The Prime Minister, Shri Narendra Modi addressing the Nation on the occasion of 68th Independence Day from the ramparts of Red Fort, in Delhi on August 15, 2014.

आज प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार लाल किले पर तिरंगा फहराया है। इंडियास्पेंड एवं FactChecker ने उन मुख्य घोषणाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा करने की कोशिश की है जिन्हें मोदी ने पिछले साल ठीक आज ही के दिन 15 अगस्त 2014 को शुरु करने की बात कही थी।

1 ) प्रधानमंत्री जन धन योजना : 174 मिलियन से अधिक बैंक खाते खोले गए, 46 फीसदी के पास नहीं है पैसे।

क्या कहा मोदी ने: “भाइयों-बहनों, इस आज़ादी के पर्व पर मैं एक योजना को आगे बढ़ाने का संकल्प के लिए आपके पास आया हूं – ‘प्रधानमेंत्री जनधन योजना’। इस ‘प्रधानमेंत्री जनधन योजना’ के माध्यम से हम देश के गरीब से गरीब लोगों के बैंक अकाउंड की सुविधा से जोड़ना चाहते हैं। आज करोड़ो-करोड़ परिवार हैं, जिनके पास मोबाइल फोन तो है, लेकिन बैंक अकाउंट नहीं हैं। यह स्थिति हमें बदलनी है। देश के आर्थिक संसाधन गरीब के काम आएं, इसकी शुरुआत यहीं से होती है। यही तो है, जो खिड़की खोलता है। इसलिए ‘प्रधानमेंत्री जनधन योजना’ के तहत जो अकाउंट खुलेगा, उसको डेबिट कार्ड दिया जाएगा। उस डेबिट कार्ड के साथ हर गरीब परिवार को एख लाख रुपए की बीमा सुनिश्चित कर दिया जाएगा, ताकि अगर उसके जीवन में कोई संकट आया, तो उके परिवारजनों को एक लाख का बीमा मिल सकता है”।

कितना हुआ काम पूरा : प्रधानमंत्री के जनधन योजना से वित्तीय समावेन के लिए एक खिड़की ज़रुर खुली है जिस से की गरीबों को वित्तीय सेवाएं, जैसे कि बैंक खाते, क्रेडिट सेवाएं , डेबिट कार्ड, बीमा और पेंशन मिलने में सुविधा हुई है।5 अगस्त, 2015 तक 174.5 मिलियन लोगों ने नए बैंक खाते खोले हैं। लेकिन इनमें से 46 फीसदी लोगों के खातों में शून्य बैलंस दर्ज किया गया है। इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि किसी प्रकार सब्सिडी एवं सामाजिक सुरक्षा भुगतान इन खातों तक पहुंचाया जा रहा है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि गरीबों को वास्तव में वित्तीय सेवाओं का लाभ मिल पा रहा है। इंडियास्पेंड ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इससे पहले भी यूपीए सरकार ने पिछले पांच सालों में , 50 मिलियन से भी अधिक बैंक खाते खोले थे लेकिन इनमें से अधिकतर खातों का कभी इस्तेमाल नहीं हुआ। प्रधानमंत्री के जनधन योजना की शुरुआत सीधा प्रधानमंत्री कार्यालय की निगरानी में बहुत तेजी एवं आशाजनक रुप से हुआ है।

प्रधानमंत्री जनधन योजना (05.08.2015 तक खोले गए खाते)

Pradhan Mantri Jan - Dhan Yojana (Accounts Opened As on 05.08.2015)
S.NoNo Of AccountsNo Of Rupay Debit CardsBalance In Accounts% of Zero Balance Accounts
RuralUrbanTotal
1Public Sector Banks74.861.6136.4125.4172731.246
2Rural Regional Banks26.54.631.122.736845.649
3Private Banks4.12.876.210750.146
Total105.569174.5154.3220326.846

Source: Ministry of Finance; Figures in Millions. Disclaimer: Information based on the data as submitted by different banks/state level bankers committees

2) सांसद आर्दश ग्राम योजना :ज़्यादातर सांसद ने गावं को ग्रहण कर चुके हैं। योजना की सफलहुई है या विफल यह 2016 तक स्पष्ट होगा है।

क्या कहा मोदी ने: हमारे देश में प्रधान मंत्री के नाम पर कई योजनाएं चल रही हैं, कई नेताओं के नाम पर ढेर सारी योजनाएं चल रही हैं, लेकिन मैं आज सांसद के नाम पर एक योजना घोषित करता हूं- “सांसद आदर्श ग्राम योजना”। हम कुछ पैरामीटर्स तय करेंगे और मैं सांसदों से आग्रह करता हूं कि वे अपने इलाके में तीन हज़ार से पांच हजार के बीच का कोई भी गांव पसंद कर लें और कुछ पैपामीटर्स तय हो – वहां के स्थल, काल, परिस्थिति के अनुसार , वहां की शिक्षा, वहां की स्वास्थ्य, वहां की सफाई, वहां के गांव का माहौल, गांव में ग्रीनरी, गांव का मेलजोल, कई पैरामीटर्स हम तय करेंगे और हर सांसद 2016 तक अपने इलाके में एक गांव को आर्दश गांव बनाए। इतना तो कर सकते है न भाई! देश बनाना है तो गांव से शुरु करें। एक आदर्श गांव बनाएं और मैं 2016 का टाइम इसलिए देता हूं कि नयी योजना है, लागू करने में, योजना बनाने में कभी समय लगता है और 2016 के बाद, जब 2019 में वह चुनाव के लिए जाए, उसके पहले और दो गांवों को करे और 2019 के बाद हर सांसद, 5 साल के कार्यकाल में कम से कम 5 आदर्श गांव अपने इलाके में बनाए।

कितना हुआ काम पूरा:अब तक लोक सभा के केवल 45 सांसद ( कुल 543 सासंदों में से ) एवं राजसभा के 5 सांसदों ( कुल 247 सांसदों में से ) ने योजना की अनदेखी करते हुए किसी भी गांव को नहीं अपनाया है। हर सांसद को 2016 तक अपने क्षेत्र में एक एवं 2019 तक दो और आदर्श गांवों का निर्माण करना है। योजना की कार्यान्वयन की ज़िम्मेदारी ग्रामीण विकास विभाग को दी गई है लेकिन स्थानीय विधायकों के बिना काम पूरा करना मुश्किल होगा। अंग्रेज़ी अखबार मिंट ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उत्तर प्रदेश का गांव जिसे कांग्रेस के उपाध्यक्ष, राहुल गांधी ने गोद लिया है, उसमें कोई बदलाव देखने नहीं मिला है।

आर्दश ग्राम योजना : सांसदों द्वारा अपनाया गया गांव

Saansad Adarsh Gram Yojana: Villages Adopted By MPs
Total Lok Sabha MPsGram Panchayats Adopted by Lok Sabha MPsTotal Rajya Sabha MPsGram Panchayats Adopted by Rajya Sabha MPs
543498247191

Source: Ministry of Rural Development

प्रधानमंत्री ने योजना के पूरे होने की समय सीमा 2016 तक तय की है। साल 2016 तक ही स्पष्ट को पाएगा कि योजना सफल हुई है या नहीं।

3) हर सरकारी स्कूलों में शौचालय का निर्माण – सरकार के अनुसार ज़्यादातर स्कूलों में शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है लेकिन शौचालयों में पानी की व्यवस्था की अब भी कमी है।

क्या कहा मोदी ने : “...इसलिए स्वच्छ बारत का एक अभियान इसी 2 अक्टूबर से मुझे आरंभ करना है और चार साल के भीतर हम इस काम को आगे बढ़ाना चाहते हैं। एक काम तो मैं आज ही शुरु करना चाहता हूं और वह है- हिंदुस्तान के सभी स्कूलों में टॉयलेट हो, बच्चियों के लिए अलग टॉयलेट हो, तभी तो हमारी बच्चियां स्कूल छोड़ कर भागेंगी नहीं। हमारे सांसद जो एपी लैड फंड का उपयोग कर रहे हैं, मैं उनसे आग्रह करता हूं कि एक साल के लिए आपका धन स्कूलों में टॉयलेट बनाने के लिए खर्च कीजिए। सरकार अपना बजट टॉयलेट बनाने में खर्च करे। मैं देश के कॉरपोरेट सेक्टर्स का भी आह्वान करना चाहता हूं कि कॉरपोरेटसोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत आप जो खर्च कर रहे हैं, उसमें आप स्कूलों में टॉयलेट बनाने को प्राथमिकता दीजिए। सरकार के साथ मिलकर, राज्य सरकारों के साथ मिलकर एक साल के भीतर-भीतर यह काम हो जाए और जब हम अगले 15 अगस्त को यहां खड़े हों, तब इस विस्वास के साथ खड़े हों कि अब हिंदुस्तान का ऐसा कोई स्कूल नहीं है, जहां बच्चे एवं बच्चियों के लिए अलग टॉयलेट का निर्माण होना बाकी है”।

कितना हुआ काम पूरा : मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार देश भर में कम से कम 85 फीसदी सरकारी स्कूलों में लड़कों के लिए शौचालय बने हैं जबकि 91 फीसदी स्कूलों में बच्चियों के लिए शौचालय बनाए गए हैं। हालांकि इस दावे की कोई स्वतंत्र सत्यापन नहीं है।

स्वच्छ विद्यालय अभियान के तहत बनाए गए स्कूल

Toilets Built Under Swachh Vidhyalya (Clean School) Scheme
SI. No.StateCompletion% Completion
1.Andaman & Nicobar Islands36100
2.Andhra Pradesh1191338
3.Arunachal Pradesh90244
4.Assam3661
5.Bihar611632
6.Chandigarh__
7.Chhattisgaih192743
8.Dadra & Nagar Haveli4785
9.Daman & Diu-
10.Delhi-
11.Goa4729
12.Gujarat10313
13.Haryana00
14.Himachal Pradesh2419
15.Jammu & Kashmir00
16.Jharkhand122754
17.Karnataka61
18.Kerala61
19.Lakshadweep-
20.Madhya Pradesh629140
21.Maharashtra270362
22.Manipur00
23.Meghalaya255235
24.Mizoram00
25.Nagaland00
26.Odisha360749
27.Pudducherry--
28.Punjab46932
29.Rajasthan176820
30.Sikkim11
31.Tamil Nadu470771
32.Telangana1283039
33.Tripura31
34.Uttar Pradesh720862
35.Uttarakhand43454
36.West Bengal1030528
All India75598*

Source: Lok Sabha, * all-India % completion not given; Note: There were no data specifically on toilets for girls.

4) दस साल तक सांप्रदायिक दंगों पर स्थगन – यूपीए सरकार की शासन के दौरान चले दंगों की तरह ही अब भी है जारी।

क्या कहा मोदी ने: भाईयों-बहनों, सदियों से किसी न किसी कारणवश साम्प्रदायिक तनाव से हम गुज़र रहे हैं, देश विभाजन तक हम पहुंच गए। आज़ादी के बाद भी कभी जातिवाद का ज़हर, कभी सांप्रदायवाद का ज़हर, ये पापाचार कब तक चलेगा? किसका भला होता है? बहुत लड़ लिया, बहुत लोगों को काट लिया, बहुत लोगों को मार दिया। भाईयों-बहनों, एक बार पीछे मुड़कर देखिए, किसी ने कुछ नहीं पाया है। सिवाय भारत मां के अंगों पर दाग लगाने के हमने कुछ नहीं किया है औऱ इसलिए, मैं देश के उन लोगों का आह्वान करता हूं कि जातिवाद का ज़हर हो सम्प्रदायवाद का ज़हर हो, आतंकवाद का ज़हर हो, ऊंच-नीच का भाव हो, यह देश को आगे बढ़ाने मेंरुकावट है।

एक बार मन में तय करो, दस साल के लिए मोरेटोरियम तय करो, दस साल तक इन तनावों से हम मुक्त समाज की ओर जाना चाहते हैं और आप देखिए, शांति, एकता, सद्भावना, भाईचारा हमें आगे बढ़ने में कितनी ताकत देता है,

एक बार देखो।

कितना हुआ काम पूरा: पिछले छह सालों में प्रति माह दंगों की संख्या औसत रुप से एक जैसी ही रही है। हालांकि इस साल मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। सांप्रदायिक तनाव के मामले में 2013 सबसे बुरा साल रहा है वहीं सबसे कम तनाव वाला साल 2011 रहा है।

पिछले पांच साल एवं जून 2015 तक भारत में हुए सांप्रदायिक दंगे

Communal Riots In India: Past 5 Years and January to June 2015
YearIncidentsIncidents per month
201070158
201158048
201266855
201382368
201464453
2015*33055

Source: Lok Sabha

5) मेक इन इंडिया एवं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश ( एफडीआई ) – सफलतापूर्वक प्रारंभ, एफडीआई में 29 फीसदी की वृद्धि ( 2014-15 वित्तीय वर्ष की तुलना में )

क्या कहा मोदी ने :सरकार ने अभी कई फैसले लिए हैं, बजट में कुछ घोषणाएं की हैं और में विश्व का आह्वान करता हूं, विश्व में पहुंचे हुए भारतवासियों का भी आह्वान करता हूं कि आज अगर हमें नौजवानों को ज़्यादा से ज़्यादा रोज़गार देना है, तो हमें मैन्युफेक्टरिंग सेक्टर को बढ़ावा देना पड़ेगा। इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट की जो स्थिति है, उसमें संतुलन पैदा करना हो, तो हमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर बल देना पड़ेगा। हमारे नौजवानों की जो विद्या है, सामर्थ्य है, उसको अगर काम में लाना है, तो हमें मैन्युफैक्चरिंग की ओर जाना पड़ेगा और इसके लिए हिंदुस्तान की भी पूरी ताकत लगेगी, लेकिन विश्व की शक्तियों को भी हम निमंत्रण देते हैं। इसलिए आज लाल किले की प्राचीर से विश्व भर में लोगों से कहना चाहता हूं, “कम, मेक इन इंडिया”, “आइए, हिंदुस्तान में निर्माण कीजिए ।” दुनिया में किस भी देश में जाकर बेचिए, लेकिन निर्माण यहां कीजिए, मैन्युफैक्चर यहां कीजिए। हमाके पास स्कल है, टेलेंट है, डिसिप्लिन है, कुछ कर गुज़रने का इरादा है। हम विश्व को एक सानुकूल अवसर देना चाहते हैं कि आईए “कम, मेक न इंडिया” और हम विश्व को कहें, इलेक्ट्रिकल से ले कर के इलेक्ट्रॉनिक्स तक “कम, मेक इन इंडिया” केमिकल्स से ले कर फार्मास्यूटिकल्स तक “कम, मेक इन इंडिया”, ऑटोमोबाइल्स से ले कर से एग्रो वैल्यू एडीशन तक “कम, मेक इन इंडिया”, पेपर हो या प्लास्टिक “कम, मेक इन इंडिया”, सैटेलाइट हो सबमरीन “कम, मेक इन इंडिया”। ताकत है हमारे देश में! आइए, मैं निमंत्रण देता हूं।

कितना हुआ काम पूरा: मेक इन इंडिया की पहल सितंबर 2014 में की गई थी। लोक सभा को वाणिज्य मंत्रालय द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार, पिछले साल के मुकाबले अक्टूबर 2014 से अप्रैल 2015 के दौरान विदेश प्रत्यक्ष निवेश में 48 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

मेक इन इंडिया के तहत विदेश प्रत्यक्ष निवेश

Foreign Direct Investment Under Make-in-India
Rs CroreUS Dollars (Billion)
Total123,45319.8

Source: Lok Sabha; Figures rounded off

औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के अनुसार जनवरी से मई 2014 के मुकाबले, जनवरी से मई 2015 के दौरान एफडीआई में 37 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले साल के मुकाबले साल 2015 में कुल एफडीआई में 29 फीसदी का इज़ाफा देखा गया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार वित्तीय वर्ष, 31 मार्च 2015 के अंत तक विदेशी संस्थागत निवेशकों , या वित्तीय बाजारों के माध्यम से आने वाली कुल राशि 40.92 बिलियन डॉलर दर्ज की गई है।

6) 35 वर्ष के आयु तक नौजवानों को रोज़गार – नए मंत्रालय ने 2.4 मिलियन युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण की शुरुआत की है, हर साल 12 मिलियन नौकरियों की आवश्यकता।

क्या कहा मोदी ने: भाइयो-बहनों, यह देश नौजवानों का देश है। 65 प्रतिशत देश की जनसंख्या 35 वर्ष के कम आयु की है। हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा नौजवान देश है। क्या हमने कभी इसका फायदा उठाने के लिए सोचा है? आज दुनिया को स्किल्ड वर्कफोर्स की ज़रुरत है। आज भारत को भी स्किल्ड वर्कफोर्स की ज़रुरत है। कभी-कभार हम अच्छा ड्राइवर ढ़ूंढ़ते हैं, नहीं मिलता है, प्लंबर ढ़ूंढ़ते हैं, नहीं मिलता है, अच्छा कूक चाहिए, नहीं मिलता है। नौजवान हैं, बेरोज़गार हैं, लेकिन हमें जैसा चाहिए, वैसा नहीं मिलता है। देश के विकास को यदि आगे बढ़ाना है तो ‘स्किल डेवलपमेंट’ और‘स्किल्ड इंडिया’ यह हमारा मिशन है।

कितना हुआ काम पूरा: प्रति माह एक मिलियन रोज़गार ( हर वर्ष इतनी ही संख्या उत्पन्न होने वाली) की आवश्यकता के साथ नरेंद्र मोदी ने कौशल विकास और उद्यमिता के लिए नया मंत्रालय बनाया है। इस मंत्रालय का काम 2.4 मिलियन युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देना है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत सबसे प्रमुख प्रधानमंत्री के स्किल विकास योजना की शुरुआत 15 जुलाई 2015 को की गई है। इस योजना के तहत साल 2022 के अंत तक सरकार ने 400 मिलियन से अधिक लोगों को कौशल प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा है। इंडियास्पेंड ने पहले ही बतया है कि किस प्रकार इस योजना का लाभ 263 मिलियन कृषि मजदूरों को नहीं मिल पा रहा है।

(तिवारी इंडिआस्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं।)

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