ग्रामीण भारत में 15 से 49 वर्ष के बीच की कम से कम 54 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है जबकि 27 फीसदी महिलाएं कम वजन की हैं। यह जानकारी नवीनतम स्वास्थ्य आंकड़ों में सामने आई है।

अच्छी खबर: एक दशक में, कम वजन वाली महिलाओं में 13.9 प्रतिशत और खून की कमी यानी एनीमिया में 3.2 प्रतिशत की गिरावट हुई है, जैसा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 3 (एनएफएचएस -3) 2005-2006 में दर्ज किया गया।

भारत में 20 फीसदी मातृ मृत्यु का कारण एनीमिया है और कम से कम 50 फीसदी मातृ मौतों में सहयोगी कारण था, जैसा कि एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल ‘न्यूट्रिशन’ में प्रकाशित 2014 के अध्ययन में बताया गया है।

गर्भावस्था के दौरान एनीमिया से भ्रूण की मौत, असामान्यताएं, पूर्व-अवधि और कम वजन वाले बच्चों की संभावना बढ़ जाती है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 27 अक्टूबर 2016 की रिपोर्ट में बताया है।

भारत के ग्रामीण इलाकों में कम वजन की महिलाओं की स्ख्या को प्रतिशत में देखें तो झारखंड में 35 फीसदी, गुजरात में 34 फीसदी और बिहार में 32 फीसदी है।

झारखंड एनीमिया का सबसे बड़ा प्रभाव है, लगभग 67 फीसदी महिलाओं में । पश्चिम बंगाल में यह 64 फीसदी और हरियाणा में 64 फीसदी महिलाओं में एनिमया का प्रभाव है और ये राज्य झारखंड के बाद क्रमश: ) दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में खून की कमी और कम वजन की महिलाएं

Source: NFHS-3, NFHS-4

(यदवार प्रमुख संवाददाता हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 21 अगस्त 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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