Mumbai: Traffic police carry out breathalyzer test on a driver in Mumbai to check  drunken driving on New Year's eve; Dec 31, 2016. (Photo: IANS)

मुंबई: अलग-अलग रिपोर्टों के अनुसार नए साल की पूर्व संध्या पर 2,000 से अधिक लोगों को शराब पी कर गाड़ी चलाने के मामले में बुक किया गया है। अलग-अलग महानगरों के हिसाब से देखें तो मुंबई में 455, दिल्ली में 509, कोलकाता में182, चेन्नई में 263 और बेंगलुरु में 667 मामले सामने आए हैं। इस बार मुंबई में शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले में 26 फीसदी की गिरावट थी। पिछले साले 615 मामले थे। जबकि दिल्ली में पिछले साल 765 मामले थे यानी इस बार 33 फीसदी की गिरावट और बेंगलुरु में पिछले साल 1,390 मामले थे, यानी वहां 52 फीसदी की गिरावट देखी गई।

सुरक्षा के लिहाज से और शराब पी कर गाड़ी न चलाए लोग...यह सुनिश्चित करने के लिए नए साल की पूर्व संध्या पर मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और अन्य भारतीय शहरों में हजारों ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था।

ज्वाइंट कमिश्नर(ट्रैफिक) अमितेश कुमार ने कहा, "पूरे साल तक संवेदनशील स्थानों और व्यवस्थित कानूनी कार्यवाही से हमें मुंबई में शराब पी कर गाड़ी चलाने के मामलों को कम करने में मदद मिली है," जैसा कि द टाइम्स ऑफ इंडिया ने 2 जनवरी, 2019 की रिपोर्ट में बताया है। मुंबई महानगरीय क्षेत्र ( जिसमें मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई और मीरा-भाईंदर शामिल हैं ) ने नए साल की पूर्व संध्या पर शराब पीने के मामलों में 22 फीसदी की वृद्धि देखी है। इस संबंध में आंकड़े 2017 में 2,444 थे, जो 2018 में बढ़ कर 2,985 हुए हैं।

शराब पीकर या ड्रग्स लेकर गाड़ी चलाना एक दंडनीय अपराध है - मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 185 के तहत पहली अपराध पर छह महीने तक की जेल और/ या 2,000 रुपये जुर्माने की सजा हो सकती है। तीन साल के भीतर अपराध दोहराने पर 3,000 रुपये तक का जुर्माना और / या दो साल जेल की सजा हो सकती है।

अधिनियम के अनुसार, यदि ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट में प्रति 100 मिलीलीटर रक्त में 30 मिलीग्राम से अधिक शराब पाया जाता है, तो उस व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा को 20 दिसंबर 2018 को दिए गए एक जवाब में कहा, "सभी राज्य सरकारों / केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया है कि वे राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे शराब विक्रेताओं को कोई लाइसेंस जारी न करें। साथ ही,उनसे उन मामलों की समीक्षा करने का भी अनुरोध किया गया है जहां राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे शराब विक्रेताओं के लिए लाइसेंस दिया गया है और सुधारात्मक कार्रवाई करने की बात भी कही गई है।"

2017 में शराब पीकर गाड़ी चलाने से हर दिन 13 मौत

2017 में( नवीनतम वर्ष जिसके लिए डेटा उपलब्ध हैं) 4,776 लोग या हर दिन 13 लोग शराब या ड्रग्स के प्रभाव में ड्राइविंग के कारण 14,071 सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए हैं, जैसा कि सड़क और राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है। यह 2016 में हुई ऐसी दुर्घटनाओं में हुई 6,131 मौतों से 22 फीसदी कम है। 2008 की तुलना में वर्ष 2017 में मौतों में 38 फीसदी की गिरावट आई थी। 2008 में ऐसी दुर्घटनाओं में 7,682 मौतें दर्ज की गई थी। 2011 की तुलना में 55 फीसदी कि गिरावट हुई है, जब 10,553 मौत के मामले दर्ज किए गए थे। यह पिछले एक दशक में हुई सबसे अधिक मौतों का आंकड़ा है। जब उस वर्ष देश भर में 464,910 सड़क दुर्घटनाओं में 147,913 मौतों में ऐसी दुर्घटनाओं से मौत की 3.2 फीसदी की हिस्सेदारी थी। 2008 और 2017 के बीच, शराब या ड्रग्स के कारण देश भर में 211,405 सड़क दुर्घटनाओं में 76,446 लोग मारे गए हैं, जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है।

शराब / ड्रग्स, 2008-17 के प्रभाव में ड्राइविंग के कारण सड़क दुर्घटनाएं, 2008-17

Source: Ministry of road transport and highways; Road Accidents In India--2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017.

हालांकि, यह आंकड़े कम हो सकते हैं। मानक संचालन प्रक्रिया में सड़क दुर्घटनाओं के लिए, पीड़ित और अभियुक्त का शराब के लिए तुरंत परीक्षण करना चाहिए, जैसा कि सड़क सुरक्षा संस्था, सेवलाइफ फाउंडेशन के संस्थापक पीयूष तिवारी ने इंडियास्पेंड को बताया है। वह कहते हैं, “जब आप सरकारी डेटा को देखते हैं, तो उसकी कोई गारंटी नहीं है; डेटा बहुत टूटा-फूटा है। " तिवारी कहते हैं कि डेटा संग्रह की प्रक्रिया के कारण, इस तरह के हादसों से होने वाली मौतों की कम गिनती होना संभव है- “वर्तमान प्रणाली, जिसे डेटा एकत्र करने में सरकार अनुसरण करती है, एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) पर आधारित है। यदि कोई दुर्घटना होती है, और पीड़ित की तत्काल मौत हो जाती है तो इसे एफआईआर में दर्ज किया जाता है। लेकिन यदि अस्पताल में दुर्घटना के एक सप्ताह के बाद मृत्यु हो जाती है, तो इस जानकारी को केवल चार्जशीट में दर्ज किया जाता है एफआईआर में नहीं। इसके परिणामस्वरूप, अक्सर सही आंकड़े नहीं आ पाते हैं।”

शराब पी कर गाड़ी चलाने की वजह से उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं और मौत

2017 में, शराब या ड्रग्स के प्रभाव में ड्राइविंग के कारण, भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य, उत्तर प्रदेश (यूपी) ने सबसे अधिक दुर्घटनाओं की सूचना दी है, 3,336 या देश भर में हुई दुर्घटनाओं का 24 फीसदी। जबकि दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश (2,064) और तमिलनाडु (1,833) रहा है। 2017 में यूपी ने देश भर में इस तरह की दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मौतें भी दर्ज की है - 1,687 या देश भर में हुई दुर्घटनाओं का 35 फीसदी। दूसरे और तीसरे स्थान पर ओडिशा (735) और झारखंड (430) रहा हैं।

राज्य अनुसार शराब / ड्रग्स के प्रभाव में ड्राइविंग के कारण सड़क दुर्घटनाएं, 2017

Source: Ministry of road transport and highways

तिवारी ने कहा, “यूपी और तमिलनाडु के आंकड़ों की तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि यूपी में दिखाए गए आंकड़ों की तुलना में दुर्घटनाओं की संख्या अधिक होने संभावना है। यूपी में अभी भी सड़क दुर्घटनाओं को दर्ज करने की प्रणाली बहुत खराब है। इसके विपरीत, तमिलनाडु में एक आरएडीएमएस है, जो सड़क दुर्घटना डेटा प्रबंधन प्रणाली है, जहां हर दुर्घटना को अपने डेटाबेस में इलेक्ट्रॉनिक रूप से दर्ज किया जाता है। "

ब्रिक्स देशों के बीच ड्रिंक-ड्राइविंग कानूनों को लागू करने पर भारत का प्रदर्शन बद्तर

दिसंबर 2018 में प्रकाशित हुई, विश्व स्वास्थ्य संगठन की ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन रोड सेफ्टी 2018 के अनुसार, शराब पी कर गाड़ी चलाने के कानूनों के प्रवर्तन के संदर्भ में, 0 से 10 के पैमाने पर भारत 4 पर है।ब्रिक्स देशों में भारत की रेटिंग सबसे कम थी - ब्राजील (6), रूस (6), चीन (9) और दक्षिण अफ्रीका (5)।

अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच, भारत ने पाकिस्तान (4) के समान रेटिंग पाई है और केवल बांग्लादेश (2) से बेहतर है, लेकिन अफगानिस्तान (6), भूटान (6), नेपाल (8) और श्रीलंका (9) से भी पीछे।

सात देशों ( आयरलैंड, नॉर्वे, ओमान, पोलैंड, तुर्कमेनिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात और उज्बेकिस्तान ) ने ड्रिंक-ड्राइविंग कानूनों को लागू करने के लिए 10 स्कोर बनाए।

तिवारी कहते हैं कि चीन और श्रीलंका जैसे देशों ने शराब के प्रभाव के तहत ड्राइविंग की जांच के लिए ढेर सारे संसाधन लगा रखे हैं। ड्रिंक-ड्राइविंग कानूनों को लागू करने पर अन्य कदम ( जैसे उल्लंघनकर्ताओं की पहचान करना और उन्हें दंडित करना ) इलेक्ट्रानिक रूप से हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत ने खुद को ‘इलेक्ट्रॉनिक एन्फोर्स्मन्ट सिस्टम’ में नहीं ढाला है और किसी भी तरह के पीने और ड्राइविंग कानून को लागू करने के लिए हमारी मानवीय क्षमता बहुत कम है। ”

(मल्लापुर वरिष्ठ नीति विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 03 जनवरी, 2019 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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