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अगर आप सोचते हैं कि सुबह का समय बाहर व्यायाम के लिए सर्वश्रेष्ठ है, तो आप गलत हैं।

चार भारतीय शहरों बैंगलुरू, चेन्नई, दिल्ली और मुंबई में सुबह के समय वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है। इंडियास्पेंड के #ब्रीथ एयर क्वालिटी सेंसर्स द्वारा इन चारों शहरों में 15 मार्च से 15 अप्रैल 2016 के बीच लिए गए पार्टिकुलेट मैटर्स (पीएम) 2.5 आंकड़ों के विश्लेषण से ये नतीजा निकला है।

सबसे अच्छे और सबसे बुरे घंटे

Note: Figures in micrograms per cubic metre of air (μg/m3)

बैंगलुरू: सर्वश्रेष्ठ वायु गुणवत्ता- मध्यरात्रि में

सबसे अधिक दूषित हवा सुबह 7 बजे थी। इस दौरान हवा में पीएम 2.5 की मात्रा सबसे अधिक 61.54 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रही। जैसे-जैसे दिन चढ़ा, हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ, लेकिन शाम के 5 बजे तक ये फिर दूषित होने लगी और शाम को 7 बजे 57.60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के साथ शाम के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई। हवा की गुणवत्ता सबसे अच्छी मध्यरात्रि के लगभग पाई गई, जब पीएम 2.5 स्तर गिरकर निम्नतम स्तर 40.12 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर रहा।

चेन्नई: सर्वश्रेष्ठ वायु गुणवत्ता- शाम 3 बजे

शहर में सुबह 7 बजे सबसे अधिक दूषित हवा पाई गई, इस दौरान पीएम 2.5 का स्तर 61.54 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के साथ अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गया। रात में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ना शुरू हुआ और और सुबह 7 बजे के बाद गिरना शुरू हुआ। हवा की सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता शाम को 3 बजे दर्ज की गई, इस दौरान पीएम 2.5 का स्तर निम्नतम 20.76 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुँच गया।

दिल्ली: सर्वश्रेष्ठ वायु गुणवत्ता- शाम 4 बजे

वायु प्रदूषण के लिहाज से सुबह का समय सबसे खराब रहा, इस दौरान सुबह 7 बजे पीएम 2.5 का स्तर 108.16 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुँच गया। दिन चढ़ने के साथ ही हवा की गुणवत्ता में भी धीरे-धीरे सुधार हुआ, शाम को 4 बजे सबसे साफ हवा पाई गई, इस दौरान पीएम 2.5 का स्तर 22.84 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया। इसके बाद रात भर प्रदूषण का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता गया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में दिल्ली सबसे ऊपर है।

मुंबई: सर्वश्रेष्ठ वायु गुणवत्ता- शाम 5 बजे

मुंबईवासियों के लिए सबसे बुरा घंटा सुबह के 8 बजे का है, इस दौरान पीएम 2.5 का स्तर 48.61 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा; सुबह 5 बजे के बाद हवा दूषित होना शुरू हुई। वायु की सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता शाम को 5 बजे दर्ज की गई, इस दौरान पीएम 2.5 का स्तर 22.38 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था।

पीएम 2.5 स्तरों के लिए स्वास्थ्य विवरण

Health Statement for PM 2.5 Levels
BreakpointsAQI CategoryHealth Effects
0-30GoodMinimal impact
31-60SatisfactoryMinor breathing discomfort to sensitive people
61-90ModerateBreathing discomfort to people with sensitive lungs, asthma and/or heart diseases
91-150PoorBreathing discomfort to most people on prolonged exposure
151-250Very PoorRespiratory illness on prolonged exposure
250+SevereAffects healthy people and seriously impacts those with existing diseases

Source: Central Pollution Control Board; Breakpoint figures in micrograms per cubic meter (µg/m³)

भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद के 2014 के इस शोध पत्र के अनुसार बाहर की दूषित हवा से भारत में सालाना 6,70,000 मौतें होती हैं।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर से वायु प्रदूषण वैश्विक चिंता बन गया है, अनुमान के अनुसार दुनियाभर में 2012 में शहरों और गांवों में बाहरी वायु प्रदूषण से 37 लाख लोगों की असमय मृत्यु हुई है।

पार्टिकुलेट मैटर्स, या पीएम धूल, गंदगी, कालिख, धुआं और तरल बूंदों सहित हवा में पाए जाने वाले कणों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें इनके व्यास के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। 2.5 माइक्रोमीटर्स से कम व्यास वाले कणों को पीएम 2.5 कहा जाता है। वे लगभग मानव बाल की औसत चौड़ाई का लगभग 1/30वां हिस्सा होते हैं। 2.5 और 10 माइक्रोमीटर्स व्यास के बीच वाले कणों को पीएम 10 कहा जाता है।

पीएम 10 और पीएम 2.5 में सांस के जरिये शरीर में जाने वाले कण भी शामिल होते हैं जो कि इतने छोटे होते हैं कि श्वसन प्रणाली के वक्ष क्षेत्र में घुस जाते हैं। सांस में घुल सकने वाले पीएम के स्वास्थ्य पर बुरे असर की पुष्टि हो चुकी है और वजह छोटी अवधि (घंटे, दिन) और लंबी अवधि (महीने और साल) में इन कणों का होना है। असर में शामिल है: सांस और दिल की बीमारियां जैसे दमा का बढ़ना, सांस लेने में दिक्कत और अस्पताल के दाखिलों में बढ़ोतरी; और दिल और सांस की बीमारियों से फेफड़ों के कैंसर से मृत्यु।

इस बात के काफी प्रमाण हैं कि छोटी अवधि में पीएम 10 का श्वास संबंधी स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन प्रदूषित हवा से मौत और खासकर लंबी अवधि में होने वाले नुकसान के मामले में पीएम 2.5 का जोखिम पीएम 10 के मुकाबले अधिक होता है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार छोटे पार्टिकुलेट (पीएम 10 और पीएम 2.5) की अधिक मात्रा के कारण अधिक मृत्यु दर और दिल/सांस की बीमारियों और कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ने के बीच नजदीकी संबंध है, रोजाना और समय के साथ ऐसा हो रहा है।

यह लेख मूलतः अंग्रेजी में 22 अप्रैल 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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