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रियो ओलंपिक 2016 में हिस्सा लेने वाले भारतीय दल का एक हिस्सा। भारत के प्रदर्शन में गिरावट हुई है। 2012 लंदन ओलंपिक में 6 मेडल जीते थे जबकि 2016 रिओ ओलंपिक में दो मेडल प्राप्त हुए हैं।

भारत के पिछले ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता, अभिनव बिंद्रा , ने हाल ही में रियो ओलंपिक में एथलीटों पर ब्रिटेन द्वारा किए गए खर्च की ओर इशारा किया है। बिंद्रा ने जोर दिया है कि प्रदर्शन को पदक में बदलने के लिए पैसों की ज़रुरत है।

विशेष रूप से ओलंपिक, और सामान्य रूप से खेल पर होने वाले खर्च पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि मोटे तौर पर भारत,ब्रिटेन द्वारा खर्च किए गए राशि का एक चौथाई का तिहाई खर्च करता है। गौर हो कि ब्रिटेन ने 67 मेडल जीते हैं जबकि भारत केवल दो मेडल जीत पाया है। और खेल महासंघों के लिए केंद्रीय वित्त पोषण में गिरावट हो रही है।

हमारे विश्लेषण के अनुसार, भारत की तुलना में ब्रिटेन कम एथलीटों पर खर्च करता है। भारत यह खर्च कई महासंघों और खिलाड़ियों के बीच प्रचारित किया जाता है।

ब्रिटेन में 15 से 35 वर्ष की आयु वर्ग के बीच 18 मिलियन लोग हैं जबकि इसी आयु वर्ग के बीच भारत में 400 मिलियन लोग हैं।

ब्रिटेन के एक समाचार पत्र, गार्जियन में छपे मूल स्टोरी में ब्रिटेन स्पोर्ट, एक सरकारी निकाय जो ओलंपिक खेल को वित्त पोषण देते हैं और संचालन करते हैं, द्वारा प्रति पदक £ 5.5 (7 मिलियन डॉलर) निवेश की गणना की गई है।

ब्रिटेन, सामान्य रूप से, वर्षिक बजट के माध्यम से खेल के बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण पर 1.5 बिलियन डॉलर(9000 करोड़ रुपए) खर्च करता है जबकि ब्रिटेन स्पोर्ट, ने चार वर्षों में (2013-2017) ओलंपिक की तैयारी पर 350 मिलियन डॉलर खर्च किया है।

छह बड़े राज्यों के खेल बजट की हमारी समीक्षा के अनुमान के अनुसार, तुलनात्मक रुप से केंद्रीय और राज्य बजट के माध्यम से भारत, ब्रिटेन का एक-तिहाई या 500 मिलियन डॉलर (या 3,200 करोड़ रुपए) खर्च करता है।

यही संघ बजट युवा मामले और खेल मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) और राष्ट्रीय खेल विकास कोष (नएसडीएफ) और टारगेट ओलंपिक पोडियम (टीओपी) ​​कार्यक्रम के संभावित ओलंपिक एथलीटों को वित्त पोषण देता है।

सरकार के योगदान के अलावा, एनएसडीएफ निजी संगठनों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के माध्यम से वित्त पोषित होती है।

भारत में, चार वर्षों के दौरान (2012-13 से 2015-16), खेल विशेष महासंघों, प्रशिक्षण केन्द्रों, कोच और अन्य बुनियादी ढांचों पर 750 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, जबकि चार वर्षों में एथलीटों पर एनएसडीएफ के माध्यम से 22.7 करोड़ रुपए (109 एथलीटों) और टीओपी कार्यक्रम (2016 ओलंपिक के लिए 97 एथलीटों , पैरा ओलंपिक एथलीटों को छोड़कर) के माध्यम से 38 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

नीति ओलंपिक पर केंद्रित लेकिन खेल के वित्त पोषण में गिरावट

2016 तक, मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल महासंघों की संख्या 57 से गिर कर 49 हुई है, और पिछले तीन वर्षों में उनके पोषण में गिरावट हुई है, जैसा कि नीचे दिए गए चार्ट में दिखाया गया है।

भारतीय खेल महासंघों के पोषण में गिरावट

Source: Lok Sabha, unstarred question no. 2935, 15th March 2016

* Up to December 2015, figures in Rs crore

खेल के बुनियादी ढांचे और कोचिंग पर किए जाने वाले खर्च राशि में से केवल 8 फीसदी एथलीटों की विशेष कोचिंग पर खर्च किया जाता है।

एनएसडीएफ द्वारा समर्थित 109 एथलीटों में से केवल 30 ने 2016 ओलिंपिक खेलों में रियो डी जनेरियो में भारत के दल में जगह बनाई है।

टीओपी कार्यक्रम के माध्यम से वित्त पोषित 97 एथलीटों में से 68 ने दल में जगह बनाई जबकि 29 जगह नहीं बना पाए हैं।

संभावित 109 ओलंपिक एथलीटों पर एनएसडीएफ द्वारा किए गए 22.7 करोड़ रुपए (3.5 मिलियन डॉलर) खर्च, ओलंपिक के लिए समयावधि में हर वर्ष प्रति एथलीट 5.2 लाख रुपए या 9000 डॉलर तब्दील करता है।

टीओपी योजना के तहत प्रति एथलीटों को हर साल 9.8 लाख रुपए या 16,000, डॉलर प्राप्त हुआ है। इनमें प्रशिक्षण केंद्रों और कोचिंग की फीस की लागत भी शामिल है।

ब्रिटेन में ओलंपिक की तैयारियों का वित्त पोषण भारत का चार गुना है

ब्रिटेन,जो रियो पदक तालिका पर तीसरे स्थान पर रहा है, 374 एथलीटों पर 350 मिलियन डॉलर खर्च किया है, जोकि बुनियादी सुविधाएं, प्रशिक्षण और कोचिंग सहित प्रति एथलीट 1 मिलियन डॉलर है।

पदक विजेता एथलीटों पर विशिष्ट खर्च सालाना 36,000 डॉलर गया है, जोकि भारत में एथलीटों पर खर्च होने वाले 9000 डॉलर का चार गुना है। ब्रिटेन ने 1997 के बाद, 2000 खेल की दौड़ से विशिष्ट या लक्षित खर्च शुरु किया है।

ब्रिटेन द्वारा किया गया खर्च और ओलंपिक पदक जीतने में सीधा संबंध प्रतीत होता है। अटलांटा ओलंपिक, जहां एक स्वर्ण पदक जीतने और 36 वें स्थान पर रहा, वहां के लिए 5 मिलियन पाउंड राशि के साथ ब्रिटेन ब्रिटेन रियो में दूसरे स्थान पर रहा है। 27 स्वर्ण पदकों के साथ, सदी के बाद (1908 में पहली बार था) इसका सबसे बेहतर प्रदर्शन रहा है।

दो दशक में ब्रिटेन ओलंपिक खर्च पचास गुना

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Source: UK Sport

Note: spending on Paralympics excluded

स्वर्ण पदक तालिका में ब्रिटेन दूसरे स्थान पर रहा है जबकि भारत रियो ओलंपिक 2016 में एक कांस्य और एक रजत पदक के साथ 67 वें स्थान पर रहा है।

अमरिका का तरीका अलग – कई एथलीट जुटाते हैं स्वंय के पैसे

ब्रिटेन ने 1996 अटलांटा ओलंपिक खेलों के बाद अपनी ओलंपिक खर्च बढ़ाया है, जहां उसने एक स्वर्ण पदक जीता था।

अमेरिका के एथलीट काफी हद तक निजी धन पर निर्भर करते हैं। 100 से अधिक अमेरिकी एथलीटों ने आम जनता से दान के लिए व्यक्तिगत वित्त पोषण पोर्टलों की शुरुआत की है।

गार्जियन की इस रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी ओलिंपिक समिति के वित्त का केवल 10 फीसदी ही वास्तव में एथलीटों पर खर्च कर रहे हैं। अमेरिका रियो पदक तालिका में सबसे ऊपर है

चीन, जो रियो में तीसरे स्थान पर है, खेल के आक्रामक राज्य प्रायोजित बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। एक दशक के प्रयास के बाद – पहली बार - बीजिंग 2008 में पदक तालिका में सबसे ऊपर रहा था। हाल ही में, खेल भावना को नज़रअंदाज़ करनेका तर्क देते हुए चीन की सरकार ने ओलंपिक के लिए अपने पदक केंद्रित दृष्टिकोण की समीक्षा के लिए बुलाया गया है।

भारत में ओलंपिक खेल के लिए निजी धन में वृद्धि लेकिन विस्तार अस्पष्ट

हालांकि, प्रायोजकों के रूप में खेलों के लिए निजी धन की भूमिका और एनएसडीएफ के लिए योगदान खुला और लिखित है लेकिन व्यक्तिगत एथलीटों के लिए पोषण नहीं है। हाल ही में, इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड, एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी, ने तीन साल के लिए एनएसडीएफ के लिए 30 करोड़ रुपये का योगदान दिया।

भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) रिलायंस जियो, एडलवाइज फाइनेंशियल सर्विसेज, अमूल, टाटा नमक, हर्बालाइफ और ली निंग और एसबीजे से दान प्राप्त हुआ है।

रियो में भारत का पहला पदक विजेता, साक्षी मलिक ने जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट, ओ पी जिंदल समूह द्वारा वित्त पोषित एक प्रतिष्ठान, का धन्यवाद दिया है।

2010 में, भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी, सानिया नेहवाल की हांगकांग यात्रा – जहां उन्होंने हांगकांग सुपर सीरिज़ जीता और विश्व के दूसरे स्थान पर आई – वह ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट, पूर्व खिलाड़ियों द्वारा बनाई एवं समर्थित संस्था, द्वारा पोषित किया गया था।

खेल मंत्रालय ने, 3000 करोड़ रुपये के लिए एक अभूतपूर्व खेल मंत्रालय बजट ले जाते हुए, राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन पर 1500 करोड़ रुपए खर्च किए थे लेकिन खिलाड़ी निधि के लिए समान झुकाव नहीं दिखाया है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 2014 में विस्तार से बताया है। राष्ट्रीय खेल विकास कोष, हम उल्लेख किया है, अपने पैसे को प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं करता है।

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(वाघमारे इंडियास्पेंड के साथ विश्लेषक हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 22 अगस्त 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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