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मुंबई के एक औद्योगिक क्षेत्र में सड़क पर काम की प्रतीक्षा करते दिहाड़ी मजदूर। श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर वर्ष 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि "रोजगार वृद्धि सुस्त रही है।"

वर्ष 2015-16 में बेरोजगारी दर श्रम शक्ति का 5 फीसदी था। हम बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) के सत्ता में आने से पहले वर्ष 2013-14 में ये आंकड़े 4.9 फीसदी थे।

हाल ही में भाजपा ने अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे किए हैं। इंडियास्पेंड ने भाजपा के पांच मुख्य चुनावी वादे , रोजगार, स्वच्छ भारत, सड़क, बिजली और आतंकवाद के खात्मे, का विश्लेषण किया है। इस पर आलेखों की श्रृंखला में आज के पहले भाग में हम देखेंगे कि रोजगार सृजित करने के मामले में भाजपा सरकार का प्रदर्शन कैसा रहा है।

बेरोजगारी में वृद्धि

भाजपा ने वर्ष 2014 के आम चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में कहा था, “ कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार बीते 10 वर्षो के दौरान कोई रोजगार पैदा नहीं कर सकी, जिससे देश का विकास बुरी तरह बाधित हुआ है। बीजेपी यदि सत्ता में आई तो व्यापक स्तर पर आर्थिक सुधार करेगी और बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने और नवउद्यमियों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी”

बेरोजगारी के मुद्दे पर भाजपा की ओर से एक टीवी विज्ञापन। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में रोजगार एक मुख्य चुनावी मुद्दा रहा था।

प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचार करते हुए नरेंद्र मोदी ने तब कहा था कि भाजपा 1 करोड़ नौकरियों के लिए अवसर पैदा करेगी। मोदी ने कहा था, "यदि भाजपा सत्ता में आई तो एक करोड़ बेरोजगारों को नौकरी दी जाएगी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने नौकरियों के बारे में पिछले लोकसभा चुनाव से पहले घोषणा तो की थी, लेकिन कर नहीं पाई। " जैसा कि एक समाचार पत्र डीएनए ने नवंबर 2013 की रिपोर्ट में मोदी को उद्धृत किया है। लेकिन श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर वर्ष 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि "रोजगार वृद्धि सुस्त रही है।"

श्रम मंत्रालय द्वारा पांचवे वार्षिक रोजगार-बेरोजगार सर्वेक्षण (2015-16) की रपट में कहा गया है कि सामान्य प्रिंसिपल स्टेटस के आधार पर बेरोजगारी दर पांच फीसदी रही। सामान्य प्रिंसिपल स्टेटस के अनुसार, सर्वेक्षण से पूर्व के 365 दिनों में 183 या उससे अधिक दिन काम करने वाले लोगों को बेरोजगार नहीं माना जाता। इस सर्वेक्षण में औपचारिक एवं अनौपचारिक अर्थव्यवस्था दोनों को शामिल किया गया है। इसके अलावा सार्वजनिक रोजगार कार्यक्रमों के तहत काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों को भी शामिल किया गया।

भारत की बेरोजगारी दर (श्रम-बल प्रतिशत में)

Source: Ministry of Labour and Employment Quarterly Employment Surveys here and here

प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई 2014 से दिसंबर 2016 के बीच उत्पादन, कारोबार, निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी, परिवहन एवं आतिथ्य सेवा तथा रेस्तरां सेक्टरों में 641,000 रोजगार का सृजन हुआ। इनमें जनवरी 2016 और मार्च 2016 के बीच उत्पन्न हुई नौकरियां शामिल नहीं हैं, जिनके डेटा अनुपलब्ध हैं। तुलनात्मक रूप से, श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई 2011 से दिसंबर 2013 के बीच इन क्षेत्रों में 12.8 लाख नौकरियां उत्पन्न हुईं।

यह गैर-कृषि औद्योगिक इकाइयों से सरकार द्वारा एकत्र आंकड़ों पर आधारित है जिनके पास इन आठ क्षेत्रों में 10 या इससे अधिक श्रमिक हैं। 2016 के श्रम मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है, "इन सर्वेक्षणों को अर्थव्यवस्था के चयनित क्षेत्रों में आयोजित किया जा रहा है, जो वैश्विक कारकों और रोजगार के लिए संवेदनशील है।"

भाजपा के पहले तीन साल में सृजित नौकरियां, यूपीए सरकार द्वारा अंतिम तीन साल में सृजित नौकरियों का 50 फीसदी

total jobs

Source: Ministry of Labour and Employment Quarterly Employment Surveys here and here

कम नौकरी और सामाजिक सुरक्षा

सर्वेक्षण में कहा गया है कि अस्थायी नौकरियों में वृद्धि के चलते पारिश्रमिक, रोजगार स्थायित्व एवं श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। नौकरी के मौके पैदा करने में कमी आई है

भारत के श्रम बल में बढ़ता अस्थायी श्रमिकों का अनुपात

Source: Ministry of Labour and Employment Quarterly Employment Surveys here and here
Note: Temporary workers include casual labour and contract workers.

वर्ष 2014 में भाजपा सरकार के कार्यकाल शुरू होने के पहले और बाद में ये रोजगार सर्वेक्षण किए गए हैं। इसमें भारत के कर्मचारियों के एक महत्वपूर्ण भाग की हिस्सेदारी नहीं है। ये वे लोग हैं जिनकी संख्या किसी इकाई में 10 से कम है और जो अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 के मुताबिक, अनौपचारिक क्षेत्र ने 2004-05 से 2011-12 की अवधि के दौरान 90 फीसदी नौकरियां प्रदान की हैं।

सरकारी सहायता कार्यक्रम प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत लाभार्थियों की संख्या में 24.4 फीसदी की गिरावट हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यह संख्या 2012-13 में 428,000 से गिरकर 2015-16 में 323,362 हुआ है। हम बता दें कि पीएमईजीपी क उदेश्य नए माइक्रो उद्यमों और छोटे परियोजनाओं को शुरू करने से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार पैदा करना है। हाल के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2016 तक, इस कार्यक्रम ने अतिरिक्त 187,252 नौकरियों का निर्माण किया है।

इसके अलावा, 15,768 लोगों ने 2016-17 में राष्ट्रीय शहरी जीवनरक्षक मिशन के तहत सूक्ष्म उद्यमों को खोला है। इस कार्यक्रम का उदेश्य रोजगार के अवसरों और शहरी गरीबों की आय में वृद्धि करना है। यह कार्यक्रम पिछली सरकार द्वारा वर्ष 2013 में शुरू किया गया था, लेकिन भाजपा सरकार द्वारा इसे जारी रखा गया है। यह स्पष्ट नहीं है कि इन सूक्ष्म उद्यमों ने कितने रोजगार बनाए हैं।

प्रधानमंत्री रोजगार निर्माण कार्यक्रम, 2008-16 के तहत उत्पन्न नौकरियां

Source: Lok Sabha, Press release (July 2014) and Annual report 2013-14 of the Ministry of Micro, Small & Medium Enterprises
Figures for 2016-17 are upto October 31, 2016.

श्रम मंत्रालय के त्रैमासिक रोजगार सर्वेक्षण में शामिल मुख्य आठ सेक्टरों से हासिल आंकड़ों और पीएमईजीपी के तहत अक्टूबर, 2016 तक प्राप्त आंकड़ों को मिलाकर बीजेपी के तीन वर्षो के कार्यकाल के दौरान देश में कुल 15.1 लाख रोजगार सृजित हुए. यह संख्या इससे पूर्व के तीन वर्षो के दौरान सृजित रोजगारों की संख्या (24.7 लाख नौकरियों ) से 39 फीसदी कम है।

हालांकि, आठ प्रमुख क्षेत्रों से डेटा के लिए जनवरी से मार्च 2016 तक और अक्टूबर और मार्च 2016 के बीच पीएमईजीपी आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए भाजपा शासन के दौरान रोजगार के आंकड़े कुछ हद तक कम आंके गए हो सकते हैं।

‘भाजपा सरकार के वादों की स्थिति’ का विश्लेषण करते पांच लेखों की श्रृंखला का यह पहला भाग है।

(शाह रिपोर्टर / एडिटर हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 23 मई 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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