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भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में 48.8 फीसदी वोट शेयर के साथ 68 विधानसभा सीटों में से 44 सीटों पर जीत हासिल की है। हम बता दें कि 2012 में भाजपा का वोट शेयर 38.47 फीसदी था। वोट शेयर के मामले में, 1982 में राज्य में पहली बार चुनाव लड़ने के बाद से भाजपा का यह सबसे बेहतर प्रदर्शन है। वहीं कांग्रेस ने 41.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 68 सीटों में 21 सीटों पर कब्जा किया है। हम बता दें कि 2012 में कांग्रेस का वोट शेयर 42.81 फीसदी था।

6.8 मिलियन की आबादी के साथ, उत्तरी भारत के छोटे पहाड़ी पर बसा हुआ राज्य, हिमाचल प्रदेश के चालू वित्त वर्ष में 6.8 फीसदी वृद्धि होने की उम्मीद है, जैसा कि आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में कहा गया है।

हिमाचल की शिशु मृत्यु दर कम है (प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 28 मौतें, राष्ट्रीय औसत 37 है), बेहतर लिंग अनुपात ( प्रति 1,000 पुरुषों पर 1,078 महिलाएं, राष्ट्रीय औसत 991 है) और महिलाओं के खिलाफ कम अपराध दर (प्रति 100,000 आबादी पर 35.2 अपराध, राष्ट्रीय औसत 55.2 है ) है।

9 नवंबर, 2017 को आयोजित हुए विधानसभा चुनाव में राज्य ने सबसे ज्यादा वोटर टर्नआउट ( 74.61 फीसदी ) दर्ज किया है। इससे पहले सबसे ज्यादा वोटर टर्नआउट 2003 में (74.51 फीसदी) दर्ज किया गया था।

हिमाचल में 2017 के विधानसभा चुनावों में 338 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा है जिनमें से केवल 5 फीसदी (19) महिला उम्मीदवार रही हैं।

भाजपा का रिकॉर्ड, अब तक का सबसे बेहतर वोट शेयर

2017 विधानसभा चुनावों में भाजपा का वोट शेयर सबसे बेहतर रहा है और 2012 की तुलना में 10 प्रतिशत अंक ज्यादा है। सीटों के संदर्भ में, यह 1990 में जीतीं सीटों की तुलना में दूसरा सबसे बेहतर है। 2017 में भाजपा ने 68 सीटों में से 44 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि 1990 में 46 सीटों पर जीत हासिल की थी।

हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस द्वारा जीती गई सीटें, 1982-2017

हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस का वोट शेयर, 1982-2017

Source: Election Commission

2017 में कांग्रेस मामूली गिरावट के साथ अपना वोट शेयर 41.7 फीसदी रखने में सफल रहा है। 2012 में कांग्रेस का वोट शेयर 42.81 फीसदी था।

महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र

शिमला में, भाजपा के सुरेश भारद्वाज ने अपनी सीट बरकरार रखी है। भारद्वाज ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार हरीश जनार्था के खिलाफ 1,903 मतों के अंतर से जीत दर्ज की है। शिमला राज्य की राजधानी है, और क्षेत्र के अनुसार सबसे छोटी निर्वाचन क्षेत्र भी है।

भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल सुजनपुर से चुनाव लड़े और कांग्रेस के राजिंदर राणा से 1,919 वोटों के अंतर से हार गए।

भाजपा के रतन सिंह पाल के खिलाफ मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को 6,051 मतों के अंतर से आर्की से जीत मिली है। यह सीट पहले भाजपा के गोविंद राम शर्मा के नाम थी।

वीरभद्र सिंह के पुत्र, कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह ने भाजपा के प्रमोद शर्मा के खिलाफ 4,880 मतों के अंतर के साथ शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र की सीट जीती है। वीरभद्र सिंह ने 2012 में 20,000 मतों के अंतर से इस सीट पर जीत हासिल की थी।

राज्य की शीतकालीन राजधानी, धर्मशाला ने राज्य में उम्मीदवारों की सबसे अधिक संख्या (12) देखी है। कांग्रेस के सुधीर शर्मा ( शहरी विकास मंत्री ) भाजपा के किशन कपूर से 2,997 वोटों से हार गए है।

वीरभद्र सिंह कैबिनेट के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री अनिल शर्मा, मंडी से भाजपा के लिए चुनाव लड़े और कांग्रेस के चंपा ठाकुर के खिलाफ 10,257 वोटों से जीत दर्ज की। 2012 में, शर्मा ने कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ा था और 3,930 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। मंडी एकमात्र निर्वाचन क्षेत्र है जिसमें एक से अधिक महिला उम्मीदवार (2) ने चुनाव लड़ा है।

लाहौल और स्पिति की सीट पर भाजपा के राम लाल मार्कंडा ने कांग्रेस के रवि ठाकुर को 1,478 वोटों से हराया है। लाहौल और स्पीति, अनुसूचित जनजाति के लिए एक आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र है और क्षेत्र के मामले में सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है, लेकिन मतदाताओं के प्रतिनिधित्व के मामले में सबसे छोटा है।

भाजपा के विपिन सिंह परमार ने सबसे बड़े विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, सुलैला सीट पर कांग्रेस के जगजीवान पॉल के खिलाफ 10,291 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है। 2012 में पॉल ने 4,428 वोटों से इस सीट पर कब्जा किया था।

हिमाचल प्रदेश में जीत और गुजरात में सत्ता बनाए रखने के साथ, 29 राज्यों में से 19 राज्यों में भाजपा का शासन है।

(मल्लापुर विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 18 दिसंबर 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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