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मुंबई में सड़क के किनारे एक सब्जी विक्रेता के स्टाल पर डिजिटल बटुआ कंपनी ‘पेटीएम’ का विज्ञापन। नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में कैशलेस अर्थव्यवस्था बनाने का अभियान शुरु किया है। इस व्यवस्था में आने वाली पांच मुख्य बाधाओं की हमने पहचान की है।

27 नवंबर, 2016 को उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी भारतीयों को कैशलेस लेनदेन से परिचित होने की अपील की।

https://twitter.com/BJP4India/status/802875830275690496

उसी दिन अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के दौरान उन्होंने कहा कि “सब सीखें कि डिजिटल अर्थव्यवस्था कैसे काम करती है। अलग अलग तरीकों से आप अपने बैंक खातों और इंटरनेट बैंकिंग का कैसे उपयोग कर सकते हैं, यह जानें। जानें कि कैसे प्रभावी ढंग से अपने फोन पर विभिन्न बैंकों की एप्प का उपयोग कर सकते हैं। बिना नकद के अपना व्यापार कैसे चला सकते हैं, यह सीखें। कार्ड से भुगतान और भुगतान की अन्य इलेक्ट्रॉनिक साधनों के बारे में जानें। मॉल जाएं और देखें कि वे कैसे कार्य करते हैं। कैशलेस अर्थव्यवस्था सुरक्षित है, यह साफ है। भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था की दिशा में ले जाने के लिए आपकी भूमिका महत्वपूर्ण है।”

कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और उनके कैबिनेट मंत्रियों ने अब सोशल मीडिया पर लोगों को जागरूक करेने के लिए प्रयास शुरू कर दिया है। इस कैसलेस लेनदेन में ई-बैंकिंग (कंप्यूटर बैंकिंग या मोबाइल फोन पर), डेबिट और क्रेडिट कार्ड, कार्ड स्वाईप, " प्वाईंट ऑफ सेल्स (पीओएस)" मशीन और डिजिटल बटुआ शामिल है।

https://twitter.com/PMOIndia/status/803228051387523072

https://twitter.com/PMOIndia/status/803228154328322049

https://twitter.com/PMOIndia/status/803228335790690304

https://twitter.com/PMOIndia/status/803228558944387072

https://twitter.com/PMOIndia/status/803229320135086080

प्रधानमंत्री मोदी की पहली कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर कदम उठाने के चार दिनों बाद उनके कैबिनेट मंत्रियों और मंत्रालयों द्वारा किए गए यह कुछ ट्वीट ये हैं :

https://twitter.com/rsprasad/status/803541104951865344?s=03

https://twitter.com/PrakashJavdekar/status/803240349267202048

https://twitter.com/CimGOI/status/803563594717663232

https://twitter.com/smritiirani/status/803271615152852992

https://twitter.com/PiyushGoyal/status/803546860178776064

यहां इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या अमरीका से ज्यादा, लेकिन स्मार्टफोन, इंटरनेट की पहुंच अब भी कम

बिजनेस स्टैंडर्ड में छपे एक विश्लेषण के अनुसार, भारत में 68 फीसदी लेन-देन नकद में किया जाता है। हालांकि अन्य विश्लेषणों में नकद लेन-देन का अनुमान 90 फीसदी किया गया है। मोदी की भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने में पांच मुख्य बाधाएं हैं:

1. 34.2 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता, 27 फीसदी भारतीय करते हैं इंटरनेट का उपयोग: निवेश फर्म क्लीनर पर्किंस कौफील्ड एंड बायर्स की इस जून 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल के शुरुआत में, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के मामले में भारत अमरीका से ऊपर पहुंच गया है। इसके साथ ही भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या वाला देश बन गया है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में 34.2 करोड़ इंटरनेट ग्राहक ( 27 फीसदी इंटरनेट की "प्रवेश दर") हैं। वैश्विक औसत 67 फीसदी है जैसा कि इंडियास्पेंड ने मार्च 2016 में विस्तार से बताया है। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की अर्थव्यवस्था पिछड़ी हुई है और नाइजीरिया, केन्या, घाना और इंडोनेशिया जैसे देशों की तुलना में भारत का प्रदर्शन बदतर है।

दूसरे तरीके से देखा जाए तो 73 फीसदी या 91.2 करोड़ भारतीयों के पास इंटरनेट की पहुंच नहीं है। जो लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, उनमें से 13 फीसदी (या 83.3 करोड़ में से 10.8 करोड़ जो ग्रामीण इलाकों में रहते हैं) तक ही ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। 8 नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपए को अमान्य घोषित करने के सबसे ज्यादा प्रभाव ग्रामीण इलाकों पर पड़ा है। शहरी क्षेत्रों में 58 फीसदी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।

2. वयस्कों में स्मार्टफोन उपयोग की दर 17 फीसदी: बैंकों के अधिकाश एप्लिकेन के लिए स्मार्टफोन होना जरुरी है। प्यू रिसर्च द्वारा की गई इस 2016 सर्वेक्षण के अनुसार, एशिया-प्रशांत का सबसे तेजी से बढ़ता स्मार्टफोन बाजार भारत है है। कम आय वाले परिवारों में केवल 7 फीसदी वयस्कों के पास स्मार्टफोन है, जबकि अमीर परिवारों के लिए यह आंकड़ा 22 फीसदी है।

3. 102 करोड़ मोबाइल सदस्यता, लेकिन केवल 15 फीसदी के पास है ब्रॉडबैंड इंटरनेट: नवंबर 2016 की इस ट्राई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 102 करोड़ वायरलेस सदस्यता है, लेकिन निष्क्रिय और डुप्लीकेट कनेक्शन के आंकड़े निकालने के बाद भरत में केवल 93 करोड़ (90 फीसदी) सक्रिय उपभोक्ता हैं। इनमें से इनमें से, 15.4 करोड़ ग्राहकों (15 फीसदी) के पास ब्रॉडबैंड कनेक्शन (3 जी + 4 जी) है।

4. मोबाइल पर औसप पेज लोड समय 5.5 सेकंड, चीन में 2.6 सेकंड: एक वैश्विक सामग्री वितरण नेटवर्क सेवा प्रदाता, अकामाई टेक्नोलॉजीज द्वारा जारी रिपोर्ट " स्टेट ऑफ द इंटरनेट Q1 2016 " के अनुसार, बारत में मोबाइल फोन पर एक पेज लोड होने का औसत समय 5.5 सेकंड है जबकि चीन में 2.6 सेकंड, श्रीलंका में 4.5, बांग्लादेश में 4.9 और पाकिस्तान में 5.8 सेकंड है। इसराइल में पेज लोड होने का समय सबसे तेज, 1.3 सेकंड है।

अमेरिकी बहुराष्ट्रीय, ओरेकल मैक्समाइजर (ओरेकल द्वारा एक वेबसाइट अनुकूलन उपकरण) के उपयोगकर्ताओं के एक ऑनलाइन लेनदेन से पहले दो सेकेंड रुकने की रिपोर्ट के साथ मोबाइल इंटरनेट की गति उपयोगकर्ताओं का बैंकिंग लेन-देन के लिए उनके फोन का उपयोग करने की संभावना कम करेगा। हालांकि, 68 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि वे बैंक की वेबसाइट या मोबाइल साइट लोड करने के लिए पृष्ठों या छवियों के लिए छह सेकंड प्रतीक्षा नहीं करेंगे।

5. प्रति 10 लाख 856 पीओएस मशीन: अगस्त 2016 की भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 14.6 पीओएस मशीन उपयोग में हैं, यानी प्रति 10 लोगो पर 856 पीओएस मशीन है। 2015 में, ब्राजील में, जहां की आबादी भारत से 84 फीसदी कम है, वहां 39 गुना (32,995) ज्यादा मशीनें थी। यह जानकारी एक संस्था अर्न्स्ट एंड यंग की 2015 की इस रिपोर्ट में सामने आई है। चीन और रुस में प्रति 10 लाख लोगों पर 4,000 पीओएस मशीन का दर है। ‘अर्न्स्ट एंड यंग’ रिपोर्ट कहती है कि 70 फीसदी से ज्यादा पीओएस टर्मिनल भारत के 15 सबसे बड़े शहरों में स्थापित हैं, जो 75 फीसदी से ज्यादा लेनदेन का योगदान करते हैं। नोटबंदी के बाद भी इसमें बदलाव नहीं आया है।

एक प्रमुख निजी क्षेत्र के बैंक के साथ काम करने वाले एक बैंकर ने 29 नवंबर, 2016 को इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अधिकांश पीओएस मशीन के लिए अनुरोध "टीयर 1" या महानगर शहरों के लिए है। उन्होंने बताया कि, "टियर 2 शहरों में अब ग्राहक धीरे-धीरे अपने डेबिट कार्ड का उपयोग पैसे निकालने की जगह भुगतान करने के लिए कर रहे हैं। मांग धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। "

बैंकों और पीओएस टर्मिनल के निर्माताओं के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में सरकार 12.5 फीसदी ​​उत्पाद शुल्क और इन मशीनों पर 4 फीसदी विशेष उत्पाद शुल्क माफ कर दिया है। मार्च 2017 तक अतिरिक्त 10 लाख पीओएस मशीन स्थापित करने की उम्मीद है।

(साहा एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। वह ससेक्स विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज़ संकाय से वर्ष 2016-17 के लिए जेंडर एवं डिवलपमेंट के लिए एमए के अभ्यर्थी हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 3 दिसंबर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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