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भारत में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूल जाने की उम्र वाले 47 मिलियन युवा हैं जो स्कूल नहीं जाते हैं। यह जानकारी मॉन्ट्रियल, कनाडा में आधारित संयुक्त राष्ट्र की एक संस्थान, यूनेस्को इंस्ट्टयूट फॉर स्टैटिसक्स एंड ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग द्वारा एक रिपोर्ट में सामने आई है।

2016 की रिपोर्ट के अनुसार, दसवीं कक्षा के बाद 47 मिलियन ऐसे युवा पुरुष और महिलाएं हैं जो स्कूल छोड़ देते हैं।

नई दिल्ली स्थित इंस्ट्टयूट फॉर पॉलिसी रिसर्च स्टडीज़ (पीआरएस) की रिपोर्ट कहती है कि दसवीं कक्षा में नामांकन 77 फीसदी है लेकिन 11 कक्षा में नामांकन केवल 52 फीसदी है।

दसवीं के बाद ड्रॉप आऊट अधिक

Source: Institute for Policy Research Studies, 2016

रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा 11वीं से 12वीं और कॉलेज के बीच नामांकन में करीब आधी की गिरावट हुई है, हालांकि 2008-09 के बाद से सामान्य रुप से विश्वविद्यालय नामांकन में वृद्धि हुई है।

2012-13 के बाद से, उच्च शिक्षा में दाखिला लेने वाले लड़कों की संख्या में 13 फीसदी और लड़कियों की संख्या में 21 फीसदी की वृद्धि हुई है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने जुलाई 2016 में विस्तार से बताया है।

भारत में शिक्षा के लगभग हर स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (जीईआर एक वर्ष में इसी पात्र आयु वर्ग के अनुपात के रूप में छात्र नामांकन है) में एक समग्र वृद्धि इस बात की पुष्टि करते हैं कि शैक्षिक प्रणाली अधिक सुलभ हो गई है। 2007-08 की तुलना में, 2013-14 में उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में जीईआर में 13 फीसदी और 17 फीसदी की वृद्धि हुई है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा इस 2014 के सर्वेक्षण के अनुसार, इस वृद्धि के बावजूद, 6-13 आयु वर्ग के छह मिलियन बच्चों का अब भी स्कूल प्रणाली से बाहर होने का अनुमान है।

उत्तर-प्रदेश, राजस्थान और बिहार से अधिकांश बच्चे स्कूल से ड्रॉप आऊट

1.6 मिलियन स्कूल ड्रॉप आऊट बच्चों की संख्या के साथ उत्तर-प्रदेश इस संबध में सबसे ऊपर है। इसके बाद राजस्थान और बिहार का स्थान है।

2001 से 2011 के बीच,15-24 आयु वर्ग के युवा लोगों की जनसंख्या में 18 फीसदी की वृद्धि से देश के श्रम संख्या में एक तुलनीय वृद्धि हुई है, इस संबंध में इंडियास्पेंड ने जून 2014 में विस्तार से बताया है।

2013 के वैश्विक युवा बेरोजगारी की दर से अनुमान के अनुसार, भारत में, 15 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के बीच कम से कम 18 फीसदी लोग बेरोज़गार हैं, 5 फीसदी अंतरराष्ट्रीय औसत से अधिक है।

“हाल ही में शुरु किए गए कौशल विकास कार्यक्रम के पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण के लिए नामांकन के लिए कुछ न्यूनतम पात्रता की आवश्यकता होती है । 29 कार्यक्रम जो प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का हिस्सा हैं, उनमें से पांच में ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता है जिन्होंने 12वीं पास की है और चार के लिए ऐसे लोगों की आवश्यकता है जिनका शैक्षिक स्तर 12वीं से उच्च है।” इस संबंध में इंडियास्पेंड ने नवंबर 2015 में विस्तार से बताया है।

(ग्रोसचेट्टी और मुलुनी इंडियास्पेंड के साथ इंटर्न हैं)

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