2016 में,विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की 103 देशों के 3,000 शहरों की वायु गुणवत्ता की रैंकिंग में बिहार की राजधानी,पटना के छठा स्थान मिला है। वैश्विक स्तर पर सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले 20 शहरों में से 10 शहर भारत में हैं।

अब, #Breathe – इंडियास्पेंड का वायु गुणवत्ता सेंसर नेटवर्क – के आंकड़ों से पता चला है कि पिछले महीने के दौरान पटना की वायु गुणवत्ता डब्लूएचओ द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों से पांच गुना अधिक है। 13 मई से 14 जून के बीच हमारे सेंसर द्वारा रिकॉर्ड की गई आंकड़ों से पता चलता है कि 28 फीसदी समय वायु की गुणवत्ता “बहुत बुरी” श्रेणी की है, जिसका अर्थ हुआ की अधिक समय तक ऐसी स्थिति में रहने से सांस की बिमारी हो सकती है।

इसी अवधि और समय के दौरान, दिल्ली का पीएम 2.5 स्तर डब्लूएचओ के निर्धारित दिशा-निर्देशों से दो गुना अधिक पाया गया है।

वायु में पाए जाने वाले 2.5 माइक्रोमीटर के व्यास के कणिका तत्व को पीएम 2.5 कहा जाता है या देखा जाए तो मोटे तौर पर यह मानव बाल के 1/30वें जितना मोटा होता है एवं इससे मनुष्य के लिए सबसे बड़ा स्वास्थ्य खतरा पैदा होता है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय से इस 2015 अध्ययन के अनुसार सांस के ज़रिए यह कण फेफड़ों तक पहुंचते हैं जिससे दिल का दौरा एवं स्ट्रोक जैसी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। इन बीमारियों के कारण विश्व स्तर पर तीन-चौथाई में करीब 33 मिलियन या 330 लाख - भारत में 645,000 सहित – मौतें हुई हैं।

29 दिनों के दौरान, इंडियास्पेंड के चार सेंसर ने केवल 18 बार “अच्छी” श्रेणी की वायु गुणवत्ता दर्ज की है, और यह देर रात या सुबह ही दर्ज की गई है। “अच्छी” श्रेणी का अर्थ 50 से नीचे हवा की गुणवत्ता सूचकांक (AQI) दर्ज होना है। AQI विभिन्न प्रदूषण की एक समग्र मापक है।

सेंटर फॉर एन्वाइरन्मन्ट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीईईडी), एक संस्था जिसकी इंडियास्पेंड के साथ साझेदारी है एवं पटना के आंकड़ों का विश्लेषण किया है, की यह रिपोर्ट कहती है, “कण एकाग्रता की उच्च स्तर से शहर के लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। शहर में हवा की गुणवत्ता का बड़े पैमाने पर गिरावट के मुख्य कारणों में जनसंख्या वृद्धि, पारंपरिक खाना पकाने के तरीके, बिजली संयंत्रों , ईंट बनाने के गंदे तरीके, उद्योग, ठोस अपशिष्ट जलना, वाहनों के उपयोग में वृद्धि एवं पटना में निर्माण गतिविधियों का वृद्धि होना शामिल है।”

डब्ल्यूएचओ की रैंकिंग में पटना स्थान बढ़ा है। 2015 में पटना जहां दूसरे स्थान पर था वहीं 2016 में छठे स्थान पर है। सीईईडी के विश्लेषकों के अनुसार, इसका अर्थ यह नहीं हुआ कि शहर के वायु में सुधार हुआ है।

सीईईडी की रिपोर्ट कहती है, “हालांकि नई रैंकिंग एक सुधार का संकेत है, इस पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि मौजूदा सूची वर्ष 2013 के आंकड़ों पर तैयार की गई है जो डब्ल्यूएचओ की अंतिम सूची (मई 2014) के समान है। इसलिए रैंकिंग काफी भ्रामक हैं।”

सीईईडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि, “पिछले पांच वर्षों में बिहार के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दरों में दो अंकों की वृद्धि देखी गई है। हालांकि, यह विकास भारी कीमत पर मिली है। देश एवं विश्व का एक सबसे आबादी वाला शहर बनते हुए पटना के वातावरण, विशेष रुप से हवा काफी प्रभावित हुई है।”

हमारे सेंसर द्वारा सबसे बुरी वायु गुणवत्ता पटना जंक्शन पर दर्ज की गई है – शहर का मुख्य रेलवे स्टेशन – जहां 27 दिनों में से 20 दिन औसत AQI 400 से अधिक रहा है, अंतिम स्तर “गंभीर” श्रेणी में रहा है जो स्वस्थ लोगों पर और गंभीरता से प्रभाव डालता है और पहले से ही बीमरी के शिकार लोगों पर और प्रभावित करता है।

यहां तक ​​कि सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले स्थान, गांधी मैदान, में भी हरेक पांच दिनों में से दो दिन “बहुत बुरा” एवं “बुरा” श्रेणी की वायु गुणवत्ता दर्ज की गई है। “बुरे” रेटिंग का तात्पर्य लंबे समय तक ऐसी स्थिति में रहने से लोगों में सांस लेने में परेशानी का खतरा बढ़ना है एवं “बहुत बुरी” रेटिंग का तात्पर्य सांस संबंधित बीमारियां होने से है।

पीछले एक महीने में से 20 दिन पटना जंक्शन की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में

Source: #Breathe, IndiaSpend's air-quality sensor network. Data for 13 May to 14 June, 2016

दिन चढ़ने के साथ वायु में कणिका तत्वों की वृद्धि

पटना में, दिन के समय औसत पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में स्थिरतापूर्वक हुई और शाम तक यह 180 और 300 तक पहुंचा है। पीएम 10 या 2.5 और 10 माइक्रोमीटर के बीच व्यास के साथ मोटे कण मुख्य रूप से मिट्टी और खेतों, कारखानों और सड़कों से निकलने वाले धूल और गंदगी से बने होते हैं।

पीएम 2.5 एवं पीएम 10 के स्तर दोपहर के समय सबसे अधिक पाए गए हैं। रात के समय भी इनकी स्थिति बुरी ही देखी गई है। सीईईडी की रिपोर्ट कहती है कि, “सुबह के समय भी स्थिति उतनी ही बुरी थी लेकिन रात के मुकाबले बेहतर है।”

दिन भर में पीएम 2.5 और पीए 10 में विवधिता

Source: #Breathe, IndiaSpend's air-quality sensor network. Data for 13 May to 14 June, 2016

2016 डब्ल्यूएचओ वायु प्रदूषण सर्वेक्षण रैंकिंग में पटना की तुलना में ग्वालियर और इलाहाबाद को ऊपर स्थान मिला है। हालांकि, दुनिया में सबसे खराब परिवेशी वायु गुणवत्ता के मामले में पटना तीसरे स्थान पर है।

शहरों की वैश्विक वायु गुणवत्ता रैंकिंग पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर से निर्धारित होती हैं। जैसा कि नीचे दिए गए चार्ट में दिखाया गया है, 18 शहरों में पिछले दो वर्षों में वायु गुणवत्ता बद्तर हो रही है।

Indian Cities With The Worst Air Quality, Top 18 (2014 and 2016)
PM 2.5 RankPM 2.5PM 10
City201420162014201620142016
Gwalior31144176329329
Allahabad11288170202317
Patna23149149164167
Raipur44134144305268
Delhi15153122286229
Ludhiana10691122207228
Kanpur8793115212215
Khanna12888114200213
Firozabad7996113219212
Lucknow61096113219211
Amritsar91192108210202
Gobindgarh161269108159201
Agra121388105200196
Jodhpur141486101196189
Dehradun151577100175188
Ahmedabad5161001006783
Jaipur171768100155187
Howrah181847100108186

Source: WHO Global Urban Ambient Air Pollution Database 2014, 2016

Air Quality Index
AQI CategoryPM 10 LevelPM 2.5 Level
Good (0-50)0-500-30
Satisfactory (51-100)51-10031-60
Moderate (101-200)101-25061-90
Poor (201-300)251-35091-120
Very Poor (301-400)351-430121-250
Severe (401-500)430+250+

Source: Central Pollution Control Board; Levels in micrograms per cubic metre (µg/m³)

हमारे अध्ययन के दौरान केवल तीन बार पीएम 10 एकाग्रता “मध्यम” श्रेणी तक पहुंचा है जिसका प्रभाव संवेदनशील फेफड़े, अस्थमा और / या दिल की बीमारियों के साथ लोगों के लिए सांस लेने में परेशानी होना हो सकता है।

इसी तरह, पीएम 2.5 का स्तर, सुबह, दोपहर और आधी रात को सबसे अधिक दर्ज किया गया है, 70 फीसदी समय सुरक्षित स्तर के ऊपर रहा है।

दिल्ली की तुलना में पटना की वायु दोगुना प्रदूषित

पिछले एक महीने (13 मई करने के लिए 14 जून, 2016) में पटना में औसत AQI, दिल्ली में हमारे सेंसर द्वारा रिकॉर्ड किए गए AQI से दोगुना है और इसी अवधि के दौरान मुंबई की औसत AQI की तुलना में छह गुना अधिक है। पिछले 33 दिनों में से 14 दिन, पटना में वायु की औसत गुणवत्ता दिल्ली में सबसे अधिक प्रदूषित स्थान , आरके पुरम सेक्टर 9 से भी बदतर पाया गया है।

3 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक

Source: #Breathe, IndiaSpend's air-quality sensor network. Data for 13 May to 14 June, 2016

तेज़ हवा वाले दिनों में वायु गुणवत्ता बेहतर

वायु की औसत गति के आंकड़ों और इंडियास्पेंड के गांधी मैदान , पटना सिटी और पटना जंक्शन सेंसरों से AQI के अनुसार, तेज़ हवाओं वाले दिनों में वायु प्रदूषण का कम स्तर दर्ज किया गया है। पाठकों को सलाह है कि इन परिणामों की व्याख्या के पहले कुछ सावधानी बरतें जैसा कि वायु गुणवत्ता सूचकांक पर हवा की गति के प्रभाव समझने के लिए अतिरिक्त गहराई से विश्लेषण की आवश्यकता है।

पटना वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों पर हवा की गति एवं AQI की तुलना

Source: #Breathe, IndiaSpend's air-quality sensor network. Data for 13 May to 14 June, 2016

क्या हो सकता है समस्या का समाधान? सरकार को उठाने होंगे कदम

सीईईडी की रिपोर्ट कहती है कि पटना को "स्वच्छ हवा कार्य योजना" की आवश्यकता है। सबसे पहले शहर को, स्तर अधिक होने पर “रेड अलर्ट डेज़” की एक अलार्म प्रणाली की ज़रुरत है, जैसा कि हमारे आंकड़े दिखाते हैं।

सरकार को एक जन - परिवहन प्रणाली का निर्माण करने की ज़रुरत है एवं यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वाहनों में स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल किया जाए। रिपोर्ट सरकार की भारत स्टेज चतुर्थ – मौजूदा की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन - ऊपर ले जाने की सिफारिश करती है।

रिपोर्ट कहती है कि चूंकि पटना की अर्थव्यवस्था डीजल द्वारा संचालित है - दोनों औद्योगिक और कृषि क्षेत्र - शहर छत टॉप सौर ऊर्जा और अन्य बिजली की बचत के उपायों को लागू करने की जरूरत है। पटना को पास के एक प्रदूषणकारी बिजली संयंत्र (मुजफ्फरपुर) में बंद करने की भी आवश्यकता है। शहर में कचरा , कोयला को जलने से रोकने, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रित करने और सड़कों के किनारे अधिक पेड़-पौधे लगाने की ज़रुरत है।

नोट – इस अध्ययन के लिए आंकड़े इंडियास्पेंड के सेंसर से प्राप्त किए गए हैं; हर पांच मिनट के वैल्यू के सैंपल लिए गए हैं एवं हरेक घंटे एकत्रित किए गए हैं। 24 घंटे एकाग्रता मूल्य के साथ, प्राप्त वैल्यू को कण में परिवर्तित किया गया है, जैसा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित है।

(बापत इंडियास्पेंड के साथ इंटर्न हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 20 जून 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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