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पीएम 2.5 ( पार्टिकुलेट मैटर/ कणिका तत्व )पर किए गए इंडियास्पेंड के विश्लेषण के अनुसार, पिछले सप्ताह बीजिंग की तुलना में दिल्ली का वायु प्रदूषण डेढ़ गुना अधिक बद्तर है।

यह विश्लेषण इंडियास्पेंड द्वारा, आर के पूरम, दिल्ली में रखे गए सांस लेने वाली वायु की गुणवत्ता की निगरानी सेंसर से प्राप्त आंकड़े एवं बीजिंग में अमरीकी सरकार द्वारा अपने दूतावास में रखे निगरानी सेंसर से प्राप्त आंकड़ों की तुलना पर आधारित है।

दिल्ली की हवा में औसत साप्ताहिक पीएम 2.5 प्रति क्यूबिक मीटर ( माइक्रोग्राम / घन मीटर ) 230.9 माइक्रोग्राम दर्ज किया गया है। हवा की गुणवत्ता के इस आंकड़े को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण ब्यूरो ( सीपीसीबी ) के दिशा निर्देशों के तहत “बहुत बुरी” रेटिंग दी गई है। लंबे समय तक इस रेटिंग की वायु में रहने से सांस की बीमारी हो सकती है।

वहीं यदि बीजिंग से तुलना की जाए तो इसी समय में 139.7μg / घन मीटर की पीएम 2.5 दर्ज की गई है।

पीएम 2.5, साप्ताहिक औसत

Source: IndiaSpend #Breathe sensor at RK Puram, Delhi & US Embassy, Beijing; Note: Data compiled from December 3, 2015 to December 9, 2015

वायु में पाए जाने वाले 2.5 माइक्रोमीटर के व्यास के कणिका तत्व को पीएम 2.5 कहा जाता है एवं इसे मनुष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा करने के रुप में जाना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) के अनुसार पीएम 2.5 का माप से वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य जोखिम के स्तर बेहतर तरीके से जाना जा सकता है।

दैनिक औसत की तुलना करने पर पाया गया है कि सात में छह दिन दिल्ली में पीएम 2.5 स्तर बीजिंग से उच्च है।

पीएम 2.5 – दिल्ली एवं बीजिंग

Source: IndiaSpend #Breathe sensor at RK Puram & US Embassy, Beijing; *Data for December 9, 2015 compiled at 12:15 PM IST.

Health Statement for PM 2.5 Levels
BreakpointsAQI CategoryHealth Effects
0-30GoodMinimal impact
31-60SatisfactoryMinor breathing discomfort to sensitive people
61-90ModerateBreathing discomfort to people with sensitive lungs, asthma and/or heart diseases
91-150PoorBreathing discomfort to most people on prolonged exposure
151-250Very PoorRespiratory illness on prolonged exposure
250+SevereAffects healthy people and seriously impacts those with existing diseases

Source: Central Pollution Control Board; Breakpoint figures in micrograms per cubic meter (µg/m³)

पिछले सप्ताह दिल्ली का पीएम 2.5 तीन बार 250 माइक्रोग्राम / घन मीटर से अधिक हुआ है। इन आंकड़ों से इसका प्रवेश निश्चित तौर से ' गंभीर ' श्रेणी में हो गया है।

“गंभीर” श्रेणी या रेटिंग का मतलब है पीएम 2.5 का इतना अधिक होना कि जिससे लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।

इसकी तुलना में यदि बीजिंग के आंकड़ों पर नज़र डालें तो इसी अवधी में केवल एक बाद “गंभीर” रेटिंग दर्ज की गई है।

पीएम 2.5 के संबंध में सात में से तीन दिनों में दिल्ली एवं बीजिंग दोनों ने ही ' बहुत बुरी ' हवा की गुणवत्ता ( 151-250 माइक्रोग्राम / घन मीटर ) दर्ज की है।

दिल्ली में “बुरी” वायु गुणवत्ता ( 91-150 ग्राम / घन मीटर के बीच पीएम 2.5 ) केवल एक दिन ही दर्ज की गई है जिसमें लंबे समय तक रहने से सांस की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

बीजिंग में तीन दिन ( 3 से 5 दिसंबर 2015 ) “अच्छे” से “संतोषजनक” रेटिंग दर्ज की गई है जिसने सबसे कम पीएम 2.5 का साप्ताहिक योगदान दिया है। यह तेज़ हवाओं का परिणाम था जो 2 दिसंबर, 2015 को शहर से गुज़रा एवं छितर-बितर हो धुंध बन गया।

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उपर की दोनों तस्वीरें, बीजिंग के त्यानआनमेन गेट पर लगे पूर्व चीनी चेयरमैन माओ तुंग की पोस्टर की हैं। पहली तस्वीर धुंध से भरे दिन 1 दिसंबर 2015 की है जबकि दूसरी तस्वीर 2 दिसंबर 2015 को ली गई है जब तेज हवाओं से धुंध छट गई

पिछले साल विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार दिल्ली की हवा 153 माइक्रोग्राम / घन मीटर की वार्षिक औसत पीएम 2.5 दर्ज की गई है जोकि बीजिंग की तुलना में तीन गुना अधिक (56 माइक्रोग्राम / घन मीटर ) है।

डब्लूएचओ के आंकड़ों से पता चलता है कि अन्य शहरों में से उच्चतम पीएम 2.5 स्तर के साथ दिल्ली में सबसे अधिक वायु प्रदूषण है। वहीं तुलनात्मक रूप से बीजिंग का नाम वायु प्रदूषण वाले टॉप 50 शहरों की लिस्ट में नहीं है।

यदि बात पीएम 10 की ( 2.5 से 10 µm के बीच व्यास के कण ) की जाए दिल्ली की हवा के लिए एक दिन “गंभीर” रेटिंग दर्ज की गई जबकि तीन दिनों के लिए “बहुत बुरी” रेटिंग एवं एक-एक दिन के लिए “बुरी” और “संतोषजनक” रेटिंग की गई है।

पीएम 10 – दिल्ली

Source: IndiaSpend #Breathe sensor at RK Puram; *Data for December 9, 2015 compiled at 12:15 PM IST.

Health Statement for PM 10 Levels
BreakpointsAQI CategoryHealth Effects
0-50GoodMinimal impact
51-100SatisfactoryMinor breathing discomfort to sensitive people
101-250ModerateBreathing discomfort to people with sensitive lungs, asthma and/or heart diseases
251-350PoorBreathing discomfort to most people on prolonged exposure
351-430Very PoorRespiratory illness on prolonged exposure
430+SevereAffects healthy people and seriously impacts those with existing diseases

Source: Central Pollution Control Board; Breakpoint figures in micrograms per cubic meter (µg/m³)

प्रदूषण नियंत्रित करने की ओर कदम – बीजिंग एवं दिल्ली

दैनिक पीएम 2.5 अस्वस्थ स्तर तक बढ़ रहा है यानि 6 दिसंबर 2015 से 150 µg/m³ के उपर बढ़ रहा है एवं बीजिंग में पहली बार प्रदूषण के लिए ' रेड अलर्ट ' जारी किया गया है। यह चेतावनी शहर के नागरिकों की काले और हानिकारक धुंध से रक्षा करने के लिए जारी की गई जिसका शिकार लोग आने वाले कुछ दिनों में हो सकते हैं।

बीजिंग में स्कूलों को अस्थायी तौर पर बंद करने का आग्रह किया गया है, साथ ही कारों के लिए सम-विषम नंबर प्लेट सिस्टम लागू किया गया है।

निजी कारों के लिए सम-विषम फॉर्मूला ऐसे समय में लाया गया है जब दिल्ली की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कुछ इसी तरह के एक उपाय के ने घोषणा की है एवं इस फॉर्मूला के प्रभाव पर कानून निर्माताओं और सिविल सोसाइटी की बहस जारी है।

हाल ही में राजश्री सेन, मिंट के एक लेख में लिखती हैं, “सबसे पहली बात कि यह दिल्ली है, जहां के लोग अनजान हैं एवं अमीरी एक विशेषता है। अधिकतर लोगों के पास कई कारें हैं और इस नियम के उपाय में वह अपनी दूसरी, तीसरी या चौथी कार निकाल लेंगे या ज़रुरत पड़ी तो नई कार भी खरीद सकते हैं।”

यहां इस बात पर गौर करना चाहिए कि जब बीजिंग में कारों के लिए सम-विषम नंबर प्लेटों का फॉर्मूला लागू किया गया था तो 20 अगस्त 2015 से दो सप्ताह तक शहर का धुंध से काला रहने वाला आसमान नीला दिखाई देने लगा था।

भारत की राजधानी में प्रदूषण का स्तर खतरनाक अनुपात तक पहुँच गया है और शायद इसी कारण से दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले गुरुवार शहर की तुलना गैस चैंबर से की है।

बीजिंग के विपरीत, वर्तमान में दिल्ली के पास अलर्ट जारी करने के लिए कोई औपचारिक तंत्र नहीं है एवं प्रदूषण के लिए परामर्श , राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के प्रमुख ने हाल ही में राजधानी में बिगड़ती हवा की गुणवत्ता के बारे में लोगों को चेतावनी देने एवं इसके हानिकारक परिणाम से निपटने के सुझाव जारी करने के निर्देश दिए हैं।

कोलकाता स्थित चितरंजन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ( सीएनसीआई ) की एक रिपोर्ट के अनुसार शहर के 4.4 मिलियन स्कूली बच्चे में से करीब आधे अपरिवर्तनीय फेफड़ों के नुकसान के साथ बड़े हो रहे हैं।

क्या है पीएम 2.5 और पीएम 10

कणिका तत्व या पीएम, धूल, मिट्टी , कालिख , धूम्रपान, और तरल बूंदों सहित वायु में पाए जाने वाले कणों के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द है। इन्हें व्यास के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। 2.5 माइक्रोन ( माइक्रोमीटर ) से कम के कणों को पीएम 2.5 कहा जाता है। यह मानव बाल के औसत चौड़ाई का लगभग लगभग 1 / 30 वां भाग होते हैं। जिन कणों का व्यास 2.5 से 10 माइक्रोन के बीच हो उन कणों को पीएम 10 कहा जाता है।

पीएम 10 एवं 2.5 में श्वास लेने वाले कण शामिल होते हैं जो इतने छोटे होते हैं कि श्वसन प्रणाली के वक्ष क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं। श्वास लेने वाले पीएम से होने वाले स्वास्थ्य प्रभाव को अच्छी प्रकार प्रलेखित किया गया है। यह प्रभाव वायु में अल्पकालिक (घंटे, दिन) और लंबी अवधि ( महीने, साल) तक रहने पर निर्भर है और इनसे स्वास्थ्य को इन प्रकार का खतरा हो सकता है –

- श्वसन और हृदय रुग्णता जैसे दमा, सांस लेने में तकलीफ के लक्षण और

- हृदय और सांस की बीमारियों से और फेफड़ों के कैंसर से मृत्यु दर

श्वसन स्वास्थ्य पर पीएम 10 की छोटी अवधि के जोखिम के प्रभावों के स्पष्ट उद्हारण हैं लेकिन मृत्यु दर के लिए, और विशेष रूप से लंबी अवधि के जोखिम के परिणाम के रूप में , पीएम 10 के मोटे हिस्से की तुलना में पीएम 2.5 से होने वाला जोखिम अधिक है।

Source: US Environmental Protection Agency, World Health Organization

( सेठी इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं। अतिरिक्त रिसर्च - अंजलि शर्मा, सोमिन सोनी और एरिक डोड्ज )

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 10 दिसंबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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