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छह राज्यों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत के करीब 96 फीसदी गांवों तक बिजली पहुंच गई है लेकिन केवल 69 फीसदी घरों में ही बिजली का कनेक्शन है।

आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत के बड़े हिस्से में बिजली एवं ऊर्जा की पहुंच केवल कागज़ो तक ही सीमित है। रिपोर्ट में छह बिजली की कमी वालों राज्यों, ( बिहार, झारखंड , मध्य प्रदेश , उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल ) के 8,566 घरों सहित 714 गांवों एवं 51 ज़िलों को शामिल किया गया है।

द एक्‍सेस ऑफ क्‍लीन कूकिंग एनर्जी एंड इलेक्ट्रिसिटी – सर्वे ऑफ स्‍टेटस’ (एक्‍सेस) नाम की रिपोर्ट के अनुसार भारत के विकास की परिचर्चा में घरेलू ऊर्जा की पहुंच, घर के प्रकाश या खाना पकाने की प्राथमिक स्रोत या घर के विद्युतीकरण स्थिति से मापा जाता है।

यह रिपोर्ट काउंसिल ऑफ इनर्जी, एंवायरमेंट एंड वॉटर ( सीईईडब्लू ), डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटिक्ल साइंस, कोलंबिया विश्वविद्यालय, अमेरिका एवं शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन के सहयोग से बनाया गया है।

इस रिपोर्ट में बिहार, जहां अगले महीने ही चुनाव होने वाले हैं, का प्रदर्शन सबसे बद्तर बताया गया है। रिपोर्ट कहती है कि बिहार के 96 फीसदी गांवों तक बिजली पहुंच चुकी है लेकिन केवल 56 फीसदी घरों में बिजली का कनेक्शन है। इंडियास्पेंड ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सात वर्षों में बिहार में बिजली की मांग 94 फीसदी तक पहुंच गई है।

बिहार के ग्रामीण इलाकों में केवल 20 फीसदी घरों में लोग प्रकाश के लिए प्राथमिक श्रोत के रुप में बिजली का उपयोग करते हैं। जबकि 80 फीसदी लोग प्रकाश के लिए मिट्टी के तेल का इस्तेमाल करते हैं।

गांवों एवं घरों में बिजली की पहुंच

उत्तर प्रदेश के 99 फीसदी गांवों तक बिजली पहुंच चुकी है लेकिन यदि घरों की बात की जाए तो केवल 60 फीसदी घरों में ही बिजली का कनेक्शन है। मध्यप्रदेश में बिजली की पहुंच 97 फीसदी तक है जबकि केवल 86 फीसदी घरों में ही कनेक्शन है। झारखंड के आंकड़ों को देखें तो 93 फीसदी गांवों तक बिजली पहुंच चुकी है जबकि केवल 67 फीसदी घरों में बिजली का कनेक्शन पाया गया है।

यूपी में चार में से तीन घरों में 12 घंटे से कम बिजली आती है

बिजली के कनेक्शन के बावजूद आधे के अधिक घरों को गुणवत्ता , विश्वसनीयता और आपूर्ति की अवधि के कारण ऊर्जा पहुंच के निम्नतम स्तर के नीचे वर्गीकृत किया गया है।

बिजली की आपूर्ति

एक्सेस रिपोर्ट में बिजली की सबसे बेहतर स्थिति पश्चिम बंगाल की बताई गई है। पश्चिम बंगाल के 93 फीसदी विद्युतीकृत घरों में शाम के समय चार या उससे अधिक समय के लिए बिजली की आपूर्ति होती है जबकि 81 फीसदी घरों में 20 घंटे से अधिक बिजली की आपूर्ति होती है।

बिजली आपूर्ति के मामले में उत्तर प्रदेश की स्थिति सबसे बुरी है। केवल 5 फीसदी विद्युतीकृत घरों में 20 घंटे या उससे अधिक बिजली की आपूर्ति होती है जबकि 23 फीसदी घरों में शाम के समय केवल चार या अधिक घंटों के लिए बिजली आपूर्ति होती है।

उत्तर प्रदेश के चार में से तीन विद्युतीयकृत घरों में प्रतिदिन 12 घंटे से कम की बिजली आपूर्ति होती है।

झारखंड के केवल 2 फीसदी विद्युतीकृत घरों में 20 घंटे या अधिक बिजली मिलती है। 81 फीसदी घरों में शाम के समय चार या अधिक घंटे बिजली की आपूर्ति होती है जबकि 60 फीसदी घरों में प्रत्येक महीने तीन या चार दिनों तक बिजली के दर्शन भी नहीं होते हैं।

बिहार के 30 फीसदी घरों में शाम के समय चार या अधिक घंटे के लिए बिजली मिलती है जबकि 92 फीसदी घरों में 20 या अधिक घंटों के लिए बिजली की आपूर्ति नहीं होती है।

रिपोर्ट कहती है कि “अन्य 50 फीसदी घरों में ( बिजली के कनेक्शन बगैर घरों ) बिजली ग्रिड होने के बावजूद दो तिहाई लोग बिजली का कनेक्शन नहीं लेते हैं। घरों में बिजली कनेक्शन न लेने का कारण कनेक्शन शुल्क और मासिक शुल्क देने में अक्षमता बताया है।”

पश्चिम बंगाल की हालत सबसे बेहतर

पश्चिम बंगाल के लगभग हरेक गांव ( 100 फीसदी ) एवं 93 फीसदी घरों तक तक बिजली की पहुंच है।

ऊर्जा का उपयोग का मूल्यांकन बिजली पहुंच संरचना के छह आयामों (क्षमता , अवधि, विश्वसनीयता, गुणवत्ता , किफायती, और वैधता ) पर आधारित है।

प्रत्योक घर के प्रत्येक आयाम के लिए एक स्तरीय सौंपा गया है। 0 (न्यूनतम स्तर) से लेकर 3 ( उच्चतम स्तर) स्तर बढ़ती ऊर्जा के उपयोग का प्रतिनिधित्व करते हैं।

पश्चिम बंगाल में अधिकतर घर 3 स्तरीय के अतंर्गत आते हैं। जबकि शेष राज्यों में आधे से अधिक घर इस वर्ग में आते हैं सिवाए ओडिसा के जो 0 स्तरीय के तहत आता है।

छह राज्य में 0 से 100 के पैमाने पर बिजली की पहुंच की निर्धारित क्षमता इस प्रकार दी गई है – बिहार के लिए 8.1 एवं पश्चिम बंगाल के लिए 41.8।

छह राज्यों में बिजली पहुंच सूचकांक

23.4 की रेटिंग के साथ ओडिशा का स्थान पश्चिम बंगाल के बाद है। इसके बाद मध्य प्रदेश (16.2 ), झारखंड (11.1 ), उत्तर प्रदेश (11) और बिहार का स्थान है।

ग्रामीण इलाकों के करीब एक तिहाई लोगों ने अपने इलाके में बिजली चोरी की बात कही है।

बिजली बिल का भुगतान नहीं करने वाले घर

(यह लेख दो भाग श्रृंखला का पहला भाग है। दूसरे भाग में हम छह राज्यों में एलपीजी की स्थिति पर चर्चा करेंगे।)

(मल्लापुर इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 1 अक्टूबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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