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लाहौर, पाकिस्तान में जाहिद यूसुफ का अंतिम संस्कार करते परिजन।16 मार्च 2015 को एक चर्च पर हुए आत्मघाती बम हमले में में यूसुफ की मौत हुई थी

पाकिस्तान आर्थिक सर्वेक्षण ने हाल ही में कुछ आकंड़े प्रस्तुत किए हैं। इन आकंड़ों के मुताबिकपिछले 11 सालों में ( 2005-6 से 2014-15 ) पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर लगभग 100 बिलियन डॉलर ( भारतीय मुद्रा के 6.4 लाख रुपए ) की अतिरिक्त बोझ पड़ा है।

100 बिलियन डॉलर की राशि पाकिस्तान में 134 सालों तक ( वर्तमान वर्ष के आधार पर ) के शिक्षा बजट के लिए पर्याप्त है।

Source: Pakistan Economic Survey 2014-15, * Figures for 2015 for first 9 months only

ऊपर दिए गए आकड़ों से साफ है कि पाकिस्तान में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से आर्थिक नुकसान का कारण आतंकवाद ही है। साल 2013-14 में करीब 6.63 बिलियन डॉलर का नुकसान आतंकी हमलों के कारण बताया गया है। आकंड़ों के मुताबिक कर संकलन में 38 फीसदी की कमी हुई है जबकि विदेशी निवेश में 30 फीसदी की कमी बताई गई।

Source: Pakistan Economic Survey 2014-15

पाकिस्तान का दावा है कि देश में बढ़ती आतंकी गतिविधियों का कारण कहीं न कहीं 9/11 की घटना से जुड़ा है। पकिस्तान का मानना है कि आतंकी घटनाएं, 9/11 के हमलों के बाद अफगानिस्तान में संघर्ष और अस्थिरता की प्रतिक्रिया है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार अफगानिस्तान पर अमेरिका के आक्रमण के बाद पाकिस्तानी सीमा पर शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई है जिसकी वजह से देश में ‘आतंकी हमलों की संख्या में अचानक काफी तेजी देखी गई है।’

अनुमान है कि साल 2014-15 में पाकिस्तान की अर्थ व्यवस्था में 4.2 फीसदी की वृद्धि हो सकती थी।

आतंकवाद बनता है व्यापार में रुकावट

दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल ( SATP ), नई दिल्ली स्थित संस्थान इंस्ट्टूयुट ऑफ कंफिल्क्ट मैनेजमेंट, द्वारा जारी किए गए आकंड़ों के अनुसार पाकिस्तान में आतंकवाद सांप्रदायिक और जातीय कारकों से प्रेरित है। आतंकी गतिविधियों के कारण 2005 से अब तक 54,960 लोगों की मौत हो चुकी है।

इंडियास्पेंड ने अपनी खास रिपोर्ट में पहले ही बाताया है कि पिछले एक दशक में पाकिस्तान में आतंकवाद से संबंधित मौतों में 748 फीसदी की वृद्धि देखी गई है।

आतंकवाद का बुरा असर व्यापार पर पड़ रहा है। उत्पादन कुशलता में कमी एवं निर्यात में देरी के साथ-साथ कारोबार लागत में भी वृद्धि देखी गई है। सर्वेक्षण के अनुसार,"बाज़ार में प्रतियोगियों की तुलना में पाकिस्तानी उत्पादों ने धीरे-धीरे अपनी हिस्सेदारी गवां दी है। "

इंसेट्टयूट ऑफ इकोनोमिक्स एंड पीस द्वारा जारी ग्लोबलपीसइंडेक्स ( जी.पी.आई )2015 के मुतबिक 162 हिंसक देशों में पाकिस्तान 154वें स्थान पर है।

जी.पी.आई में राष्ट्रों को उनके शांतिपूर्ण माहौल के अनुसार वरीयता प्रदान किया जाता है। मोटे तौर पर तीन विषयों, सुरक्षा एवं सामाजिक सुरक्षा, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संघर्ष एवं सैन्यकरण के आधार पर ग्लोबल पीस इंडेक्स तैयार किए जाते हैं।

3.049 की रेटिंग के साथ पाकिस्तान नीचे से आठवें स्थान पर है। जी.पी.आई के अनुसार सीरिया को सबसे हिंसक देश माना गया जबकि भारत का स्थान 143, पाकिस्तान से 11 स्थान आगे दर्ज किया गया है।

जनजातीय क्षेत्र सबसे हिंसक

उत्तर- पश्चिमी पाकिस्तान में संघ प्रशासित जनजातीय क्षेत्र ( एफ.ए.टी.ए ) देश के सबसे हिंसा की आशंका वाले क्षेत्र है। दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल के अनुसार साल 2014 में आतंकवाद संबंधित मौतों में आधे के अधिक मौते इन्हीं इलाकों में हुई हैं।

सिंध में सबसे अधिक, 21 फीसदी मौत हुई जबकि बालूचिस्तान में यह आकंड़े12 फीसदी रहे।

एफ.ए.टी.ए इलाका, तेहरीक-ए-तालीबान पाकिस्तान ( टीटीपी ) का गढ़ माना जाता है। टीटीपी की स्थापना साल 2007 में की गई थी। वर्तमान में मौलाना फज़लुल्लाह इस संगठन का मुखिया है।

टीटीपी अफगान तालिबान से एक अलग संगठन है। मूल रुप से इस संगठन की स्थापना पाकिस्तान द्वारा 1990 में अफगानिस्तान पर प्रभाव डालने के लिए किया गया था।

डी सूबा चंद्रा(निदेशक, इंस्ट्टूयुट ऑफ कंफिल्क्ट मैनेजमेंट) ने राष्ट्रीय अखबर हिन्दू में एक टिप्पणी देते हुए कहा “टीटीपी की स्थापना पाकिस्तानी प्रतिष्ठान से लड़ने के लिए किया गया था। ”

टीटीपी ने पेशावर के आर्मी स्कूल में हुए हमले सहित कई आतंकी हमलों की ज़िम्मेदारी ली है। स्कूल हमले में करीब 130 बच्चों की मौत हुई थी।

पिछले साल टीटीपी के प्रवक्ता मुहम्मद खोरासनी ने कहा, “यह हमला ज़र्ब-ए-अज़्ब (पैगंबरकी तलवार) सैन्य आक्रमण और तालिबान लड़ाकों के मारे जाने और उनके परिवारों के उत्पीड़न का जवाब है।”

पाकिस्तान सेना ने 15 जून 2014 को कराची हवाई अड्डे पर हुए एक हमले के बाद ज़र्ब-ए-अज़्ब मिशन शुरु किया था। कराची हवाई अड्डे पर हुए हमले में 10 आतंकी सहित 28 लोगों की मौत हुई थी।

असीम बाजवा , महानिदेशक, इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस , पाकिस्तान का कहना है कि चलाए गए ऑपरेशन के तहत पिछले एक साल में 2763 उग्रवादियों को मार गिराया गया है।

हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट बताते हैं पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी प्रयास चयनात्मक रुप से किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी सेना का ध्यान घरेलू समूह, जैसे की टीटीपी की ओर रहा है, जबकि अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई।

अमरिका ने अपने रिपोर्ट में यह भी कहा कि पाकिस्तानी सेना इन संगठनों को जड़ से समाप्त करने के बजाए मात्र इनकी गतिविधियों में रुकावट डालने का कार्य ही कर रही है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत विरोधी संगठन, लश्कर-ए-तौयबा के खिलाफ अब तक पाकिस्तान की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लश्कर-ए-तौयबा लगातार भारत के खिलाफ आतंकी ट्रेनिंग, रैली एवं कोष संचालन में लगा है।

आतंकवाद हमेशा से भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। पाकिस्तान भारत पर बालूचिस्तान में अलगाववादियों के साथ-साथ अन्य उग्रवादी गुटों का समर्थन करने का आरोप लगाता रहा है। इतना ही नहीं पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में देश में हुए आतंकी हमलों का ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा कि भारत ने पाकिस्तान में " जघन्य कृत्यों " को अंजाम देने के लिए ऐसे हमलों को डिजाइन किया है।

दूसरी तरफ भारत का आरोप है कि कश्मीर में होने वाले आतंकी हमलों में पाकिस्तान का ही हाथ है। भारत ने पाकिस्तान को आतंकवादप्रायोजक देश बताया जिसने भारत में मुबंई में हुए 26/11 के आतंकी हमलों सहित कई अन्य वारदातों को अंजाम दिया है।

(सेठी इंडियास्पेंड के साथ विश्लेषक है)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 06 जुलाई 15 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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