मुम्बई: दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी संस्था ‘इन्स्टटूट फॉर कंफ्लिक्ट मैनेजमेंट’ द्वारा चलाए जाने वाली दक्षिण एशियाई आतंकवाद पोर्टल के आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, वर्ष 2017 में जम्मू-कश्मीर में आतंक से जुड़ी हिंसा में मौत के आंकड़े 358 रहे हैं। यह आंकड़े 2013 की तुलना में 98 फीसदी अधिक हैं, जब आंतकवाद हिंसा में 181 लोगों की मृत्यु दर्ज की गई थी।

हालांकि, 2013 की तुलना में 2017 में मारे गए आंतकवादियों की संख्या दोगुनी रही है ( 100 की तुलना में 218 ) लेकिन 2017 में नागरिक मौतों में तेज वृद्धि हुई है, करीब 185 फीसदी। 2013 में यह आंकड़े 20 थी जबकि 2017 में 57 हुई है।

आतंकवादी हत्याओं की बढ़ती संख्या के बावजूद, आतंकवादी सुजवान सेना शिविर पर हमला करने में सफल रहे, जिसमें छह सेनाकर्मी शहीद हुए थे और एक नागरिक की मौत हो गई। हालांकि तीन आतंकवादी भी मारे गए थे।

पिछले पांच वर्षों में आतंकवादियों के हाथों 324 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं। वर्ष 2017 में आतंकवादी हमले में 83 सुरक्षाकर्मी शहीद। यानी 2013 की तुलना में 36 फीसदी की वृद्धि हुई, जब सुरक्षाकर्मियों की मौत का आंकड़ा 61 था। यह राज्य में समग्र रुप से बिगड़ती हुई सुरक्षा स्थिति को दिखाता है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-संबंधित हिंसा से हुई मौतें

Source: South Asia Terrorism Portal

2016 के मुकाबले 2017 में कुछ सुधार हुआ था। 2017 में 83 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे। यह 2016 के 88 के आंकड़ों से 6 फीसदी कम है। वहीं 2017 में 218 आतंकवादी मारे गए हैं, जो 2016 में मारे गए 165 से 32 फीसदी ज्यादा है।

भारत सरकार के पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में "सर्जिकल हमले" के बाद से एक साल में आतंकवाद से संबंधित मौतों में 31 फीसदी की वृद्धि हुई थी, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 29 सितंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।

(सेठी स्वतंत्र लेखक और भू राजनीतिक विश्लेषक हैं,मुंबई में रहते हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 14 फरवरी, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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