लखनऊ/वाराणसी: “ऐसा नहीं है कि बस टमाटर की ही कीमत बढ़ी है। लगभग सभी सब्‍ज‍ियों की कीमत आसमान छू रही हैं। ऐसे में हमारे जैसे मीड‍िल क्‍लास के लोगों के लिए सब्‍जी कम खाने के अलावा कोई दूसरा रास्‍ता बचता ही नहीं।” उत्तर प्रदेश के वराणसी में रहने वाले हरिश्चंद्र सिंह बताते हैं।

देश में खुदरा महंगाई दर जून 2023 में 4.81% पर पहुंच गई जो प‍िछले तीन महीने का उच्‍चतर स्‍तर है। इससे पहले मई में 2023 में खुदरा महंगाई दर 4.31 फीसदी थी। इस दौरान अगर खाने की कीमतों की खुदरा महंगाई दर 4.49% पर पहुंव गई जो मई में 2.29 फीसदी थी। इस महंगाई दर के लिए सब्‍ज‍ियों की बढ़ी कीमतों को भी ज‍िम्‍मेदार माना जा रहा।

हरिश्चंद्र सिंह बताते हैं, “हमारा 4 लोगों का परिवार है। हम सब्जी में बस आलू ही खा पा रहे हैं। सब्जियों की बढ़ी कीमतों ने घर का पूरा बजट ही ब‍िगाड़ द‍िया है। पहले बच्‍चों के टिफ‍िन में हरी सब्जियां देते थे। लेकिन अब सोयाबीन की सब्जी टिफिन में दे रहे।”

सब्‍ज‍ियों की कीमत पर नजर डालें तो टमाटर की चर्चा इस समय सबसे ज्‍यादा है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की र‍िपोर्ट देखें तो 2022 में 30 जुलाई को लखनऊ में टमाटर की खुदरा कीमत 34 रुपए प्रत‍ि क‍िलो थी जो इसी तरीख को 2023 में 145 रुपए पहुंच गई। मतलब कीमत में लगभग 300% की बढ़ोतरी देखी गई। इस साल 31 मई को लखनऊ में टमाटर की खुदरा कीमत 20 रुपए प्रत‍ि क‍िलो तक थी जो 30 जुलाई तक 147 रुपए पहुंच गई।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहने वालीं रूपाली जैन हाउसवाइफ हैं। सब्‍ज‍ियों की बढ़ी कीमतों की वजह से उन्‍हें तीन लोगों के पर‍िवार में ही खाने की दूसरी चीजों में कटौती करनी पड़ रही। वे बताती हैं, “पहले बाजार से एक हफ्ते की सब्जी 1,000 से 1,200 रुपए में जाती थी। अब उतनी ही सब्‍ज‍ियों के लिए दो से ढाई हजार रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। ऐसे में सब्‍जी खाने के लिए घर के दूसरे खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है।”

वाराणसी की एक मंडी में आढ़ती विजय कुमार लगभग 10 साल से टमाटर का कारोबार कर रहे हैं। वे बताते हैं, “छोटे दुकानदार अभी 120 से ₹130 के बीच टमाटर ले जाते हैं जो फुटकर में 150 से 160 रुपए प्रति किलो ब‍िक रहा। ऐसा नहीं है क‍ि टमाटर के बढ़ी कीमत से बस ग्राहक ही परेशान हैं। व्‍यापारी भी परेशान हैं क्‍योंक‍ि हमारी ब‍िक्री कम हो गई है। मंड‍ियों में टमाटर की आवक कम हो गई है।”

इसी मंडी में लहसुन बेचने वाले आढ़ती राहुल बताते हैं कि लहसुन के दाम बढ़ने से उनकी बिक्री पर इसका 70 से 80% प्रभाव पड़ा है। “दामों में बढ़ोतरी के के चलते बिक्री में कमी आई है। जो ग्राहक महीने में 30 से 40 बोरी लहसुन ले जाते थे आज वे तीन से चार बोरी ही ले जा रहे। दो महीने पहले जब लहसुन की कीमत कम थी तब एक दिन में सौ से डेढ़ सौ बोरी लहसुन ब‍िक जाता था जो अब 15 से 20 बोरी तक स‍िमटकर रह गया है।

लेकिन टमाटर के दाम में इतनी बढ़ोतरी क्‍यों हुई? इस बारे में खाद्य एवं निर्यात नीति विशेषज्ञ देविंदर शर्मा बताते हैं कि टमाटर के दामों वृद्धि मौसम के कारण नहीं हुई है। उसका कारण पिछले चार से पांच महीनों से किसानों को उसके उचित दाम नहीं मिल रहे थे। जब उचित दाम नहीं मिले तो कब तक किसान अपनी उपज चार, पांच रुपए प्रति किलो बेचता रहेगा। ऐसे मे किसानों का ज्यादा नुकसान ना हो इसके लिए उन्‍होंने बुवाई कम की जिससे सप्लाई मे कमी आई और इसके दामों मे उछाल आया।