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भारत के 86 फीसदी मुद्राओं को अमान्य करने की घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने देश की जनता से 50 दिनों का वक्त मांगा था और कहा था कि 50 दिन के बाद सारी मुश्किलें समाप्त हो जाएंगी। घोषणा की तारीख थी 08 नवंबर, 2016। प्रधानमंत्री के मांगे गए दिनों की मोहलत अब खत्म होने को हैं। 14 दिनों का वक्त बाकी रह गया है। लेकिन 8 नवंबर 2016 को जोर-शोर से हुए इस घोषणा के बाद से देश में भारत में पुनर्मुद्रीकरण के मुद्दों पर तथ्यों का घोर अभाव रहा है।

भारतीय प्रिंटिंग प्रेस और मुद्रा वितरण की क्षमता पर 2016 के भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ इंगित करते हैं कि वर्तमान दरों पर प्रधानमंत्री द्वारा तय समय सीमा में लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता है। देश भर में बैंकों और एटीएम में पर्याप्त पैसे मिलना इस बात पर निर्भर करेगा कि कितने नोट सरकार प्रचलन में वापस डालना चाहती है।

यदि सरकार 9 लाख करोड़ रुपए ( या बाहर निकाले गए पैसों से 35 फीसदी कम ) व्यवहार में लाना चाहती है तो इसमें मई 2017 तक का समय लग जाएगा। और अगर सरकार पूरे वापस लिए गए 14 लाख करोड़ रुपए फिर से उपयोग में लाना चाहती है तो इसमें अगस्त 2017 तक समय लगेगा।

मूल समस्या तो छोटे मूल्य के नोट है। विशेष रुप से 500 रुपए के नोट की किल्लत है, क्योंकि फिलहाल भारतीय मुद्रा प्रेस पर्याप्त मात्रा में 500 के नोट प्रिंट नहीं कर सकती है।

इस समस्या से जुड़े कुछ तथ्य यहां हैं –

  • भारतीय रिजर्व बैंक के पास चार प्रेस हैं। एक मध्य प्रदेश के देवास में, दूसरा महाराष्ट्र के नासिक में, तीसरा पश्चिम बंगाल के सालबोनी में और चौथा कर्नाटक के मैसूर में।
  • भारतीय रिजर्व बैंक की 2016 की वार्षिक रिपोर्ट (पेज 90) के अनुसार, मोटे तौर पर इन प्रेस की मुद्रण क्षमता एक साल में 2,670 करोड़ (26.7 बिलियन) नोट है। या मोटे तौर कहें तो एक दिन में 7.4 करोड़ (74 मिलियन) नोट प्रिंट होते हैं।
  • यदि प्रेस एक दिन में दो की बजाय तीन शिफ्ट में काम करती है तो एक दिन में उनकी दैनिक उत्पादन क्षमता 11.1 करोड़ (111 मिलियन) नोट तक बढ़ेगी।
  • हालांकि, इन प्रेस में आधे से कम मशीनों के पास ही उच्च मूल्य के नोटों (500 रुपये और उससे ऊपर) को प्रिंट करने के लिए आवश्यक सुरक्षा फीचर की क्षमता है।
  • इसका मतलब यह है कि यदि वे सारे मशीन, जो चारों प्रेस में उच्च मूल्य के नोट प्रिंट करते हैं, दिन के 24 घंटे भी 500 रुपए के नोट प्रिंट करें तो हम हर दिन 500 रुपए के 5.56 करोड़ रुपए (55.6 मिलियन) प्रिंट करने में सक्षम हो पाएंगे।
  • यह प्रतिदिन 500 रुपए में प्रिंट नोटों को 2,778 करोड़ रुपए ( मूल्य में ) में परिवर्तित कर पाएगी।

विमुद्रीकरण की घोषणा के पहले, सरकार ने 2000 रुपए के 200 करोड़ (2 बिलियन) नोट या मोटे तौर पर मूल्य में करीब 4 लाख करोड़ रुपए प्रिंट करने की तैयारी कर ली थी। यह वितरण किए जाने वाले नोटों का पहला सेट था। इतने सारे गुलाबी नोटों के प्रचलन में होने का यही कारण है।

नोटों को संवितरित करने के दो परिदृश्य कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :

  • परिदृश्य 1: प्रणाली में 9 लाख करोड़ रुपए (या विमुद्रीकरण किए गए कुल 14 लाख करोड़ का दो-तिहाई) वापस लाने की जरुरत है।
  • परिदृश्य 2: 14 लाख करोड़ रुपए (पूरा पैसा) को फिर से प्रचलन में लाने की जरुरत है।

इस राशि को नकदी के रूप में जारी करने के लिए कुछ शर्तें भी जरुरी हैं। जितनी राशि प्रचलन में हो, उसमें 2000 रुपए के नोट की हिस्सेदारी पचास फीसदी से ज्यादा न हो। इसके पीछे का तर्क बाजार में छुट्टे न होना है। अगर हमारे पास छुट्टे नहीं हैं तो 2000 रुपए का नोट को चलाना मुश्किल है,जैसा कि वर्तमान में हो रहा है। बाकी की राशि छोटे नोटों की शक्ल में चलन में हो। भारतीय रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, 100 रुपए, 50 रुपए, 20 रुपए और 10 रुपए के नोटों का कुल मूल्य 2.19 लाख करोड़ रुपए है।

यदि हम इसे एक गणित समीकरण में डालें, जहां ‘t’ 2,000 रुपए के नोटों का कुल मूल्य है और ‘f’ 500 रुपए के नोटों का कुल मूल्य है, तो समीकरण कुछ ऐसा होगा:

2,000 का कुल मूल्य (t) = 500 ( f ) का कुल मूल्य + 100 और नीचे का कुल मूल्य

या

t = f + 2.19 लाख करोड़ रुपए

इसका मतलब यह है कि 500 रुपए के नोटों की आवश्यकता इस प्रकार है:

  • परिदृश्य 1 (9 लाख करोड़ रुपए के वितरण में):t+f = f को सुलझाने के लिए 9 लाख करोड़ रुपए, आवश्यक 500 रुपए के नोटों का मूल्य 681 करोड़ नोट X 500 रुपए = 3.405 लाख करोड़ रुपए।
  • परिदृश्य 2 (14 लाख करोड़ रुपए का वितरण):t+f = f को सुलझाने के लिए 14 लाख करोड़ रुपए, आवश्यक 500 रुपए के नोटों का मूल्य 1,181 करोड़ रुपए नोट X 500 रुपए = 5.905 लाख करोड़ रुपए।

वितरित की जाने वाली मुद्राएं

30 नवंबर, 2016 को 500 रुपए के 10 करोड़ से कम नोट मुद्रित हो कर तैयार थे, जैसा कि द मिंट के इस रिपोर्ट में बताया गया है।

हम समस्या की जड़ तक पहुंचते हैं । भारत को कम से कम 681 करोड़ 500 रुपए के नोटो को प्रिंट करने की जरुरत है। परिदृश्य 2 में 500 रुपए के 1,181 करोड़ नोटों की जरुरत है। हालांकि, प्रेस की ज्यादा से ज्यादा एक दिन में 5.56 करोड़ नोट प्रिंट करने की क्षमता है या दूसरे शब्दों में जरुरत की तुलना में केवल 0.8 फीसदी की क्षमता है।

इस दर के साथ, 500 रुपए के पर्याप्त नोटों को प्रिंट करने में 122 से 212 दिनों का समय लगेगा। आरबीआई ने 30 नवंबर के बाद से ही 500 रुपए के नोट प्रिंट करना शुरु कर दिया था। इस तथ्य के साथ परिदृश्य 1 में आवश्यक 500 रुपए के नोट 10 मार्च 2017 तक और परिदृश्य 2 में जुलाई 8 2017 तक ही पूरे किए जा सकते हैं।

छपे नोटों की ढुलाई में लगने वाला समय और बैंक जिस रफ्तार से रुपए वितरित कर रहें हैं, इनको मिला कर देखा जाए तो हमारी गणना बताती है कि पूरे 9 लाख करोड़ रुपए को वितरित होने में अप्रैल 2017 तक का समय लग सकता है।

Note: BC = Banking Correspondents. India has more than 120,000 banking correspondents who cater to the rural areas. It is assumed that all correspondents will be pressed into action in the rural areas.

परिदृश्य 2 ( 14 लाख करोड़ रुपए ) में, नकद को पूरी तरह वितरित होने में मध्य जुलाई तक का समय लग सकता है।

14 लाख करोड़ के लिए नकद वितरण शिड्यूल

Note: BC = Banking Correspondents. India has more than 120,000 banking correspondents who cater to the rural areas. It is assumed that all correspondents will be pressed into action in the rural areas.

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो भारत को अप्रैल में ‘ फुहारें’ मिलेंगे, लेकिन ‘पूरे मानसून’ के लिए तो जुलाई तक का इंतजार करना ही होगा।

Source: Reserve Bank of India; Business Standard

(वेंचर कैपिटल फर्म ‘स्पदा’ से सक्रिय रूप से जुड़े किनी आईआईटी मद्रास से बी-टेक हैं। ‘स्पदा’ भारत के अल्प सुविधा प्राप्त बाजारों के लिए व्यवसाय को विस्तार देने के लिए फाइनेन्स के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में काम करता है। किनी IndiaStack के साथ भी जुड़े हुए हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 14 दिसंबर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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