प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( बीच में) 2 अक्टूबर 2014 को नई दिल्ली में स्वच्छभारत मिशन के शुभारंभ के अवसर पर

बात यदि सफाई व्यवस्था की हो तो शायद भारत में जम्मू-कश्मीर की स्थिति सबसे बदतर है। ताजा सरकारी आकंड़ो के मुताबिक 54 फीसदी के आकंड़ो के साथ 1.2 मिलियन से अधिक परिवारों में शौचालय नहीं बने हैं। 2014-15 के घरेलू शौचालय बनाने के लक्ष्य में 86 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।

पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के बेसलाइन सर्वेक्षण 2012 के अनुसारस्वच्छता मामले में जम्मू कश्मीर का स्थान नीचे से तीसरा है। पहले और दूसरे स्थान पर उड़ीसा एवं बिहार हैं।

वर्तमान में जम्मू-कश्मीर की आबादी 12.5 मिलियन है। आकंड़ो के मुताबिक साल 2014-15 में स्वच्छता योजनाओं के लिए दिल्ली द्वारा मिले राशि में से 96 फीसदी का उपयोग नहीं किया गया। केंद्र से जम्मू कश्मीर को स्वच्छता योजना के लिए 121.52 करोड़ रुपए दिए गए थे जिसमें से केवल 4.66 करोड़ रुपए का इस्तेमाल किया गया है।

खुर्शीद अहमद शाह,सचिव (ग्रामीण विकास), के मुताबिक “ राज्य में स्वच्छता कार्यक्रम बहुत ही प्ररांभिक चरण में है। योजनाओं के सफल बनाने की ओर काफी काम किए जा रहे हैं और जल्द ही पूरे हो जाएंगे”।

लेकिन वास्तविकता ऐसी दिखाई नहीं पड़ती।

प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी की बहुचर्चित स्वच्छता कर्यक्रम, स्वच्छ भारत अभियान, जम्मू कश्मीर में काफी हद तक लागू नहीं किया गया है। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर आंशिक रुप से भारतीय जनता पार्टी द्वारा ही शासित है।

शिक्षा के लिए राज्य के एकीकृत जिला सूचना प्रणाली ( डी.आई.एस.ई सर्वेक्षण 2014-15 ) के आंकड़ों के अनुसार जम्मू कश्मीर में लड़कियों के लिए बने 6,351 स्कूलों में शौचालय नहीं हैं जबकि 8,098 लड़कों के स्कूलों में शौचालयों की कमी है।

71 फीसदी से अधिक स्कूलों में शौचालयों के नज़दीक हाथ थोने के लिए बेसिन या नल की सुविधा नहीं है।

डॉ निसार उल हसन, श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक, ने बताया कि “राज्य में शौचालयों की स्थिति बहुत खराब है और यह सिर्फ गांव तक ही सीमित नहीं है। शहरों में भी कुछ खास सुधार नहीं है। स्वच्छता के अभाव में हेपेटाइटिस ए और दस्त, विशेष रूप से बच्चों में होना आम बात है”।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, गंदे पानी के सप्लाई के कारण पिछले महीने उत्तरी कश्मीर के एक गांव से वायरल हैपेटाइटिस के 40 मामले सामने आए हैं।

निर्मल भारत अभियान के बाद शुरु हुए स्वच्छ भारत अभियान का उदेश्य वर्ष 2019 तक देश के ग्रामिण क्षेत्रों में खुले में शौच को खत्म करने का है।

शौचालय निर्माण की धीमी गति से बिमारी का डर अधिक

पर्याप्त स्वच्छता के अभाव में स्वास्थ्य खतरों, विशेष कर स्कूली छात्रों एवं परिवारों, को कम करने के लिए राज्य ने कोई खास कदम नहीं उठाए हैं।

साल 2014-15 में जम्मू-कश्मीर में 42,239 व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया है। जबकि 0.3 मिलियन शौचालय बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। शौचालय बनाने में 86 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।

सरकार ने पिछले साल 1,264 स्कूलों में शौचालय बनाने का निर्णय किया था लेकिन 87 से अधिक नहीं बनाया गया। 300 आंगनवाड़ी केंद्रों में से केवल 17 केंद्रों में शौचालय निर्माण होते देखा गया।

सर्वेक्षण के दौरान राज्य द्वारा घरों में केवल 0.13 मिलियन शौचालय बनाए गए हैं।

ऐसा पहली बार नहीं है जबि जम्मू-कश्मीर स्वच्छता योजनाओं की निर्धारित उदेश्य को पूरा करने में पीछे रह गया है।

साल 2010 से अगर सरकारी आकंड़ों पर एक नज़र डाली जाए तो पता चलता है कि घरेलू शौचालय निर्माण के निर्धारित वार्षिक लक्ष्य को पूरा करने में जम्मू-कश्मीर हमेशा लड़खड़ाता ही रहा है। पिछले पांच सालों में राज्य ने सबसे बेहतर काम साल 2010 में, निर्धारित लक्ष्य का 60 फीसद पूरा करते हुए किया था।

ऐसा पहली बार हुआ था जब राज्य ने एक ही साल में 0.1 मिलियन घरेलू शौचालयों का निर्माण किया था।

स्वच्छ भारत अभियान के वार्षिक कार्यान्वयन योजना ( 2015-16) के लिए राज्य द्वारा 9 जून को ही मंजूरी मिल गई थी। योजना के तहत एक साल में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 0.2 मिलियन शौचालयों का निर्माण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

मिले आकंड़ो के मुताबिक पहाड़ी लद्दाख क्षेत्र में जम्मू एवं कश्मीर के तीन क्षेत्रों, जम्मू, कश्मीर और लद्दाख, दो जिलों , करगिल और लेह में, कश्मीर और जम्मू डिवीजनों की तुलना में घरेलू शौचालय निर्माण में बेहतर काम किया गया है।

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम योजना को भी जम्मू-कश्मीर में ठीक प्रकार से कार्यान्वयन नहीं किया गया है। आकंड़ो के मुताबिक साल 2014-15 में 310.15 करोड़ रुपए खर्च नहीं किए गए हैं यानि निर्धारित लक्ष्य का 60 फीसदी से अधिक पूरा नहीं किया गया है।

फरवरी महीने में हुई एक बैठक में पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के वरिष्ठ कर्मियों ने बताया कि इन योजनाओं का जम्मू-कश्मीर में “बहुत कम” कार्यान्वयन किया गया है।

स्कूलों में शौचालयों, हाथ धोने के लिए बेसिन एवं पीने के पानी में कमी

सरकार के आंकड़ों के अनुसार 71फीसदी से अधिक स्कूलों में शौचालयों के पास हाथ धोने के लिए बेसिन या नल नहीं है साथ ही 9.18 फीसदी स्कूलों में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है।

(अहसान जम्मू-कश्मीर के गवर्नमेंट कॉलेज, बारामूला , में पत्रकारिता की छात्रा है)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 24 जून 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है


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