malnutrition_620

मुंबई में एक झुग्गी बस्ती में कुपोषण उपचार केंद्र में भोजन कर रहे बच्चे। भारत की वित्तीय राजधानी, मुंबई से मात्र 100 किमी से भी कम दूरी पर स्थित पालघर के आदिवासी जिले में पिछले दो महीनों में 13 मौतें हुई हैं। यह मौतें एक बार फिर महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर कुपोषण के प्रकोप की ओर इशारा करती हैं।

भारत के सबसे औद्योगीकृत राज्य, महाराष्ट्र के नंदुरबार और यवतमाल ज़िले में पांच साल के कम उम्र के लगभग आधे बच्चे अविकसित यानि कि आयु की तुलना में कम कद के हैं। महाराष्ट्र की ऐसी स्थिति कुपोषण का संकेत देती है। आंकड़ो पर नज़र डालें तो नंदुरबार में 47.6 फीसदी और यवतमाल 47.4 फीसदी बच्चे अविकसित हैं। यह दर मध्य पूर्व में सबसे गरीब और युद्धग्रस्त देश, यमन की तुलना में अधिक है।

भारत की वित्तीय राजधानी, मुंबई से मात्र 100 किमी से भी कम दूरी पर पालघर के आदिवासी जिले में पिछले दो महीनों में हुई 13 मौतें एक बार फिर महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर कुपोषण के कहर की ओर इशारा करते हैं।

गढ़चिरौली ज़िले में पांच साल से कम उम्र के करीब 22.2 फीसदी बच्चे अपनी उम्र की तुलना में कम कद और कम वज़न के हैं। यह दर गरीबी और अफ्रीका में संघर्ष से त्रस्त दक्षिण सूडान के बराबर है। साथ ही नंदुरबार जिले में 55.4 फीसदी बच्चे कम वज़न के हैं। यह दर मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के बराबर है, जहां राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 (एनएफएचएस 4) के अनुसार भारत में सबसे अधिक कुपोषण के मामले दर्ज किए गए हैं।

आयु की तुलना में कम कद, अल्पविकास और कम वज़न एक साथ मिलकर बच्चों में कुपोषण तय करते हैं। देश भर में,कुपोषण में, जिसका संवेदी, संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक विकास पर दीर्घकाल प्रभाव होता है, औसत रुप से गिरावट हुई है। यह आंकड़े पिछले 19 वर्षों में 42.4 फीसदी से गिरकर 29.4 फीसदी हुए हैं। पांच साल से कम उम्र के करीब 37.9 मिलियन बच्चे कुपोषित हैं।

महाराष्ट्र में स्टंटिंग: अंतरराष्ट्रीय तुलना

graph-1-desktop

Source: National Family Health Survey 4 and World Health Organisation; figures in %

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 2014 के आंकड़ों के मुताबिक सांगली जिले में, 23.3 फीसदी पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे छोटे कद के हैं और यही दर दक्षिण अफ्रिका की भी है जबकि मुंबई के उपनगरीय जिले में 21.3 फीसदी बच्चे छोटे कद के हैं और यह दर काबो वर्डे, एक उत्तरी पूर्वी अफ्रीकी देश के बराबर है जो हाल ही में मध्यम आय वाले देश की स्थिति में आया है।

महाराष्ट्र में अल्पविकसित: अंतरराष्ट्रीय तुलना

graph-2-desktop

Source: National Family Health Survey 4 and World Health Organisation; figures in %

गढ़चिरौली और चंद्रपुर के आदिवासी जिले में पांच वर्ष से कम आयु के 22.2 फीसदी और 16.1 फीसदी बच्चे अविकसित हैं जोकि दक्षिण सूडान और सूडान जैसे संघर्ष ग्रस्त देशों के बराबर है।

दूसरी ओर कोल्हापुर जैसे कुछ शहरों में पांच वर्ष उम्र तक के मात्र 5.9 फीसदी बच्चे अविकसित हैं, और यह दर अपेक्षाकृत समृद्ध देश भूटान में अविकसित बच्चों की दर के बराबर है।

महाराष्ट्र में कम वज़न के बच्चे: राष्ट्रीय तुलना

(सालवे इंडियास्पेंड के साथ विश्लेषक हैं।

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 23 सितंबर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

हम फीडबैक का स्वागत करते हैं। हमसे respond@indiaspend.org पर संपर्क किया जा सकता है। हम भाषा और व्याकरण के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार रखते हैं।

__________________________________________________________________

"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.com एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :