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पिछले दशक की तुलना में वर्ष 2015-16 में भारतीयों ने तंबाकू का सेवन कुछ कम किया है। फिर भी नवीनतम राष्ट्रीय स्वास्थ्य डेटा के अनुसार भारत की तुलना में केवल चीन ही ऐसा देश है, जो तंबाकू का उत्पादन और खपत अधिक करता है। ज्ञात रहे, तंबाकू के सेवन से कैंसर का जोखिम अधिक बढ़ता है।

भारत में तंबाकू की खपत भारत के छह पूर्वोत्तर राज्य - मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा और असम- में सबसे अधिक है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण वर्ष 2015-16 (एनएफएचएस -4) के आंकड़ों के मुताबिक यहां औसतन 70.7 फीसदी पुरुष किसी न किसी रुप में तंबाकू का सेवन करते हैं। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से 26 प्रतिशत अधिक है।

उत्तर-पूर्व राज्यों की सूची में सबसे ऊपर मिजोरम है। मिजोरम में 15 से 49 साल के बीच के 80.4 फीसदी पुरुष और 59.2% महिलाएं तंबाकू का सेवन करती हैं। तंबाकू का सेवन करने वाले पुरुषों की रैंकिंग में 72.2 फीसदी के साथ मेघालय दूसरे, 70.6 फीसदी के साथ मणिपुर तीसरे, 69.4 फीसदी के साथ नागालैंड चौथे, 67.8 फीसदी के साथ त्रिपुरा पांचवें और 63.9 फीसदी के साथ असम छठे स्थान पर है।

मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में औसतन 37.7 फीसदी महिलाएं तम्बाकू का सेवन करती हैं। इस संबंध में राष्ट्रीय औसत 6.8 फीसदी है।

भारत में तंबाकू का उपयोग, वर्ष 2015-16

Source: National Family Health Survey, 2015-16
Note: Figures refer to tobacco use in any form in the age group 15-49 years.

‘दि लांसेट’ में प्रकाशित वर्ष 2012 मिलियन डेथ अध्ययन के अनुसार, उत्तर-पूर्वी राज्यों में कैंसर के भी उच्च मामले दर्ज हुए हैं। राज्य में 1,000 में से कैंसर से मरने वाले पुरुषों की संख्या 112 और महिलाओं की संख्या 60 है। जबकि राष्ट्रीय औसत पुरुषों के लिए 47 और महिलाओं के लिए 44 है। तंबाकू के सेवन से कैंसर, फेफड़ों की बीमारियों और हृदय संबंधी रोगों सहित कई पुराने रोगों का जोखिम बढ़ता है। केवल उत्तर-पूर्व में ही नहीं, देश भर में लाखों भारतीय तंबाकू के कारण कई जानलेवा बीमारियों की चपेट में आते हैं।

पिछले 12 महीनों में तंबाकू का सेवन करने वाले कम से कम 29.3 फीसदी महिलाओं और 30.6 फीसदी पुरुषों ने इसे छोड़ने की कोशिश की है।

एनएफएचएस -4 के मुताबिक, 44.5 फीसदी पुरुष और 6.8 फीसदी महिलाओं पर तंबाकू खपत के लिए नवीनतम राष्ट्रीय औसत 2005-06 के आंकड़ों से कम है। पिछले एक दशक में देश में तंबाकू के सेवन में कमी आई है। आंकड़ों के मुताबिक पुरुषों में 12.5 प्रतिशत और महिलाओं में 4 प्रतिशत अंक की कमी हुई है। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार, फिर भी भारत अब भी तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014 के अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2011 में, भारत में 35-69 आयु वर्ग के बीच तंबाकू से संबंधित बीमारियों से निपटने की कुल लागत 1.05 लाख करोड़ रुपए थी। यह सकल घरेलू उत्पाद का 1.16 फीसदी है और 2011 में स्वास्थ्य सेवा पर केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त खर्च से 12 फीसदी अधिक है।

सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि 15-49 आयु वर्ग की 29.3 फीसदी महिलाएं और 30.6 फीसदी पुरुष तम्बाकू उपभोक्ताओं ने सर्वेक्षण से पहले 12 महीनों में तम्बाकू छोड़ने की कोशिश की है। मिजोरम में वर्ष 2005-06 के बाद से महिलाओं और पुरुषों में तंबाकू सेवन क्रमश:1.6 प्रतिशत और 3 प्रतिशत कम हुआ है।

धूम्रपान / तम्बाकू का सेवन छोड़ने की कोशिश करने वाले भारतीय, वर्ष 2015-16

Source: National Family Health Survey, 2015-16
Note: Figures refer to those who tried to stop tobacco use in the 12 months preceding the survey (in the age group 15-49 years).

पंजाब और पुडुचेरी में तंबाकू सेवन करने वाले पुरुषों की सबसे कम संख्या दर्ज की गई है। पंजाब के लिए ये आंकड़े 19.2 फीसदी और पुडुचेरी के लिए 14.4 फीसदी हैं। हिमाचल प्रदेश, दमन और दीव, केरल, चंडीगढ़ और पुडुचेरी में, 15-49 आयु वर्ग में 1 फीसदी से भी कम महिलाएं किसी प्रकार के तंबाकू का सेवन करती हैं।

ग्रामीण भारतीय करते हैं तंबाकू का अधिक इस्तेमाल

शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में 5 से 49 साल की उम्र के बीच के पुरुष और महिलाएं- दोनों तबांकू का सेवन अधिक करते हैं। 4.4 फीसदी शहरी महिलाओं की तुलना में 8.1 फीसदी ग्रामीण महिलाएं तंबाकू का सेवन करती हैं। गांवों में पुरुषों के लिए ये आंकड़े 48 फीसदी हैं, जबकि शहरों के लिए 38.9 फीसदी।

यहां तक कि तंबाकू छोड़ने का प्रयास करने वाली ग्रामीण महिलाओं की संख्या कम है। लगभग 28.2 फीसदी। इसकी तुलना में शहरी महिलाएं तंबाकू छोड़ने को मामले को लेकर अधिक संवेदनशील हैं। शहरों में यह आंकड़ा लगभग 33 फीसदी है।

लेकिन यह प्रवृति पुरुषों में विपरीत है। गांव में रहने वाले 31.2 फीसदी और शहर में रहने वाले 29.6 फीसदी पुरुषों ने तंबाकू का सेवन छोड़ने का प्रयास किया है। सर्वेक्षण से पूर्व में 12 महीनों में किसी भी राज्य में तम्बाकू की खपत को छोड़ने का प्रयास करने वाले पुरुष और महिला तम्बाकू उपभोक्ताओं (15-49 आयु वर्ग में) के आंकड़े 50 फीसदी से अधिक नहीं है।

क्यों भारत को तम्बाकू उत्पादों पर और कर बढ़ाने की है जरूरत ?

ग्लोबल एडल्ट टूबैको सर्वेक्षण 2009-10 के मुताबिक धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करने वालों की संख्या 25.9 फीसदी है। धूम्रपान करने वालों (14 फीसदी ) की तुलना में यह करीब-करीब दोगुना है।

टाटा मेमोरियल अस्पताल के प्रोफेसर और सर्जन पंकज चतुर्वेदी कहते हैं, “भारत में लगभग 50 फीसदी कैंसर के मामलों और 90 फीसदी मुंह के कैंसर के लिए तंबाकू जिम्मेदार है। मुंह के कैंसर के आधे रोगियों की मौत निदान के 12 महीने के भीतर हो जाती है।”

मिलियन डेथ स्टडी के मुताबिक पुरुषों में 42 फीसदी कैंसर के मामले और महिलाओं में 18 फीसदी तंबाकू के कारण होती है।

अंतरराष्ट्रीय तंबाकू दिवस की पूर्व संध्या पर जारी एक बयान में, टीबी और फेफड़े के रोग के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय संघ की विशेषज्ञ मिशेल रेयेस ने कहा, “तम्बाकू उत्पादों पर कर लगाना, तंबाकू के उपयोग को कम करने के लिए एक साक्ष्य आधारित प्रयास है। हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि बीड़ी सहित सभी तंबाकू उत्पादों पर उच्चतम सामान और सेवा कर लगाया जाए। ”

(राव इंटर्न हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 31 मई 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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