प्रिय पाठकगण,

साल 2023 व‍िदा हो रहा। पिछले कुछ वर्षों की भांति ये साल भी कई क्षेत्रों के लिए चुनौतियों भरा रहा। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जो जलवायु परिवर्तन के असर से अछूता रहा हो। इंडियास्पेंड हिन्दी ने पिछले वर्ष जलवायु परिवर्तन और इससे जुड़े कई मुद्दों पर विस्तृत रिपोर्ट की। हमने अपनी रिपोर्ट के माध्यम से प्रभावितों से जुड़े कई पहलुओं को आपके सामने रखने की ईमानदार कोशिश की।

ऐसी ही एक खबर में हमने देखा क‍ि कैसे उत्तराखंड में आने वाली प्राकृतिक आपदाएं बच्चों के जीवन पर गहरा असर डाल रही हैं। कई बच्चे अपने घरों और स्कूलों से वंचित हो गए हैं। गुजरात के मछुआरों की आजीविका पर अरब सागर के तापमान में वृद्धि का असर पड़ रहा है तो उत्तर भारत के किसान बदलती मौसम की वजह से परेशान हैं।

हमने अपनी रिपोर्टिंग के माध्यम से इन समस्याओं को उजागर किया और समाधान के लिए सरकार और समाज का ध्यान आकर्षित किया। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हर स्तर पर कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

वर्ष 2022 में हमारी टीम ने शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, अर्थव्यवस्था और राजनीति सहित अनेक क्षेत्रों की खबरों को कवर किया। कोविड-19 महामारी और उससे निपटने के प्रयासों पर विशेष फोकस रहा। चुनावी राजनीति पर भी विस्तृत कवरेज किया गया।

हमारा प्रयास रहा कि खबरों को आंकड़ों, र‍िपोर्ट और सर्वेक्षणों के माध्यम से प्रमाण-आधारित बनाया जाए। पाठकों को सही और विश्वसनीय जानकारी देने की कोशिश की गई। आपका समर्थन हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहा।

इस वर्ष कि हमारी कुछ प्रमुख खबरें:


झांसी: स्‍कूल जाने से पहले पानी भरने की जिम्मेदारी, कैसे हो पढ़ाई?

झांसी के ग्रामीण इलाकों में लड़कियों को पढ़ाई से पहले पानी भरने की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। पानी की कमी से महिलाओं को घंटो तक पानी के लिए इंतज़ार करना पड़ता है। सरकार द्वारा पानी की समस्या का समाधान नहीं किया जाना महिलाओं और बच्चों के लिए चिंता का विषय है।


बिहार: शराबबंदी का सच

बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद भी अवैध शराब का कारोबार जारी है। आंकड़ों के जुगाड़ से सच को छिपाने की कोशिश हो रही है। शराब से होने वाली मौतें और अपराध बढ़े हैं। शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने की ज़रूरत है। जनता को जागरूक कर इसके दुष्प्रभावों से बचाया जा सकता है।

गर्भपात कानून: महिलाओं को असुरक्षित रास्ते अपनाने पड़ते हैं

भारत में गर्भपात कानून के बावजूद, असुरक्षित गर्भपात आम हैं। कई महिलाएं अपनी जान जोखिम में डालकर गर्भपात करवाती हैं। डॉक्टरी सलाह और सुरक्षित गर्भपात सेवाओं की कमी है। सरकार को महिलाओं के अधिकारों और स्वास्थ्य पर ध्यान देने की ज़रूरत है।


किसान मजदूर: खेतों में रात गुजारने को मजबूर

उत्तर भारत के किसान मजदूर फसल कटाई के मौसम में खेतों में ही रात गुजारने को मजबूर होते हैं। ठंड और असुविधाओं का सामना करते हुए कड़ी मेहनत करते हैं। मजदूरी कम मिलने और मालिकों के शोषण का भी सामना करना पड़ता है। सरकार को इनके जीवनस्तर में सुधार लाने के लिए कदम उठाने चाहिए।


शिक्षा: स्वर्णिम सपनों का अंत

भारतीय शिक्षा प्रणाली में छात्रों को अपमान, तिरस्कार और भय का सामना करना पड़ता है। कई छात्र इतने तनाव में आत्महत्या कर लेते हैं। परीक्षा प्रणाली, पाठ्यक्रम और शिक्षकों-अभिभावकों के रवैये में सुधार लाने की आवश्यकता है। शिक्षा को स्वर्णिम सपनों को पूरा करने का माध्यम बनाना होगा।


देश में बढ़ते कोचिंग कल्चर की असल वजह?

देश में कोचिंग संस्कृति का बोलबाला है। शिक्षकों की कमी और शिक्षा प्रणाली का सतही स्‍तर इसके पीछे के कारण हैं। छात्र परीक्षाओं में अच्छे नंबर लाने के लिए कोचिंग को जरूरी समझते हैं। सरकार को शिक्षकों की भर्ती और पाठ्यक्रम में सुधार पर ध्यान देना चाहिए।


जलवायु परिवर्तन: मछुआरों की आजीविका पर खतरा

अरब सागर के तट पर जलवायु परिवर्तन का असर मछुआरों की आजीविका पर पड़ रहा है। समुद्री तापमान में वृद्धि और अन्य परिवर्तनों से मछली पकड़ना कठिन हो गया है। मछुआरों को वैकल्पिक रोजगार के अवसर देने की ज़रूरत है। साथ ही जलवायु परिवर्तन से निपटने की नीतियां विकसित करनी होंगी।


झारखंड: पोषण अभियान

झारखंड में कुपोषण के खिलाफ चलाए गए 500 दिवसीय अभियान का असर सीमित रहा है। गरीबी, जागरूकता की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी बड़ी चुनौतियां हैं। सरकार को इन चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाया जा सके।


उत्तराखंड: जलवायु प्रभावित बच्चे

उत्तराखंड में आने वाले प्राकृतिक आपदाओं का बच्चों पर गहरा असर पड़ रहा है। कई बच्चे अपने घरों और स्कूलों से वंचित हैं। मानसिक तनाव और भविष्य के प्रति अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं। बच्चों के पुनर्वास और शिक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।


किसान और मौसम: कृषि पर असर

बदलते मौसम और बारिश के अनियमित पैटर्न किसानों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। कई किसान खेती छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नई तकनीकों को अपनाने की जरूरत है। सरकार को किसानों की मदद के लिए कदम उठाने चाहिए।


मध्य प्रदेश में सोयाबीन के उत्पादन में गिरावट आई है। जलवायु परिवर्तन इसका मुख्य कारण नहीं है। कीटों के हमले, बुआई के अनुपयुक्त समय और किसानों की रुचि में कमी जैसे कारक असरदार हैं। सरकार को किसानों को प्रोत्साहित कर इस समस्या से निपटना चाहिए।

हम इन खबरों के लिए सिर्फ अपने पाठकों को धन्यवाद करते हैं बल्कि पूरे भारत से हमें इन जरूरी मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने में मदद, सहयोगी देने के लिए सभी स्वतंत्र पत्रकारों का भी आभार प्रकट करते हैं।

आशा करते हैं ये रिपोर्ट आपको देश-दुनिया के महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूक रखने में मददगार रही होंगी। 2024 में भी हम इसी तरह की गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता करने की कोश‍िश करेंगे।

कई बार कुछ खबरों तक हम पहुंच नहीं पाते हैं। बावजूद इसके उसे करते हैं और बहुत अच्‍छे से करते हैं। ऐसा इसलिए संभव हो पाता है क्‍योंक‍ि मिर्जापुर से बृजेंद्र दुबे, लखीमपुर से धर्मेंद्र राजपूत, एटा से शुभम श्रीवास्‍तव, ब‍िहार से राहुल कुमार गौरव, अमेठी से अंजनि म‍िश्रा, उत्तराखंड से सत्‍यम कुमार जैसे हमारे साथी ग्राउंड से बेहतरीन र‍िपोर्ट भेजते हैं। हमें उम्‍मीद है क‍ि इस वर्ष हम मिलकर और बेहतर काम करेंगे।

आप अगर स्वतंत्र पत्रकारिता करते हैं तो हमें आपकी खबरों का इंतजार है। आप स्‍टोरी आइड‍िया saurabhrk.yo@gmail.com और karthik@indiaspend.org पर भेज सकते हैं।


धन्यवाद,

सौरभ शर्मा

कंसल्टिंग एडिटर


मिथिलेश धर दुबे

प्रिंसिपल कोरेस्पोंडेंट