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हाल ही में, जिस दिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी प्रधान मंत्री शिंजो अबे ने 1,10,000 करोड़ रुपए (17 बिलियन) की लगात वाली बुलेट ट्रेन परियोजना की नींव रखी, उसी दिन ‘जम्मू तवी-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस’ नई दिल्ली स्टेशन पर पटरी से उतर गई थी। इस घटना के साथ 27 दिनों के अंदर पटरी से उतरने की यह नौवीं घटना हुई है। ये दुर्घटनाएं निश्चित रुप से बढ़ती यातायात, सुरक्षा मानकों और कम निवेश के परिणाम हैं।

भारतीय रेलवे हर रोज 2.3 करोड़ यात्रियों को ले जाने वाली दुनिया में सबसे बड़ी यात्री प्रणाली है। लेकिन इसमें वर्ष 2016-17 में में 78 पटरी से पलटने की घटनाएं हुई थी। इन घटनाओं में 193 लोगों की मौत हुई है, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे ज्यादा है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 22 अगस्त, 2017 को अपनी रिपोर्ट में विस्तार से बताया है।

हालांकि पिछले 10 सालों में सामान्य रूप से दुर्घटनाओं की संख्या में गिरावट हुई है। वर्ष 2007-08 में 194 दुर्घटनाएं हुई थीं। वर्ष 2016-17 में 104। लेकिन इसी अवधि के दौरान पटरी से ट्रेन पलटने की संख्या में वृद्धि हुई है। इससे यह संकेत मिलता है कि ट्रेनें गंभीर रूप से जोखिम में हैं।

वर्ष 2017 के पहले छह महीनों में 29 ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं हैं, इनमें से 20 पटरी से पलटने के कारण हुई हैं । जिसमें 39 लोग मारे गए और 54 घायल हुए थे, जैसा कि 19 जुलाई 2017 को लोकसभा को दिए एक उत्तर में बताया गया है।

पिछले दशक से 2016-17 तक, भारत में 1,394 ट्रेन दुर्घटनाओं के मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से 51 फीसदी या 708 पटरी से पलटने के कारण हुए थे, जिसमें 458 लोगों की जानें गई थीं।

एक दशक के दौरान रेल दुर्घटनाएं और पटरी से ट्रेन पलटने के मामले

Source: Rajya Sabha (unstarred question 3473, March 31, 2017; unstarred question 3007, August 11, 2017.)

4 अगस्त 2017 को राज्यसभा में दिए गए एक उत्तर के अनुसार, 2 अगस्त, 2017 को समाप्त होने वाले मौजूदा वित्तीय वर्ष में दुर्घटनाओं में 51.2 फीसदी की कमी हुई है। वर्ष 2016-17 में 43 थे, जो कम होकर वर्ष 2017-18 में 21 हुए हैं।

पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने राज्यसभा को अपने जवाब में बताया, “सुरक्षा के एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत मानदंड, प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर दुर्घटनाएं, वर्ष 2006-07 में 0.23 से कम हो कर 2014-15 में 0.11 हुई हैं और आगे 2016-17 में 0.09 (लगभग) की गिरावट हुई है। ”

वर्ष 2003-04 और वर्ष 2015-16 के बीच रेल दुर्घटनाओं और हताहतों की संख्या के लिए दूसरा प्रमुख कारण पटरी से पलटना था, जैसा कि 14 दिसंबर, 2016 को लोकसभा में पेश किए गए 'सेफ्टी एंड सेक्युरिटी इन रेलवेज' पर रेलवे की स्थायी समिति की बारहवें रिपोर्ट में बताया गया है। दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण मानव गलतियां पाई गईं।

ट्रेनों का पटरी से पलटने का एक कारण तकनीकी रूप से कहे जाने वाला "ट्रैक या रोलिंग स्टॉक में दोष" का सुधार करने में पीछे होना है। वर्ष 2016 में केवल 54 फीसदी ट्रैक नए किए गए हैं।

समिति कहती है, “114,907 किमी रेल पटरियों में से 4,500 किमी, या 4 फीसदी की सालाना नवीनीकरण किया जाना चाहिए।”

रिपोर्ट कहती है कि, “ वर्तमान में नवीनीकरण के लिए 5000 किमी लंबित है, जबकि 2700 किमी या 54 फीसदी से अधिक नवीनीकृत नहीं की जा सकती है।” “31 मार्च, 2016 तक 5900 किमी ट्रैक के नवीनीकरण की मंजूरी दे दी गई है”, जैसा कि 3 अगस्त, 2017 को प्रस्तुत 12 वीं रिपोर्ट में निहित सिफारिशों / टिप्पणियों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर संसदीय स्थायी समिति की पंद्रहवीं रिपोर्ट में कहा गया है। रिपोर्ट आगे कहती है कि, "... तदनुसार, भौतिक लक्ष्यों को भी 1500 किमी से बढ़ाकर 2668 किमी कर दिया गया है।"ट्रैक विफलताएं और बार-बार पटरी से पलटने के मामले दो कारणों से होती हैं - रेल ट्रैक पर अत्यधिक यातायात और बुनियादी ढ़ाचों पर कम निवेश करना। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 3 अप्रैल, 2017 को विस्तार से रिपोर्ट में बताया है। भारतीय रेल का 40 फीसदी, यानी 1,219 खंडों का क्षमता से अधिक का उपयोग किया जाता है। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के संबंध में आपको कुछ ये बातें जानने की जरूरत है।

भारतीय बुलेट ट्रेन

VIZ

इंडियास्पेंड द्वारा दिए गए समाधान

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यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 14 सितंबर 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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