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छोटी बच्चियों की तस्करी देश में दूसरा सबसे अधिक होने वाला अपराध है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ( एनसीआरबी ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक दशक में बच्चियों की तस्करी मामले में 14 गुना की वृद्धि हुई है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2014 में छोटी बच्चियों की तस्करी अपराध में 65 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार भारत में तस्करों का मुख्य निशाना महिलाएं एवं बच्चियां होती हैं। राष्ट्रीय स्तर पर पिछले एक दशक में 76 फीसदी मानव तस्करी के मामले दर्ज की गई है।

पिछसे एक दशक में, मानव तस्करी के अंदर जो दूसरे मामले दर्ज किए हैं उनमें वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियों की बिक्री, विदेश से लड़कियों का आयात एवं वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियों की खरीद शामिल है।

यौन शोषण वेश्यावृत्ति, सेक्स टूरिज़्मएवं अश्लील साहित्य सहित कई और व्यवसायिककारणों से लड़कियों एवं महिलाओं का यौन शोषण किया जाता है।

वर्ष 2014 में देश भर से कम से कम 8,099 लोगों के सौदे की रिपोर्ट दर्ज की गई है।

भारत में तस्करी, 2014

Source: National Crime Records Bureau; Note: The IPC sections for the crimes mentioned above are as follows--Procuration of minor girls (Sec. 366-A IPC), Importation of girls from foreign country (Sec. 366-B IPC), Selling of girls for prostitution (Sec. 372 IPC), Buying of girls for prostitution (Sec. 373 IPC), Human Trafficking (Sec 370 & 370A IPC)

अधिकतर पीड़ित ( 3,351 ) के मामले अनैतिक तस्करी के तहत दर्ज की गई है। अनैतिक तस्करी के बाद सबसे अधिक मामले भारतीय दंड सहिंता ( आईपीसी ) की धारा 370 एवं 370 A मानव तस्करी ( 2,605 ) के तहत दर्ज की गई है।

संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के मुताबिक तस्कर की गई महिलाओं एवं छोटी बच्चियों को कई दूसरे देशों जैसे यूक्रेन , जॉर्जिया , कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान , अज़रबैजान, चेचन्या और किर्गिस्तान , नेपाल, थाईलैंड, मलेशिया और थाईलैंड आयात की जाती है।

छोटी बच्चियों एवं महिलाओं की तस्करी पर रोक लगाने के लिए 2013 में किए गए कानून में संशोधन बच्चों की तस्करी मामले में तीन साल से लेकर उम्र कैद की कठोर सज़ा प्रदान करता है। मानव तस्करी में शारीरिक शोषण या किसी भी रुप में यौन शोषण, गुलामी या शरीर के अंगों को हटाने के लिए मजबूर करने जैसी अपराध शामिल हैं।

देश के हरेक कोने तक फैली है मानव तस्करी

आमतौर पर मानव तस्करी देश के हर राज्य तक फैली हुई है। पिछले दस सालों के आंकड़ों को देखें तो मानव तस्करी मामले में सबसे पहले स्थान पर 9,701 मामलों के साथ तमिलनाडु राज्या है। 5,861 मामलों के साथ आंध्रप्रदेश दूसरे, 5,443 की संख्या के साथ कर्नाटक तीसरे, 4,190 के साथ पश्चिम बंगाल चौथे एवं 3,628 मामलों के साथ महारष्ट्र पांचवे स्थान पर है।

यह पांच राज्य मानव तस्करी के लिए सर्वोच्च स्रोत एवं गंतव्य क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों से तस्करी कर लड़कियों एवं महिलाओं को जिस्मफरोशी के धंधे में धकेला जाता है। देश में कुल दर्ज हुए मानव तस्करी मामलों में इन पांच राज्यों की हिस्सेदारी 70 फीसदी है।

मानव तस्करी, टॉप पांच राज्य

Source: National Crime Records Bureau; Note: Figures from 2005 to 2008 do not include cases reported under Child Marriage Restraint Act, 1929; Andhra Pradesh figures for 2014 are inclusive of Telangana.

हालांकि तमिलनाडु में इन आंकड़ों में गिरावट दर्ज गई है जबकि पश्चिम बंगाल में आंकड़ों में वृद्धि पाई गई है।

मानव तस्करी पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु से लड़कियों एवं महिलाओं का सौदा कर, दिल्ली एवं मुंबई के वेश्यालयों में भेजा जाता है। तमिलनाडु में पुलिस द्वारा दिए गए छोपे से भी पता चला है कि मानव तस्करी विश्व के कई दूसरे देशों तक फैला हुआ है।

trafficking_desktop_gifSource: UN Office on Drugs & Crime; Shapefile: Datameet

छह सालों में मानव तस्करी में 92% की वृद्धि

मानव तस्करी केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। हथियार एवं दवाओं की तस्करी ( जिसमें दुनिया भर में प्रतिवर्ष बिलियन डॉलरों का हेरफेर होता है ) के बाद मुनाफे स्रोत के रुप में यह तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है।

Human trafficking is the acquisition of people by improper means such as force, fraud or deception, with the aim of exploiting them, according to the United Nations Office on Drugs and Crime.

वर्ष 2014 में देश भर में दर्ज की गई मानव तस्करी मामलों में करीब 39 फीसदी की वृद्धि पाई गई है। वर्ष 2009 से 2014 के बीच, छह सालों में मानव तस्करी मामलों में 92 फीसदी का ईज़ाफा हुआ है। हालांकि 2005 से 2009 के बीच इन मामलों में 55 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।

भारत में तस्करी, 2014

मानव तस्करी, टॉप पांच राज्य

Source: National Crime Records Bureau; Note: figures from 2005 to 2008 do not include cases reported under Child Marriage Restraint Act, 1929; The IPC sections for the crimes mentioned above are as follows--Procuration of minor girls (Sec. 366-A IPC), Importation of girls from foreign country (Sec. 366-B IPC), Selling of girls for prostitution (Sec. 372 IPC), Buying of girls for prostitution (Sec. 373 IPC), Human Trafficking (Sec 370 & 370A IPC)

अनैतिक तस्करी अधिनियम 1956 के तहत व्यवसायिक मुनाफे के लिए लड़कियों एवं महिलाओं का यौन शोषण किए जाने पर सज़ा का प्रावधान है।

मानव तस्करों को सज़ा, कई हैं पकड़ से बाहर

पिछले पांच सालों में 23 फीसदी मानव तस्करी मामलों पर सज़ा सुनाई गई है। मामले से संबंधित कम से कम 45,375 लोगों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 10,134 लोगों सज़ा सुनाई है। इन आरोपियों को जुर्माने से लेकर कैद तक की सजा सुनाई गई है।

10 सालों में मानव तस्करी के मामले

Source: National Crime Records Bureau

पिछले पांच सालों में 7,450 आंकड़े के साथ आंध्रप्रदेश में सबसे अधिक गिरफ्तारी की गई है। दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र, तीसरे पर कर्नाटक, चौथे पर तमिल नाडु एवं पांचवे स्थान पर पश्चिम बंगाल है।

कुल मिलाकर, मानव तस्करी से संबंधित तमिलनाडु में 2,756 लोगों के खिलाफ सज़ा सुनाई गई है। पिछले दस सालों में, किसी भी अन्य राज्य के मुकाबलेसज़ा केयह आंकड़े सर्वाधिक हैं। सज़ा के आंकड़े तमिलनाडु के बाद कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल एवं उत्तर प्रदेश राज्यों के सर्वाधिक सुनाए गए हैं।

वर्ष 2013 के मुकाबले 2014 में तस्करी मामले का बेहतर दर्ज होने का एक कारण बेहतर रिपोर्टिंग हो सकती है। मानव तस्करी जैसे गंभीर अपराध को रोकने के लिए भारत सरकार कई ठोस कदम उठाए हैं।

मानव तस्करी रोकने की सरकार की कोशिश

मानव तस्करी को पर रोक लगाने के लिए गृह मंत्रालय नेमानव तस्कर विरोधी ईकाइयों के अलावातस्कर विरोधी नोडल सेल की स्थापना की है जोकि 335 सबसे संवेदनशील पुलिस ज़िलों में शुरु किए गए हैं। ऐसे 225 ईकाइयां चलाई जा रही हैं।

वर्ष 2014 में मानव तस्कर विरोधी ईकाइयों के लिए अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, केरल, नागालैंड, ओडिसा, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड को केंद्र की ओर से 2.65 करोड़ रुपए दी गई है।

गृह मंत्रालय ने मानव तस्करी पर एक वेब पोर्टल की भी शुरुआत की है। इसके अलावा महिला एवं शिशु विकास मंत्रालय ने उज्ज्वाला नाम की कार्यक्रम की भी शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के तहत पीड़ित महिलाओं को इस जंजाल से छुड़ाने से लेकर उनका ईलाज एवं उनकी दोबारा जीवन शुरु करने की सुविधा की गई है।

( मल्लापुर इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं )

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 26 अगस्त 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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