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ग्रामीण छत्तीसगढ़ में एक खुला शौचालय। 2015-16 में राज्य में अधिक से अधिक 3.5 लाख शौचालय बनाए गए थे।

देशभर में रेस्टोरेंट, टेलीफोन और क्लब के बिलों पर दिखने वाला शब्द “एसबीसी”, स्वच्छ भारत सेस है, यह उन 10 उपकरों में से एक है जो सीधे केंद्र सरकार के पास जाते हैं और इनके इस वित्तीय वर्ष, 2016-17 में 1.65 लाख करोड़ रुपये ($25.3 अरब) पर पहुंचने का अनुमान है।

बजट डेटा के इंडियास्पेंड के विश्लेषण के अनुसार, 1.65 लाख करोड़ रुपये का उपकर संग्रह 2015-16 से 22% की वृद्धि है और यह 2014-15 में 83,000 करोड़ रुपये ($12.7 अरब) से दोगुना है।

इन विशेष करों के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी पिछले दशक में आई है, सरकार के ऑडिटर की इस रिपोर्ट के अनुसार कम से कम 1.3 लाख करोड़ रुपये ($26 अरब), या उपकर का 41% एकत्र किया गया लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं हुआ।

भारत का कर राजस्व 8.7% बढ़ने की उम्मीद है, 2015-16 में 18 लाख करोड़ रुपये ($277 अरब) से 2016-17 में 19.6 लाख करोड़ रुपये ($301 अरब); तो उपकर संग्रह में तेजी आने की संभावना है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पसंदीदा कार्यक्रम की फंडिंग के लिए एसबीसी या स्वच्छ भारत सेस के अलावा, अन्य उपकरों- करों के कम पहचाने जाने वाले छोटे रूप- से शिक्षा, पर्यावरण, कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर, सफाई और संचार के लिए फंड मिलना है।

राज्यों को अधिक पैसा मिलने के साथ, केंद्र ने उपकर बढ़ा दिए हैं, जो वह साझा नहीं करता

14वें वित्त आयोग ने केंद्र से राज्यों को कर राजस्व के 42% के हस्तांतरण की सिफारिश की थी, जो पहले 32% था, इससे केंद्र का कुछ राजस्व कम हुआ है। इसकी भरपाई के लिए, केंद्र ने उपकर बढ़ा दिए हैं, जो इसे राज्यों के साथ साझा करने की आवश्यकता नहीं है।

केंद्र के राज्यों को अधिक पैसा देने के साथ उपकर संग्रह दोगुना हुआ (लाख करोड़ में)

Source: Union Budget 2016-17

रेटिंग्स एजेंसी, क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री, धर्मकीर्ति जोशी ने इंडियास्पेंड को बताया, “जब राज्यों को अधिक पैसा दिया जाता है, तो केंद्र सरकार के पास राजस्व की कमी हो जाएगी, और वह विशेष उद्देश्यों पर लक्षित खर्च को प्राप्त करने के लिए आवश्यक धन उपकर जैसे कर के साधनों से हासिल कर सकती है।”

एक उपकर एक कर होता है जिसके लिए एक नए कानून या अधिनियम-और संसदीय अनुमति-की आवश्यकता नहीं होती और यह वित्त अधिनियम में सम्मिलित होता है, जिसका अर्थ है, बजट के जरिए।

उपकरों से राजस्व; 2016-17

Source: Union Budget 2016-17

सड़कों और सफाई के लिए उपकर बहुत हद तक कारगर रहे हैं, लेकिन माध्यमिक शिक्षा, दूरसंचार, और शोध एवं विकास के लिए ये उपयोगी नहीं रहे।

सफलता की कहानियां- सड़क उपकर, प्राथमिक शिक्षा उपकर, स्वच्छ भारत उपकर

2014-15 में सड़क उपकर से रिकॉर्ड 73,000 करोड़ रुपये ($11.2 अरब) प्राप्त किए गए, जो 2014-15 में 25,121 करोड़ रुपये ($3.9 अरब) से 190% की वृद्धि है।

सड़क उपकर का तिगुना होना- जो पेट्रोल और डीजल पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क के रूप में दिखता है- का कारण तेल की वैश्विक कीमतों में 75% की कमी है, जिसके लाभ सरकार से रेवेन्यू से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए अपने पास रखे हैं, जैसी इंडियास्पेंड ने पहले रिपोर्ट दी थी।

सड़क उपकर और सड़कों पर खर्च

Source: Union Budget 2016-17

2016-17 में सड़क उपकर के संग्रह का अनुमान मामूली बढ़कर 78,000 करोड़ रुपये ($12 अरब) हुआ है, क्योंकि तेल की वैश्विक कीमतों में और कमी आने की कोई संभावना नहीं है। इस अवधि में सड़कों और पुलों के लिए आवंटन तिगुना हुआ है, 2014-15 में 34,000 करोड़ रुपये ($5.2 अरब) से 2016-17 (बजट अनुमान) में 1 लाख करोड़ रुपये ($15.4 अरब)।

प्राथमिक शिक्षा के लिए एकत्र किए गए उपकर में से 90% को प्रारंभिक शिक्षा कोष (प्राइमरी एजुकेशन फंड) में हस्तांतरित किया गया था, यह फंड विशेषतौर पर प्राथमिक शिक्षा विकास के लिए बनाया गया है। प्राथमिक शिक्षा की फंडिंग के लिए 2004-05 और 2014-15 के बीच, 1.4 लाख करोड़ रुपये ($28 अरब) से 1.54 लाख करोड़ रुपये ($31 अरब) का इस्तेमाल किया गया था।

स्वच्छ भारत उपकर पूरे देश में शौचालय बनाने के काम में तेजी लाने के लिए नवंबर 2015 से लगाया गया था- सरकार के अनुसार दो वर्षों के दौरान लगभग 1.6 करोड़ शौचालय बनाए गए हैं; अगले तीन वर्षों में 9.5 करोड़ बनाने की आवश्यकता है- और सरकार के भारत को खुले में शौच से मुक्त करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए।

स्वच्छ भारत उपकर के बाद तेजी से बने शौचालय

Source: Lok Sabha Question, answered by Minister of Drinking Water and Sanitation on 3rd March 2016

फरवरी 2016 तक, लगभग 1 करोड़ शौचालय मार्च 2015 से बनाए गए थे, ये 2014-15 में 58 लाख और 2013-14 में 50 लाख से अधिक हैं।

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Swachh Bharat cess levied in a telephone bill.

क्या कारगर नहीं रहा- पर्यावरण उपकरण, माध्यमिक शिक्षा उपकर

2010-11 से सरकार ने स्वच्छ पर्यावरण उपकर (पहले स्वच्छ ऊर्जा उपकर के नाम से जाना जाता था) से 28,000 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं, लेकिन इस रकम का आधे से भी कम राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कोष को शोध और उन्नयन की फंडिंग के लिए हस्तांतरित किया गया।

स्वच्छ पर्यावरण उपकर का कम इस्तेमाल

Source: Report No. 50 of 2015 on Audit of Union Finances, Comptroller and Auditor General of India; Lok Sabha Question, answered by Minister for New and Renewable Energy on 10th March 2016

Note: NCEF = National Clean Energy Fund

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्वच्छ पर्यावरण उपकर –कोयला उपकर के नाम से भी जाना जाता है- को दोगुना कर कोयले, लिग्नाइट और पीट पर 200 रुपये प्रति टन से 400 रुपये प्रति 10 किया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाएं बढ़ाने के लिए एकत्र किए गए उपकर का आधे से भी कम इस्तेमाल किया गया- 2002-03 और 2014-15 के बीच 39,000 करोड़ रुपये ($7.8 अरब) से 66,000 करोड़ रुपये ($13.2 अरब)।

माध्यमिक और उच्च शिक्षा उपकर की बात की जाए तो 2014-15 में समाप्त हुए दशक के दौरान 64,000 करोड़ रुपये ($13 अरब) एकत्र करने के बावजूद, कोई विशेष कोष नहीं बनाया गया, और यह स्पष्ट नहीं है कि रकम का कैसे इस्तेमाल हुआ।

सरकार के ऑडिटर ने उपकर के इस्तेमाल में अनिमियतताएं बताई

सरकार के ऑडिटर, नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अनुसार, पिछले दो दशकों के दौरान, चार उपकरों से एकत्र किए गए 3.1 लाख करोड़ रुपये ($62 अरब) का 41% से अधिक इस्तेमाल नहीं किया गया।

सीएजी ने हाल ही में केंद्र सरकार-कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन, के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन- की पिछले दो दशकों में एकत्र किए गए उपकरों का कम इस्तेमाल करने के लिए निंदा की थी।

शोध एवं विकास उपकर के रूप में एकत्र किए गए 57,0000 करोड़ रुपये ($1.14 अरब) में से, 1,228 करोड़ रुपये ($24.6 करोड़ डॉलर), या 21% का 1996-97 से 2014-15 तक, 18 वर्षों के दौरान इस्तेमाल किया गया।

उपकर एकत्र किया गया लेकिन इस्तेमाल नहीं हुआ

Source: Report No. 50 of 2015 on Audit of Union Finances, Comptroller and Auditor General of India

Note: Environment: 2010-11 to 2015-16, primary and secondary education: 2004-05 to 2014-15, R&D cess: 1996-97 to 2014-15, USO Fund: 2002-03 to 2014-15.

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है, “वित्त अधिनियम में दिए गए उद्देश्यों से अलग फंड के इस्तेमाल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।”

पिछले बजट में चुनिंदा सेवाओं पर 0.5% कृषि कल्याण (किसानों का लाभ) उपकर लगाकर, सेवा कर को भी 14.5% से बढ़ाकर 15% कर दिया गया है, जिसे सरकार ने कृषि पर खर्च करने का वादा किया है।

क्रिसिल के जोशी कहते हैं, “उपकर का इस्तेमाल अस्थायी और एक विशेष उद्देश्य के साथ होना चाहिए। अगर यह कर मॉडल में स्थायी रूप से शामिल हो जाएगा, तो यह और कुछ नहीं बल्कि कर की एक ऊंची दर के बराबर है।”

अप्रत्यक्ष कर धनी और निर्धन दोनों पर एक जैसे लगाए जाते हैं, उन पर कर लगते हैं जिन्हें ऐसे करों से लाभ मिलना होता है।

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रुपये से डॉलर में परिवर्तन दरें: पिछले तीन वर्षों के लिए, 1$ =65 आईएनआर; पिछले दशकों से जुड़ी राशियों के लिए, 1$ =50 आईएनआर का अनुमान लगाने के लिए इस्तेमाल किया गया है।

यह लेख मूलतः अंग्रेजी में 25 अप्रैल 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

(वाघमारे इंडियास्पेंड के साथ एक विश्लेषक हैं।)

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