LabourForce

नई दिल्ली: औसतन, भारत में हर साल श्रम बल में 4.75 मिलियन शामिल होते हैं। यह जानकारी 2012 से चार साल की अवधि में श्रम ब्यूरो के आंकड़ो के विश्लेषण में सामने आई है। लोग सोचते हैं कि हर साल श्रम बल में शामिल होने वालों की संख्या यह 12 मिलियन है, लेकिन वास्तविक आंकड़ा उसके आधे से भी कम है ।

भारत में श्रम बल

Labour Force In India
YearMaleFemaleTotalAddition
2012337.68106.01451.56
2013341.8296.63444.78-6.79
2014339.6113.03*469.6524.87
2015354.06107.59465.8-3.85
Average4.75

Source: Author's calculation based on Labour Bureau of India estimates; Figures in million

* Refer to Sections 3.15 and 3.16 of Labour Bureau Report on Employment & Unemployment Survey, 2013-14 (pg: 24, 25), citing increase in female LFPR

श्रम बल में प्रवेश करने का मतलब है कि आप या तो नियोजित हैं या बेरोजगार हैं लेकिन सक्रिय रूप से काम की तलाश में हैं। 2015 में भारत की श्रम शक्ति 466 मिलियन लोगों से नीचे थी। श्रम बल भागीदारी दर 15 साल से अधिक उम्र की कुल जनसंख्या से विभाजित नियोजित व्यक्तियों और बेरोजगार व्यक्तियों की कुल संख्या है, जो काम की तलाश में हैं।

भारत की श्रम बल भागीदारी दर, 2012-15

Source: Labour Bureau Report on Employment & Unemployment Surveys 2011-12 (Table 4.1), 2012-13 (Table 4.1), 2013-14 (Table 3.1), 2015-16 (Table 3.1); Figures in percentage

* Refer to Sections 3.15 and 3.16 of Labour Bureau Report on Employment & Unemployment Survey, 2013-14 (pg: 24, 25), citing increase in female LFPR

श्रम ब्यूरो के रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण, 2015 के अनुसार 2015 में कुल श्रम बल भागीदारी दर 50.3 फीसदी थी। ये आंकड़े 2014 में 52.5 फीसदी थे।

इसका मतलब यह है कि, 15 साल से ऊपर के हर दो भारतीयों में से केवल एक ही नियोजित हैं या काम की तलाश में है। 2015 में 23.7 फीसदी पर, महिला श्रम बल भागीदारी और कम है, और पिछले दशक में और गिर रही है ( यहां, यहां और यहां पढ़ें )

12 मिलियन? 5 मिलियन?

तो 12 मिलियन के आंकड़े कहां से आते हैं? यह सच है कि 2001 से 2005 के बीच, औसतन 12 मिलियन लोगों ने हर साल श्रम बल में प्रवेश किया है। लेकिन उसके बाद से नहीं।

इस अवधि के दौरान, आर्थिक विकास की अवधि के साथ आने वाले अतिरिक्त रोजगार के अवसरों के परिणामस्वरूप ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वयंरोजगार के हिस्से में वृद्धि हुई थी, जिसने लोगों को अचल संपत्ति, निर्माण और छोटे उद्यमों जैसे क्षेत्रों में रोजगार के लिए प्रेरित किया है।

2005 से 2010 के बाद की अवधि में श्रम बल में प्रवेश करने वाले लोगों की संख्या में भारी गिरावट आई है, क्योंकि महिला श्रम बल की भागीदारी में कमी आई और आकस्मिक श्रम की मामलों में भी गिरावट आई।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग के अनुमानों के मुताबिक, 2011 और 2016 के बीच, अक्सर उद्धृत 12 मिलियन के आंकड़े और कुल कामकाजी आयु ( 15 से 59 साल की उम्र ) की आबादी के औसत वार्षिक आकार में अंतर है।

भारत की कामकाजी आयु जनसंख्या, 2011-16

India’s Working-Age Population, 2011-16
YearActual Population (In million)Increment in population (In million)
MaleFemaleTotalTotalMaleFemale
2011398.20368.98767.18
2012404.72375.09779.8112.626.526.10
2013411.22381.18792.4012.596.506.10
2014417.67387.20804.8712.476.456.02
2015424.06393.09817.1512.286.395.89
2016430.49399.06829.5512.416.435.98
Average12.456.456.00

Source: UN Population Division estimates

औसतन, 2005 और 2015 के बीच, 15 से 17 वर्ष की उम्र के आधा मिलियन लोग सालाना कामकाजी आयु वर्ग में शामिल हुए हैं।

भारत की कामकाजी जनसंख्या में वृद्धि, 2005-2015

Rise In India’s Working Age Population, 2005-2015
YearTotal Population (In million)Increment in Population (In million)
5 yearlyAnnual
200569.79
201072.632.840.57
201574.621.990.40
Average0.48

Source: Author's calculation based on UN Population Division estimates

और कामकाजी उम्र के इन सभी लोगों ने श्रम बाजार में प्रवेश करना नहीं चुना। कुछ शिक्षा में रहने का फैसला कर सकते हैं, जबकि अन्य निर्णय ले सकते हैं या कोई मजबूर हो सकती है और वे न तो शिक्षा और न ही रोजगार (एनईईटी) में प्रवेश कर सकते हैं।

ओईसीडी आर्थिक सर्वेक्षणों द्वारा इस 2017 की भारत की रिपोर्ट के मुताबिक 15 से 29 वर्ष की आयु के एनईईटी युवाओं की संख्या 2015 में 30.8 फीसदी थी।

रोजगार आंकड़े- एक बड़ी चिंता

मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने 2016-2017 के आर्थिक सर्वेक्षण में लिखा, "हाल के वर्षों में रोजगार पर भरोसेमंद आंकड़ों की कमी ने इसकी माप को बाधित कर दिया है और इस प्रकार सरकार को उचित नीति हस्तक्षेपों को अपनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।"

सर्वेक्षण ने भारत के श्रम बाजार डेटा की कई सीमाओं को स्वीकार किया, जिसमें "आंशिक कवरेज, अपर्याप्त नमूना आकार, कम आवृत्ति, लंबे समय के अंतराल, दोबारा गिनती, वैचारिक मतभेद और निश्चित मुद्दे" शामिल हैं।

सुब्रमण्यम के मौजूदा श्रम बाजार डेटा की सीमाओं पर ध्यान देने के एक साल बाद, जबकि नियमित रूप से अधिक डेटा इकट्ठा करने के प्रयास चल रहे हैं, श्रम बाजार के रुझानों का सही आकलन करने के लिए पर्याप्त समय-श्रृंखला डेटा सामने आने में पहले कुछ समय लगेगा।

इस मूल प्रश्न का सही जवाब देना ( हर साल भारत की श्रम शक्ति में कितने लोग प्रवेश करते हैं ) देश की रोजगार चुनौती को संबोधित करने के लिए जरूरी है।

विश्व बैंक के विश्व विकास संकेतकों के अनुसार, भारत में 2015 में 503.8 मिलियन का कुल कार्यबल था। 2011-2016 के बीच, औसतन, भारत ने प्रति वर्ष श्रम बल में 6.6 मिलियन लोग शामिल हुए हैं।

इस प्रकार, हर साल श्रम बल में शामिल होने वाले लोगों की औसत संख्या (2012 और 2015 के बीच केवल पांच मिलियन से कम) और हर साल श्रम बल में लोगों की औसत संख्या शामिल होने के अनुमान का उपयोग करके कोई अनुमान लगा सकता है कि सालाना आधार पर लगभग 5-7 मिलियन लोग भारतीय श्रम बल में प्रवेश कर रहे हैं।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अनुमानों में भिन्नता के लिए सर्वेक्षण और गणना पद्धति में मतभेदों और आकलन के अलग-अलग समय अवधि को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जो कुछ अनुमानों में मौसमी नियोजित व्यक्तियों को शामिल या बहिष्कृत करता है।

यहां तक ​​कि 4.75 मिलियन पर, भारत की औपचारिक अर्थव्यवस्था श्रम बाजार में प्रवेश करने वालों को अवशोषित करने के लिए पर्याप्त नौकरियां नहीं बना रही है। इस अवधि के दौरान अर्थव्यवस्था ने केवल 7 मिलियन नौकरियां उत्प्न्न की हैं जबकि हर साल 4.75 मिलियन लोग श्रम बल में प्रवेश कर रहे थे, जैसा कि ‘मैककिंसे एंड कंपनी’ के व्यापार और अर्थशास्त्र अनुसंधान शाखा के रूप में स्थापित एक वैश्विक निजी विचार मंच ‘मैककिंसे ग्लोबल इंस्टीट्यूट’ द्वारा 2017 की इस रिपोर्ट से पता चलता है।

डेटा प्राप्त करना भारत में नौकरियों की चुनौतियो के दायरे और पैमाने को समझने और उसका हल निकलने के लिए जरूरी है।

(दीवान ‘जस्ट जॉब्स नेटवर्क’ के कार्यकारी निदेशक हैं। ‘जस्ट जॉब्स नेटवर्क’ एक रिसर्च संस्थान है, जो भारत और विदेशों में नौकरियों और कौशल संबंधित चुनौतियों पर काम करता है। दीवान, न्यू हैम्पशायर विश्वविद्यालय में ‘कैर्स स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी’ के फेलो भी हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 21 मई, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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