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सरकारी आंकड़ो के मुताबिक भारत में लगभग 86 फीसद परिवारों तक पीने का स्वच्छ पानी पहुंचता है। लेकिन फिर भी देश में डायरिया जैसी गंभीर बीमारी ( दूषित पानी पीने के कारण होता है) आम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में करीब 10 फीसदी बच्चों ( पांच वर्ष से कम आयु ) की मौत का कारण डायरिया है।

“पीने का स्वच्छ पानी” की परिभाषा इस समस्या की व्याख्या करते हैं : हैंडपंप एवं ट्यूबवेल से निकलने वाले पानी से कई जन जनित बीमारियां होने के बावजूद, जनजणना इसे पीने का स्वच्छ पानी मानती है।

आंकड़ो पर नज़र डालें तो भारत में पीने के स्वच्छ पानी की पहुंच में वृद्धि हुई है। वर्ष 1991 में 62 फीसदी परिवारों तक पीने का स्वच्छ पानी पहुंचता था जबकि 2001 में यह आंकड़े बढ़ कर 78 फीसदी दर्ज की गई एवं 2011 में यही आंकड़े 86 फीसदी ( 83 फीसदी ग्रामीण इलाकों में एवं 91फीसदी शहरी इलाकों में ) पाई गई है। केवल 44 फीसदी परिवारों तक नल के पानी की पहुंच है एवं इनमें से भी केवल 32 फीसदी परिवारों तक नल का पानी परिष्कृत होकर पहुंचता है।

पीने के पानी के श्रोत, 2011

डायरिया होने का मुख्य कारण पानी है। अशुद्ध पानी का सेवन करने एवं बैक्टेरियल इंफेक्शन से डायरिया होने की संभावना बढ़ जाती है। जहां तक डायरिया से होने वाले शिशु मौत के अनुपात का सवाल है, दक्षिण एशिया में, अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान को छोड़ कर सभी अन्य देशों की स्थिति भारत से बेहतर है।

दक्षिण एशिया में डायरिया से होने वाली शिशुओं की मौत, 2013

भारत में पानी से होने वाली बीमारियों में डायरिया सबसे आम है। बरसान एवं मौनसून में सबसे अधिक लोग डायरिया से ग्रसित होते हैं क्योंकि पीने के पानी में बाढ़ का पानी एवं नाले का गंदा पान मिल जाने की संभावना बढ़ जाती है।

डायरिया बीमारी से जूझने वाले टॉप पांच राज्य, 2012

वर्ष 2012 में देश भर में सबसे अधिक डायरिया के मामले आंध्रप्रदेश में दर्ज की गई है। दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल, तीसरे पर ओडिसा एवं चौथे स्थान पर उत्तर प्रदेश है।

भारत के आधे अधिक परिवारों कर स्वच्छता की पहुंच नहीं है और इसी कारण वश पीने का पानी स्वच्छ नहीं रह पाता है और जिससे डायरिया जैसी गंभीर बीमारियां पनपती हैं।

परिवारों तक शौचालय की पहुंच, 2011

जहां तक “बेहतर शौचालय” उपलब्धता का सवाल है, केरल की स्थिति सबसे बेहतर है। जनगणना के अनुसार “बेहतर शौचालय ” की परिभाषा शौचालयों में फ्लश के साथ सीवर सिस्टम या सेप्टिक टैंक तक जुड़े होना है।

बेहतर शौचालय वाले टॉप पांच राज्य

जनगणना के आंकड़ों के इस विश्लेषण के अनुसार घरों में पर्याप्त शौचालय व्यवस्था न होने से भी डायरिया जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। यदि शौचालय ठीक प्रकार से सीवर सिस्टम या सेप्टिक टैंक से न जुड़े हों या शौच खुले में किया जाए तो अस्वास्थ्यकर स्थिति उत्पन्न होती है जिससे डायरिया का खतरा बढ़ जाता है।

शौचालय सुविधाओं के प्रकार, 2011

यह स्पष्ट है कि केवल शौचालय उपलब्ध कराने से डायरिया जैसी गंभीर बीमारियों पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है। शौचालय उपलब्ध कराने के साथ-साथ महत्वपूर्ण है कि शौचायलों की स्थिति बेहतर हो, स्वच्छता का ध्यान रखते हुए ठीक प्रकार से एवं बेहतर तंत्र के साथ मल निपटारा करने में सक्षम हो, जल श्रोतों को दूषित न करे और पर्यावरण को साफ एवं स्वच्छ रखने में सहायक हो।

( इस लेख का एक संस्करण पहले से इंडिया वाटर पोर्टल पर हुआ है। खांबटे , इंडिया वाटर पोर्टल के साथ एक सलाहकार हैं, स्वास्थ्य एवं पानी और पर्यावरण के बीच संबंधों में इनकी खास रुची है)

यह लेख अंग्रेज़ी में 8 अक्टूबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।


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