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वर्ष 2015 में भारत के रक्षा बजट में करीब 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यदि आंकड़ों पर नज़र डालें तो यह 2.2 लाख करोड़ रुपए (33 बिलियन डॉलर) से बढ़ कर 2.4 लाख करोड़ रुपए (36 बिलियन डॉलर)

वर्ष 2015 में पिछले वर्ष के मुकाबले पूंजीगत खर्चे (नए उपकरण खरीदने) के लिए राशि में 15 फीसदी की वृद्धि हुई है लेकिन इनमें से अधिकांश हिस्सा महंगे आयात के लिए अलग रखा गया है। इसी संबंध में हम इस रिपोर्ट में चर्चा करेंगे।

रक्षा व्यय, वर्ष 2013-14 से 2015-16

वायु सेना के लिए नए फाइटर (फ्रेंच एवं भारत निर्मित) एवं हेलीकॉप्टर

वर्ष 2015 की सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि, 126 फ्रेंच डेसाल्ट रफेल लड़ाकू जेट विमानों की खरीद के लिए, 20 मिलियन डॉलर (करीब 1.45 लाख करोड़ रुपये) मीडियम मल्टी रोल लड़ाकू विमान (एमएमआरसीए) के सौदे का समाप्त होना है। इंडियास्पेंड ने पहले ही बताया है कि इसका प्रमुख कारण व्यय हो सकता है।

स्क्वाड्रन शक्ति को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने 8 से 9 बिलियन डॉलर (52,800-59,400 करोड़ रुपए) की अनुमानित लागत वाले फ्रांस की डेसॉल्ट के कारखानों से उड़ने की स्थिति वाले 36 राफेल विमान के खरीद को मंजूरी दे दी है।

भारत के रक्षामंत्रालय एवं डेसाल्ट ने इस वर्ष हुई लागत पर चर्चा की है। इसी महीने गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद की भारत यात्रा के दौरान एक समझौते पर हस्ताक्षर किया जा सकता है ।

तीन प्रमुख सौदे के साथ, वर्ष 2015 भारत के हेलीकाप्टर बेड़े के लिए एक अच्छा वर्ष रहा है : 15 चिनूक भारी लिफ्ट हेलीकाप्टरों एवं 3 बिलियन डॉलर (करीब 19,800 करोड़ रुपये) की लागत से अमेरिका की बोइंग कंपनी से 22 हमलावर हेलीकाप्टरों की खरीद; एवं 1 बिलियन डॉलर (6,600 करोड़ रुपये) का सौदा 200 कामोव 226 टी उपयोगिता हेलीकाप्टरों के लिए, वायु सेना के पुरानी चेतक और चीता हेलीकाप्टरों के लिए एक स्थानापन्न। कामोव स्थानीय स्तर पर निर्मित किया जाएगा।

हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए), तेजस से संबंधित सबसे बड़ी गतिविधि, अधिक सक्षम वाले मार्क 2 संस्करण के विकास में देरी के बाद, 20 बेसिक मार्क1 और 100 सुधार किए हुए मार्क 1 ए वेरिएंट की खरीद करने का निर्णय रहा है।

फिफ्थ जनरेशन का लड़ाकू विमान भारत के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और रूस के सुखोई द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा जोकि वर्तमान में दोनों पक्षों के बीच मतभेद के कारण अटक गया है।

भारत की अपनी स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान का विकास (AMCA) प्रगति पर है।

सेना को मिलती है अमरिका एवं भारत में निर्मित तोपें, भारतीय -निर्मित मिसाइलें और राइफलें

भारत ने मई 2015 में, ब्रिटेन मुख्यालय बीएई सिस्टम्स के अमरिकी शाखा से 145 बीएई एम 777 अल्ट्रा लाइट तोपों को खरीदने के लिए 430 मिलियन डॉलर (2,900 करोड़ रूपए) के सौदे को मंजूरी दे दी है। यह बोफोर्स घोटाले के बाद पहला तोपखाने के आधुनिकीकरण का सौदा है।

सेना को बोफोर्स मंच से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित 155 मिमी धनुष तोपें भी प्राप्त होगी, अंत: 114 धनुष तोपें प्रवर्तन में लाई जाएंगी एवं प्रत्येक में 14 करोड़ रुपए की लागत आएगी। स्वीडिश बोफोर्स तोपों की तुलना में इनकी रेंज 38 किलोमीटर, 11 किमी अधिक है।

भारतीय सेना ने आकाश, सतह से वायु मिसाइल को भी शामिल किया है। यह मिसाइल 25 किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के हेलीकाप्टरों , विमानों और यूएवी को निशाना बनाने में सक्षम है।

भारतीय सेना ने, सेना के लिए 66,000 बहु - कैलिबर राइफल की खरीद के लिए 2011 में जारी की एक वैश्विक निविदा रद्द कर दी है। आईएचएस जेन के एक रक्षा परामर्श के अनुसार डीआरडीओ द्वारा डिजाइन की गई ' एक्सकैलिबर ' राइफलें अब उन्नत परीक्षण में हैं जो 600,000 राइफलों की प्रतिस्थापन होगी एंव प्रत्येक राइफल की लागत 60,000 रुपए होगी।

परमाणु पनडुब्बियों और एक नए विमान वाहक के लिए नौसेना की दौड़

आईएनएस अरिहंत, भारत के पहले परमाणु संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN), का समुद्री परीक्षण वर्ष 2015 में हुआ है। अंग्रेज़ी दैनिक, द हिंदू के मुताबिक नए साल के फरवरी महीने में इस पनडुब्बी के शुरु होने की संभावना है।

इस रिपोर्ट के अनुसार एक और स्वदेशी SSBN , आईएनएस अरिधमन फिलहाल निर्माणाधीन है एवं तीसरे पर भी काम जल्द शुरु होने की संभावना है।

आईएनएस कालवरी, छह स्कॉर्पियन स्तरीय पारंपरिक डीजल -इलेक्ट्रिक हमले पनडुब्बियों में से सबसे पहली, का इस साल अक्टूबर में समुद्री परीक्षण शुरू किया है। यह इस वर्ष सितंबर में शुरु किया जाएगा।

इंडियास्पेंड ने पहले ही बताया है कि चीन के मुकाबले भारत के पंडुब्बी पीछे हैं। भारत 12 बिलियन डॉलर (80,000 करोड़ रुपये) की लागत से छह पारंपरिक पनडुब्बियों एवं 13 बिलियन डॉलर (90,000 रुपए करोड़) की लागत से छह परमाणु शक्ति चालित हमले पनडुब्बियों (एसएसएन) खरीदने की योजना कर रहा है।

नौसेना ने 7,500 टन की क्षमता वाले आईएनएस कोच्चि की शुरूआत की है। यह कोलकाता श्रेणी ( परियोजना 15ए ) के गाइडेड मिसाइल में दूसरा युद्धपोत है। इस श्रेणी का तीसरा पोत आईएनएस चेन्नई2016 के अंत तक सेना में शामिल होगा।

भारत का पहला स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत, इस साल एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर तक पहुँच गया जब जून में विक्रांत को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड पर गोदी से बाहर निकाला गया।

नौसेना ने पानी के भीतर हथियारों का परीक्षण करने के लिए डीआरडीओ द्वारा विकसित आईएनएस अस्त्राधारिणी, एक नए टारपीडो प्रक्षेपण और वसूली पोत, का जलावतरण किया है।

मिसाइल प्रणाली के परीक्षण के लिए एक अच्छा वर्ष

वर्ष 2015 में भारत की मिसाइल प्रणाली के परीक्षण के लिए एक अच्छा साल रहा है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने इस रिपोर्ट के अनुसार 11 श्रेणियों में से कम से कम 16 मिसाइल परिक्षण 14 बार सफल रहे है।

अग्नि I अग्नि III, अग्नि IV और धनुष बैलिस्टिक मिसाइल, ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल , और एस्ट्रा हवा से हवा में मिसाइलों का परिक्षण सफल रहा है।

750-1000 किमी की दूरी के साथ सबसोनिक निर्भय क्रूज मिसाइल एक उल्लेखनीय विफलता थी।

2015 के लिए निर्धारित एक सुखोई -30 एमकेआई लड़ाकू से सुपरसोनिक 300 किलोमीटर रेंज ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण प्रक्षेपण , मध्य -2016 तक के लिए टाल दिया गया है।

एक रैंक एक पेंशन

नरेंद्र मोदी सरकार ने अंतत: रक्षा कर्मियों के लिए एक रैंक एक पेंशन (OROP) योजना की घोषणा की है।

इस योजना के लिए प्रति वर्ष 8,000 करोड़ रुपये (1.2 बिलियन डॉलर) अतिरिक्त व्यय की आवश्यकता होगी एवं इस योजना के तहत उन सभी पूर्व सैनिकों को एक समान पेंशन का भुगतान जो समान अवधि की सेवा के बाद एक ही रैंक से रिटायर हुए हों।

हालांकि, दिग्गजों का एक वर्ग सरकार के खिलाफ यह कहते हुए कि उनके साथ धोखा हुआ है, विरोध जारी रखा।

(सेठी इंडियास्पेंड के साथ विश्लेषक हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 29 दिसंबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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