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मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में एक अपशिष्ट उपचार संयंत्र के बाहर स्वच्छ सर्वेक्षण संदेश का एक बैनर। यह एक शहरी सर्वेक्षण है, जो स्वच्छता परिणाम जानने की दृष्टि से हर साल किया जाता है। भारत भर में 434 शहरों और कस्बों में किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक गुजरात और मध्य प्रदेश के ज्यादातर शहर भारत के टॉप 50 साफ-सुथरे शहरों में शामिल हैं।

स्वच्छ सर्वेक्षण -2017 के अनुसार, गुजरात और मध्य प्रदेश के ज्यादातर शहर भारत के टॉप 50 साफ शहरों में शामिल हैं। हाल में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार गुजरात के 12 और मध्य प्रदेश के 11 शहर देश के सबसे साफ-सुथरे शहरों में से हैं। यह एक वार्षिक सर्वेक्षण है। इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों को खुले में शौच मुक्त बनाने और नगरपालिका द्वारा घर-घर जाकर कचरे को एकत्र करने , उसका प्रसंस्करण करने और उसके निपटान में सुधार के लिए प्रयासों को बढ़ावा देने और प्रयासों के आधार पर परिणामों की जानकारी हासिल करना है।

शहरी आबादी के 60 फीसदी का प्रतिनिधित्व करने वाले 434 शहरों और कस्बों में मध्य प्रदेश के इंदौर को सबसे स्वच्छ शहर माना गया है।

शहरों और कस्बों पर निर्णय निवासियों के खुले में शौच-मुक्त की आदत और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, नागरिक प्रतिक्रिया और स्वतंत्र अवलोकन के आधार पर किया गया है।

हालांकि, 2016 के सर्वेक्षण में नगरपालिका निकायों के आत्म मूल्यांकन आंकड़ों के लिए 1,000 अंक थे, स्वतंत्र मूल्यांकन के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों के लिए 500 अंक और नागरिक प्रतिक्रिया के लिए 500 अंक थे।

2017 के सर्वेक्षण में नगर निगम के निकायों द्वारा प्रदान किए गए आंकड़ों के लिए अधिकतम 90 0 अंक,स्वतंत्र मूल्यांकन के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों के लिए 500 अंक और नागरिक प्रतिक्रिया के लिए 600 अंक तय किया गया था। और इसी आधार पर शहर और कस्बों का सर्वेक्षण किया गया।

हालांकि प्रदर्शन का साल-दर-साल सीधी तुलना संभव नहीं है।

स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 के लिए स्वच्छता पर कम से कम 37 लाख नागरिकों ने प्रतिक्रिया दी है, जबकि गुणवत्ता आश्वासन के लिए एक स्वायत्त सरकारी निकाय भारत की गुणवत्ता परिषद ने 434 शहरों और कस्बों में स्वच्छता के ऑन-साइट निरीक्षण के लिए 421 निर्धारकों को तैनात किया और सर्वेक्षण और क्षेत्र निरीक्षण की प्रगति की वास्तविक निगरानी के लिए अन्य 55 निर्धारक तैनात किए गए ।

स्वच्छता के संबंध में, क्रम में अन्य टॉप शहर कुछ इस प्रकार हैं, भोपाल (मध्य प्रदेश), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), सूरत (गुजरात), मैसूर (कर्नाटक), तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु), नई दिल्ली नगर परिषद (दिल्ली ), नवी मुंबई (महाराष्ट्र), वडोदरा (गुजरात) और चंडीगढ़। हम बता दें कि पिछले साल मैसूर सबसे स्वच्छ शहर माना गया था।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बाद मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड और छत्तीसगढ़ को शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने अक्टूबर 2014 में स्वच्छ भारत मिशन के शुभारंभ से पहले, 2014 में किए गए सर्वेक्षण की तुलना में अब काफी सुधरा हुआ माना है और इसे "मूवर्स एंड शेकर्स" के रूप में वर्णित किया है।

नायडू ने कहा कि मध्य प्रदेश और झारखंड में सर्वेक्षण किए गए सभी शहरों ने 2016 और 2014 के दौरान अपनी रैंकिंग में काफी सुधार किया है। इंदौर और भोपाल पिछले वर्ष 25वें और 21वें स्थान से पहले और दूसरे स्थान पर आए हैं।

उत्तर प्रदेश के 25 शहरों का स्थान नीचे से 50 शहरों के बीच है। नीचे से 50 शहरों में उत्तर प्रदेश के बाद, पांच-पांच शहरों के साथ राजस्थान और पंजाब का स्थान है। जबकि महाराष्ट्र के दो और हरियाणा, कर्नाटक और लक्षद्वीप के एक-एक शहर सबसे गंदे शहरों में से हैं।

साफ-सुथरे शहरों की लिस्ट में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के स्थान में काफी सुधार हुआ है। 2014 में वाराणसी 418वें स्थान पर था और इस साल 32वें स्थान पर है।

नायडू ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब और केरल को शहरी इलाकों में स्वच्छता मानकों में सुधार के प्रयासों को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

सर्वेक्षण में लिए गए 434 इलाकों में सबसे नीचे आने वाले दस शहर हैं- गोंडा (उत्तर प्रदेश), भुसावल (महाराष्ट्र), बगहा (बिहार), हरदोई (उत्तर प्रदेश), कटिहार (बिहार), बहराइच (उत्तर प्रदेश), मुक्तसर (पंजाब) और खुर्जा ( उत्तर प्रदेश )।

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 5 मई 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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