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मुंबई: विश्व स्तर पर बाढ़ के कारण होने वाली मौतों में भारत की हिस्सेदारी 1/5वीं है, जैसा कि सरकारी आंकड़ों से पता चलता है। यह सरकारी आंकड़ा नए विश्व बैंक की ओर से किए गए एक नए अध्ययन के परिप्रेक्ष्य में बहुत महत्वपूर्ण है, जो कहता है कि 2050 तक जलवायु परिवर्तन भारत की आबादी के आधे हिस्से के जीवन स्तर के मानकों को कम करेगा।

वर्ष 1953 और 2017 के बीच, 64 वर्षों में भारत भर में भारी बारिश और बाढ़ के कारण 107,487 लोगों की मृत्यु हुई है, जैसा कि 19 मार्च, 2018 को राज्यसभा को प्रस्तुत केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों से पता चलता है। फसलों, घरों और सार्वजनिक संस्थानों को 365,860 करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया है । दूसरे ढंग से देकें तो यह नुकसान भारत के मौजूदा सकल घरेलू उत्पाद का 3 फीसदी है।

राज्यसभा में एक जवाब के मुताबिक, "बाढ़ के मुख्य कारणों के लिए कम अवधि में उच्च तीव्र वर्षा, खराब या अपर्याप्त जल निकासी क्षमता, अनियोजित जलाशय विनियमन और बाढ़ नियंत्रण संरचनाओं की विफलता जिम्मेदार है।"

पश्चिमी भारत में भारी बारिश के साथ ही, मंगलुरु, मुंबई और जुनागढ़ जैसे कई शहरों में 2018 मानसून के मौसम में बाढ़ आ गई है। 58 गांवों में आई बाढ़ से कम से कम 30 लोगों की मृत्यु हुई है, जैसा कि ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने 7 जुलाई, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।

जलवायु परिवर्तन से बाढ़ का खतरा

28 जून, 2018 को प्रकाशित विश्व बैंक के अध्ययन में कहा गया है, "दक्षिण एशिया क्षेत्र में तापमान बढ़ रहा है, और अगले कई दशकों तक सभी व्यावहारिक जलवायु परिदृश्यों के तहत तापमान के बढ़ते रहने की आशंका है।"

इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप अधिक बार बाढ़ आएगी, अधिक पानी की जरूरत होगी और गर्मी से संबंधित बीमारियों में वृद्धि होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोलकाता, मुंबई, ढाका और कराची जैसे दक्षिण एशियाई शहरों को ( जो 50 मिलियन से ज्यादा लोगों का घर है ) अगले शताब्दी में बाढ़ से संबंधित नुकसान का काफी खतरा है।

भारत जलवायु परिवर्तन के परिणामों के लिए दुनिया के सबसे कमजोर क्षेत्रों में से एक है। यहां मॉनसून के दौरान बरसात के दिनों में मूसलाधार बारिश के साथ-साथ अंतराल की आवृत्ति में वृद्धि हुई है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने जनवरी 2018 और फरवरी 2018 की रिपोर्ट में बताया है।

जिस तरह से भारत की जलवायु गर्म हो रही है, चरम मौसम जैसे कि तीव्र बारिश और ज्यादा बाढ़ से मौसम के बद्तर होने की आशंका है।

ऊपर वर्णित नए विश्व बैंक अध्ययन में कहा गया है कि 2050 तक सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश होंगे। 10 सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से सात विदर्भ, महाराष्ट्र के होंगे।

2040 तक भारत गंभीर बाढ़ के खतरे के संपर्क में आने वाली आबादी में छह गुना वृद्धि देख सकता है। वर्ष 1971 और 2004 के बीच इस जोखिम का सामना करने वाले लोगों की संख्या 3.7 मिलियन से 25 मिलियन तक हो सकती है, जैसा कि इंडियास्पेन्ड ने फरवरी 2018 में एक विज्ञान पत्रिका ‘साइंस एडवांस’ में प्रकाशित एक अध्ययन के आधार पर रिपोर्ट की थी।

एक सरकारी निकाय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, "बाढ़ का सामना करने के लिए भारत बेहद कमजोर है। 329 मिलियन हेक्टेयर (माहा) के कुल भौगोलिक क्षेत्र में से 40 मिलियन हेक्टेयर से अधिक जमीन पर बाढ़ का खतरा है।"

भारत में बाढ़ / भारी बारिश के चलते 11,316 मौतों की सूचना 1977 में मिली थी। यह संख्या बहुत ज्यादा है। जबकि बाढ़ की वजह से 1953 में दर्ज 37 मौतों की संख्या अब तक का सबसे कम है।

बाढ़ के कारण हुई मौतें, 1953-2017

बाढ़ से होने वाला नुकसान, 1953-2017

बाढ़ के चलते हर साल 1,600 से ज्यादा लोग मारे जाते हैं, जो लगभग 32 मिलियन लोगों को प्रभावित करते हैं। हर साल 92,000 से अधिक मवेशी खो जाते हैं, सात मिलियन हेक्टेयर जमीन प्रभावित होती है, और नुकसान 5,600 करोड़ रुपये से अधिक है।

दिल्ली के ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अश्वनी कुमार गोसेन ने फरवरी 2018 में इंडियास्पेंड को बताया, "बाढ़ से उच्च नुकसान जलवायु में वर्तमान परिवर्तनशीलता से निपटने के लिए भारत की अपर्याप्तता को दर्शाता है।"

बाढ़ प्रवण राज्यों में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, केरल, असम, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब शामिल हैं।

4 अप्रैल, 2018 को लोकसभा में दिए गए इस जवाब के मुताबिक, "मानसून के मौसम के दौरान तीव्र बारिश ब्रह्मपुत्र, गंगा और यमुना जैसी नदियों में जल बढ़ता है और इससे आस-पास के क्षेत्रों में बाढ़ आती है।"

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Source: National Disaster Management Authority

देश में 20 राज्यों, दो केंद्र शासित प्रदेश और 19 नदी घाटी में बाढ़ की निगरानी के लिए, 226 बाढ़ पूर्वानुमान स्टेशन हैं। सरकार 2020 तक नेटवर्क को 325 स्टेशनों तक विस्तारित करने की योजना बना रही है।

(मल्लापुर विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 17 जुलाई, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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