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नई दिल्ली: भारत में प्रति व्यक्ति के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रति वर्ष खर्च की गई राशि 1,112 रुपये है। यह आंकड़े देश के शीर्ष निजी अस्पतालों में परामर्श पर खर्च किए जाने वाले लागत से कम है। या यूं कहें कि कई रेस्त्राओं से पिज्जा खरीदने में लगने वाले लागत से कम है। इस आंकड़े पर यह राशि 93 रुपये प्रति माह या 3 रुपये प्रति दिन होती है।

2015 में अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.02 फीसदी ( एक आंकड़ा जो 2009 से छह वर्षों में लगभग अपरिवर्तित रहा है ) खर्च करते हुए भारत का सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय दुनिया में सबसे कम है, यहां तक कि सबसे कम आय वाले देश, जो स्वास्थ्य पर अपने सकल घरेलू उत्पाद का 1.4 फीसदी खर्च करते हैं, उनकी तुलना में भी कम है, जैसा कि 19 जून, 2018 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, केंद्रीय मंत्री, जे पी नड्डा द्वारा जारी किए गए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल, 2018 से पता चलता है।

भारत में प्रति व्यक्ति के स्वास्थ्य पर खर्च किए जाने वाली राशि की तुलना में श्रीलंका करीब चार गुना ज्यादा खर्च करता है, जबकि इंडोनेशिया दोगुना ज्यादा खर्च करता है। नए आंकड़ों से पता चलता है कि स्वास्थ्य पर अपनी सकल घरेलू उत्पाद का 1.4 फीसदी खर्च करने वाले कम आय वाले देशों की तुलना में भारत सकल घरेलू उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद) का 1.02 फीसदी खर्च करता है।

मालदीव में स्वास्थ्य पर खर्च जीडीपी के बराबर अनुपात में यानी 9.4 फीसदी है, श्रीलंका में 1.6 फीसदी, भूटान में 2.5 फीसदी और थाईलैंड में 2.9 फीसदी है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, स्वास्थ्य स्थिति और स्वास्थ्य वित्त संकेतकों, और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों पर जानकारी शामिल करता है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 ने सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च को 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद का 2.5फीसदी तक बढ़ाने के बारे में बात की है, लेकिन भारत ने जीडीपी के 2 फीसदी के लक्ष्य को अभी तक पूरा नहीं किया है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने अप्रैल, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।

देशों के आय समूहों के अनुसार स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय

Source: National Health Profile, 2018

रोगियों के स्वास्थ्य सेवा के लिए निजी क्षेत्रों में जाने का एक कारण भारत का कम सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च है। 50 देशों के निम्न मध्यम आय वर्ग में भारतीय छठा सबसे बड़ा आउट-ऑफ-पॉकेट (ओओपी) स्वास्थ्य व्ययकर्ता हैं, जैसा कि हमने मई 2017 की रिपोर्ट में बताया है। विभिन्न अध्ययनों के मुताबिक, ये लागत हर साल 32-39 मिलियन भारतीयों को गरीबी रेखा के नीचे धकेलती है।

अपने स्वास्थ्य देखभाल बजट में उल्लेखनीय वृद्धि के बिना भारत में स्वास्थ्य लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल है। महत्वपूर्ण लक्ष्य हैं, शिशु मृत्यु दर को 2015-16 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 41 मौतों से 2019 तक 28 तक कम करना, मातृ मृत्यु दर 2013-14 में प्रति 100,000 जन्मों पर 167 मौतों से 2018-2020 तक 100 और 2025 तक तपेदिक को खत्म करना है।

भारत का $ 16 (1112 रुपये) स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति सलाना खर्च दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में चौथा सबसे कम है।

स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय, दक्षिण-पूर्व एशिया

Source: National Health Profile, 2018

एक सार्वजनिक संस्था ‘पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष श्रीनाथ रेड्डी ने जनवरी 2018 में इंडियास्पेंड से बातचीत में कहा था, "यदि आप सार्वजनिक वित्त पोषण में वृद्धि नहीं करते हैं, तो आप इस मानसिकता में आ जाते हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र कुछ भी नहीं कर सकता है। अगर आप इसे निजी क्षेत्र में छोड़ना चाहते हैं तो आप एक सिस्टम बनाने का मौका खो देते हैं, जो सुलभ और किफायती देखभाल प्रदान करता है, जो सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का सार है। "

कौन सा राज्य है बेहतर और कौन बद्तर ?

स्वास्थ्य खर्च से राज्यों के स्वास्थ्य प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए, इंडियास्पेंड ने स्वास्थ्य पर भारतीय राज्यों के प्रति व्यक्ति खर्च के साथ, सरकार की वैचारिक संस्था नीति आयोग की 2017-18 स्वास्थ्य सूचकांक की तुलना की है।

नीति आयोग का स्वास्थ्य सूचकांक विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य परिणामों को मापता है, जिसमें शिशु और पांच वर्ष की आयु के भीतर मृत्यु दर, जन्म पर लिंग अनुपात, टीकाकरण कवरेज, संस्थागत प्रसव और स्वास्थ्य निगरानी और प्रशासन संकेतक, जैसे कि बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन सहित अस्पताल बिस्तरों के अधिग्रहण शामिल हैं।

राज्य में 2015 में स्वास्थ्य पर जीडीपी का 4.2 फीसदी खर्च करने के साथ मिजोरम की प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य व्यय 5,862 रुपये है, जो भारतीय औसत के लगभग पांच गुना है। अरुणाचल प्रदेश में 5,177 रुपये और सिक्किम में 5,126 रुपये है और ये राज्य सूची में ऊपर हैं।

दूसरी ओर बिहार ने स्वास्थ्य पर 491 रुपये प्रति व्यक्ति खर्च किया, जो भारतीय औसत से आधा से भी कम है। राज्य ने स्वास्थ्य पर जीडीपी का 1.33 फीसदी खर्च किया है। बिहार के ऊपर मध्य प्रदेश (716 रुपये) और उत्तर प्रदेश (733 रुपये) थे।

मिजोरम नीति आयोग के स्वास्थ्य सूचकांक पर दूसरे स्थान पर है, जबकि बिहार नीचे से चौथे स्थान पर है। हालांकि, अकेले स्वास्थ्य खर्च राज्य के स्वास्थ्य प्रदर्शन में सुधार नहीं कर सकता है। नागालैंड, जिसने प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर 2,450 रुपये खर्च किए, स्वास्थ्य सूचकांक में नीचे से तीसरे स्थान पर रहा है जबकि केरल, जिसने 1,463 रुपये खर्च किए, स्वास्थ्य सूचकांक पर पहले स्थान पर है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय बनाम नीति आयोग स्वास्थ्य सूचकांक, राज्य अनुसार

Source: Niti Aayog, National Health Profile, 2018

(यदवार प्रमुख संवाददाता हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं।)

यह लेख मूलत:अंग्रेजी में 21 जून, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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