फीसदी।

भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के 53 जिलों में, शहरी गरीबों के लिए बनने वालों 24,310 घरों में से 27 फीसदी से अधिक का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। हालांकि मकानों के निर्माण के लिए 60 फीसदी राशि जारी की जा चुकी है। यह जानकारी राज्य सरकार की ओर से जारी किए नए आंकड़ों में सामने आई है। गौर हो कि इसमें अगस्त 2016 तक के आंकड़े लिए गए हैं।

आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य सरकार के मुफ्त आवास योजना आसरा के तहत 6,442 घरों के निर्माण का कार्य पूरा होने के अलावा शहरी गरीबों के लिए राज्य सरकार की मुफ्त आवास कार्यक्रम के तहत अब तक 5,500 घरों (23 फीसदी) का निर्माण शुरु नहीं हुआ है जबकि 12,248 (50 फीसदी) घर निर्माणाधीन हैं। सूचना के अधिकार के तहत उत्तर प्रदेश के शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा 25 मई 2015 को प्राप्त की गई जानकारी के मुताबिक इन सभी घरों का निर्माण कार्य नवंबर 2016 तक पूरे होने थे।

उत्तर प्रदेश की शहरी गरीब सहायता कार्यक्रम को सहायता की जरुरत

Source: Programme Implementation Department, Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले 345 लाख लोगों में से 85 लाख लोग लोग झुग्गयों में रहते हैं। राज्य के शहरों और कस्बों में बेघर लोगों का अनुपात सबसे अधिक है। करीब 18.5 फीसदी।

आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार मई 2015 तक एक भी घर का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ था। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने जून 2015 में विस्तार से बताया है। हाल ही में कुछ घरों का निर्माण कार्य पूरा होने से इस दिशा में कुछ प्रगति का संकेत तो मिलता है, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आवास योजना लुढ़कते हुए चल रही है। यह भी दिलचस्प है कि सरकार को जो आंकड़े सौंपे गए हैं, वे गलत हैं।

निर्माणाधीन घरों, पूरे तरह बन चुके घर और घरों के निर्माण कार्य शुरु होने आंकड़े घर बनानें के लक्ष्य से मेल नहीं खाते हैं। आंकड़ों में इन विसंगतियों के साथ, इस परियोजना की प्रगति का अनुमान लगाना मुश्किल है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 तक शहरी गरीबों के लिए बीस लाख घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा है। ऐसे में आसरा कार्यक्रम यह खुलासा करता है कि किस प्रकार सरकार द्वारा चलाए जा रहे आवास के प्रयासों में सुस्ती है। ऐसे में प्रधानमंत्री को लक्ष्य का क्या होगा?

हमने देखा कि आगरा में इससे पहले की सरकार द्वारा चलाए जा रहे मान्यवर कांशीरामजी शहरी गरीब आवास योजना के तहते गरीबों के लिए बनाए जा रहे आवास कॉलोनी की स्थिति बुरी है। कॉलोनी में भरी हुई नालियां, खुले सीवेज, टूटी पाइप और गंदे फर्श और सेप्टिक टैंक टूटे हुए हैं और वहां रहने वाले लोग निराश हैं।

बजट का 60 फीसदी जारी, आवास मंत्री के जिले में सबसे बड़ा लक्ष्य

आसरा का बजट 1,370 करोड़ रुपए का है। इसमें से 826.86 करोड़ रुपए (60 फीसदी) जारी किए जा चुके हैं। 582 करोड़ रुपए घरों और संबंधित बुनियादी ढांचे के निर्माण पर खर्च किया गया है।

हालांकि, उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में कार्यक्रम आधिकारिक तौर पर शुरु कर दिया गया है, लेकिन अगस्त तक 15 जिलों को निर्माण लक्ष्यों नहीं सौंपा गया था। ध्यान देने की बात है कि निर्माण लक्ष्यों के बगैर ही इनमें से दो जिलों को घरों के निर्माण के लिए राशि दे दी गई थी।

उत्तर प्रदेश के कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग की वेबसाइट के अनुसार, सोनभद्र के पूर्वी जिले में 63 लाख रुपए खर्च किया गए हैं लेकिन वहां एक भी घर निर्माणाधीन नहीं है और न ही कोई निरमाण कार्य पूरा हुआ है।

कैसे किया जा रहा रशि खर्च

Source: Programme Implementation Department, Uttar Pradesh

रामपुर के पूर्वी जिले के लिए उच्चतम लक्ष्य 4402 घरों का निर्धारित किया गया है। गौरतलब है कि यह जिला उत्तर प्रदेश के शहरी रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन के मंत्री आजम खान का निर्वाचन क्षेत्र है। आजम खान आसरा कार्यक्रम को लागू कराने के प्रभारी भी हैं।

आजम खान को निर्वाचन क्षेत्र को सबसे बड़ी राशि भी आवंटित की गई है। दूसरी सबसे बड़ी राशि बुंदेलखंड के दक्षिणी क्षेत्र में महोबा को दी गई है।

अम्बेडकर नगर और बहरीच में कम से कम 85 फीसदी काम पूरा हुआ है। जबकि 75 फीसदी काम पूरा होने के साथ बस्ती और फैजाबाद दूसरे स्थान पर हैं। अगर उन जिलों को छोड़ दें, जहां अब तक घरों का निर्माण कार्य शुरु नहीं हुआ है, तो निर्माण कार्य की सबसे धीमी दर आगरा की है। दूसरे स्थान पर कानपुर-उपनगरीय क्षेत्र है।

हालांकि, मान्यवर कांशीरामजी शहरी गरीब आवास योजना को बदल कर नई योजना 2012-13 में शुरु की गई थी, लेकिन घरों का निर्माण कार्य पूरा होना पिछले वर्ष ही शुरु हुआ है।

मान्यवर कांशीरामजी शहरी गरीब आवास योजना की तुलना में आसरा योजना काफी नहीं है। मान्यवर कांशीरामजी शहरी गरीब आवास योजना पिछली सरकार द्वारा मायावती की अध्यक्षता में शुरु किया गया था। इस योजना के तहत 2008 से 2010 के बीच 132700 घरों का निर्माण किया गया है।

खराब गुणवत्ता और बुनियादी सुविधाओं के बावजूद, इस योजना के तहत निर्मित घरों की बेघर लोगों में मांग थी। इस संबंध में भी इंडियास्पेंड ने जून 2015 में विस्तार से बताया है।

(चतुर्वेदी एक स्वतंत्र पत्रकार है और OpinionTandoor.in पर ब्लॉगर हैं)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 10 अक्तूबर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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